By Digital Busniess Desk | Updated Date: Jun 26 2019 11:02PM
सांकेतिक तस्वीर.
नयी दिल्ली : राजस्व विभाग ने जीएसटी पंजीकरण वाली कंपनियों के खातों के ऑडिट की जोखिम मापदंड के आधार पर योजना बना रहा है. इसमें कर चोरी के इतिहास वाली, समय पर रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली और सवालों के घेरे में आये लेखाकारों की नियुक्ति करने वाली कंपनियां आएंगी.
ऑडिट महानिदेशालय (अप्रत्यक्ष कर) ने ऑडिट योजना का खुलासा करते हुए कहा कि सीबीआई की विश्लेषण इकाई ऐसे जीएसटी दाताओं की सूची तैयार करेगा जो जोखिम वाले हैं.
इस सूची को जांच के लिए ऑडिट आयुक्तालयों को साझा किया जाएगा. जोखिम के आधार पर पहचान में आये करदताओं को तीन श्रेणियों छोटे (10 करोड़ रुपये तक कारोबार वाले) मध्यम (10 से 40 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाले) और बड़े (40 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले) में बांटा जाएगा.
यह ऑडिट वित्त वर्ष 2017-18 के वार्षिक रिटर्न के आधार पर किया जाएगा. यह जीएसटी के क्रियान्वयन का पहला वर्ष है. माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक जुलाई, 2017 को लागू किया गया था.
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए वार्षिक रिटर्न दायर करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त, 2019 है. यह ऑडिट योजना उन इकाइयों पर लागू होंगी जो केंद्रीय जीएसटी अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
कर रिटर्न की बिना दखल जांच सुनिश्चित करने के लिए महानिदेशक ऑडिट ने जीएसटी और केंद्रीय उत्पाद के मुख्य आयुक्तों से 'डेस्क आधारित ऑडिट' की प्रक्रिया अपनाने को कहा है.
अभी इसके लिए मौजूदा प्रणाली परिसर आधारित ऑडिट की है. ऑडिट महानिदेशक ने कहा कि परिसर आधारित ऑडिट ऐसे मामलों में आयुक्त की अनुमति से किया जा सकता है जिनमें छोटे करदाता सहयोग से इनकार कर रहे हों.