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डीसी ने लिया गोद, फिर भी दूर नहीं हुआ बांध पंचायत के लोगों का दर्द

भोला पाठक, पीरटांड़ : जिले के पिछड़े प्रखंड व सुदूर प्रखंड की श्रेणी में गिने जाने वाले पीरटांड़ में विकास की लकीर तो खींची गयी है, लेकिन प्रखंड मुख्यालय पीरटांड़ से महज तीन किलोमीटर की दूरी में अवस्थित बांध पंचायत के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. प्रखंड मुख्यालय पीरटांड़ से पूरब की दिशा में […]

भोला पाठक, पीरटांड़ : जिले के पिछड़े प्रखंड व सुदूर प्रखंड की श्रेणी में गिने जाने वाले पीरटांड़ में विकास की लकीर तो खींची गयी है, लेकिन प्रखंड मुख्यालय पीरटांड़ से महज तीन किलोमीटर की दूरी में अवस्थित बांध पंचायत के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. प्रखंड मुख्यालय पीरटांड़ से पूरब की दिशा में सबसे पहला पंचायत बांध है. इस पंचायत की आबादी करीब छह हजार है. इस पंचायत के अंतर्गत कुल 16 गांव है.

तीन वर्ष पूर्व जिले के तत्कालीन उपायुक्त उमाशंकर सिंह ने बांध पंचायत को गोद लिया था. इसे लेकर बांध पंचायत भवन में जिले एवं प्रखंड के आला अधिकारियों के साथ वृहद बैठक की थी. उस दौरान बांध पंचायत अंतर्गत विभिन्न गांवों से हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति हुई थी. पंचायत को गोद लिए जाने की खबर से इस क्षेत्र के लोगों में उम्मीद जगी थी. पंचायत के सर्वांगीण विकास को लेकर एक्शन प्लान भी तैयार होने लगा था. सैकड़ों योजनाओं का चयन किया गया.
पानी, बिजली, सड़क, आवास, शिक्षा, रोजगार, महिला को स्वालंबी बनाना, पेंशन, राशन सहित अन्य योजनाओं से बांध पंचायत को पाट देने की तैयारी हो गयी थी, लेकिन इसी बीच उपायुक्त उमाशंकर सिंह का तबादला हो गया. इसके बाद गिरिडीह उपायुक्त के रूप में मनोज कुमार का पदस्थापन हुआ. उन्हें इस पंचायत को गोद लिए जाने की जानकारी मिली तो कुछ दिन बाद उन्होंने बांध पंचायत का दौरा किया.
लोगों को लगा कि बांध पंचायत के विकास को लेकर की जो बातें अधूरी थीं, अब पूरी होंगी, लेकिन स्थिति जस की तस बनी रही. बांध पंचायत के लोगों का कहना है कि पीरटांड़ प्रखंड अंतर्गत कुल 17 पंचायत हैं, जिसमें सड़क के मामले में सबसे बुरा हाल बांध पंचायत का है.
पंचायत में सड़क की है बड़ी समस्या : बांध पंचायत की सबसे बड़ी समस्या सड़क की है. बांध पंचायत का क्षेत्रफल काफी बड़ा है और आबादी भी काफी अधिक है. इस पंचायत के मुखिया हेमलता देवी काफी सक्रिय हैं, जबकि पंचायत समिति सदस्य अर्जुन हेंब्रम इस पंचायत से निर्विरोध चुने गये हैं, लेकिन यह पंचायत विकास के मामले में अन्य पंचायतों से पीछे है.
मधुबन पांडेयडीह मेन रोड स्थित धुंधुमिया के पास गार्डवाल नहीं रहने के कारण दो युवक की मौत दो सप्ताह पहले सड़क दुर्घटना में हो गयी थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि लगातार उस जगह में लोग दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. अगर गार्डवाल नहीं बनाया गया तो आगे भी दुर्घटनाएं होती रहेंगी.
एससीए मद, आरइओ व पीएमजीएसवाइ से पीरटांड़ की कई पंचायतों में सड़कों का जाल बिछा है. कई जगहों में पुल निर्माण भी हुआ है, लेकिन बांध पंचायत में सड़कों एवं जरूरी पुल का नहीं बन पाना समझ से परे है. अगर मधुबन पांडेयडीह मेन रोड एवं चिरकी पलमा रोड छोड़ दें तो बांध पंचायत को छूने वाली एक भी पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो सका.
पियारटांड़ टोला में नहीं घुस पाता चारपहिया
प्रकृति की अद्भुत छटाओं के बीच बसा कमलासिंघा के पियारटांड़ टोला में लगभग 16 घर हैं. जहां की आबादी करीब 100 है. यहां के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में एक भी चापानल नहीं है. जब कोई बीमार होता है तो मरीज को अस्पताल ले जाने में काफी दिक्कत होती है.
चारपहिया वाहन नहीं घुस पाता है. लोगों ने सड़क निर्माण की मांग की है. इस गांव में कई लोगों का राशन कार्ड भी नहीं बना है. ग्राम केंदुआडीह के बघमरी टोला के ग्रामीणों ने कहा कि गांव में दो चापानल ही है. जबकि आबादी काफी अधिक है. इसी गांव से यहां के पंचायत समिति भी हैं, लेकिन सड़क की दिशा में पहल नहीं हो सकी.
हर गांव में बिजली तो है, लेकिन बिजली का तार जर्जर है. इसी प्रकार कुरवाटांड़ के ग्रामीण भी लंबे समय से विकास की रौशनी देखने को आतुर हैं. सड़क एवं पानी के मामले में गांव का हाल बेहाल है. कई सरकारें बनीं, कई जनप्रतिनिधि बदले, लेकिन इस पंचायत का हाल जस का तस रहा. इस बार लोगों ने नई सरकार से विकास का उम्मीद जतायी है.
पानी, सड़क की समस्या से जूझ रहे ग्रामीण
बांध पंचायत के पोखरिया गांव अंतर्गत पटाघुटु टोला के वर्षा हेंब्रम एवं मोहन हेंब्रम ने बताया कि इस टोले में लगभग 70 लोगों की आबादी है, लेकिन इस टोले में एक भी चापानल नहीं है. गांव से दूर नदी से लोग पानी पीते हैं.
मोहन ने बताया कि गर्मी के दिनों में नदी भी सूख जाती है, जिसके बाद पानी की काफी समस्या होती है. पोखरिया गांव की दालमुनि देवी (90) ने बताया कि गांव में पानी की काफी समस्या है. सड़क की हालत काफी खराब है. बरसात के दिनों में इस सड़क से आवागमन करने में काफी परेशानी होती है.
होगी समीक्षा, पंचायत का होगा विकास : डीसी
डीसी राहुल कुमार सिन्हा ने कहा कि पीरटांड़ के बांध पंचायत को पूर्व डीसी उमाशंकर सिंह ने गोद लिया और इसके बाद कई योजनाएं ली गयी हैं. इनमें से कुछ योजनाएं धरातल पर भी उतरी हैं.
उन्होंने कहा कि गांवों के विकास के लिए कौन-कौन सी योजनाएं अधूरी पड़ी हुई हैं और जनहित में कौन-कौन सी योजनाएं और लेने की जरूरत पड़ेगी, इसके लिए शीघ्र ही समीक्षा की जायेगी. उन्होंने कहा कि गोद ली गयी पंचायत के विकास के लिए हर संभव कोशिश जारी रहेगी.
क्या कहती हैं मुखिया
मुखिया हेमलता देवी ने कहा कि जिला प्रशासन बांध पंचायत के विकास की ओर अगर ध्यान जाता तो इस पंचायत का भी सर्वांगीण विकास हुआ होता. उन्होंने वर्तमान डीसी से बांध पंचायत का विकास करने का आग्रह किया है. कहा कि सरकार द्वारा 14वें वित्त एवं मनरेगा से जो राशि मिलती है, उससे तो काम हुआ, लेकिन बड़ी सड़कों का पक्कीकरण नहीं हो सका.
आवास व पेंशन का लाभ आमजनों को काफी हद तक मिला है. बीडीओ समीर अल्फ्रेड मुर्मू ने कहा कि बांध पंचायत में भी सड़कों का निर्माण होगा. डीसी को इन मामलों की जानकारी दी जायेगी.
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