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धनबाद : सिंह मैंशन के सिद्धार्थ बने भाजपा के लिए टेंशन

लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा चाहेगी मामला सलटाना धनबाद : जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) के संयुक्त महामंत्री-सह-झरिया विधायक संजीव सिंह के अनुज सिद्धार्थ गौतम की 24 फरवरी की जन चेतना रैली के बाद भाजपा के अंदर खलबली है. क्या सिद्धार्थ गौतम भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ेंगे इस पर पार्टी के अंदर बहस तेज […]

लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा चाहेगी मामला सलटाना
धनबाद : जनता मजदूर संघ (कुंती गुट) के संयुक्त महामंत्री-सह-झरिया विधायक संजीव सिंह के अनुज सिद्धार्थ गौतम की 24 फरवरी की जन चेतना रैली के बाद भाजपा के अंदर खलबली है. क्या सिद्धार्थ गौतम भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ेंगे इस पर पार्टी के अंदर बहस तेज हो गयी है. पार्टी के अंदर व बाहर तेजी से समीकरण बन-बदल रहे हैं. कई ऐसे लोग हैं जिनका दावा है कि भाजपा सिद्धार्थ को मना लेगी.
2014 में चाचा रामधीर ने ठोंका था ताल : जमसं (कुंती गुट) के अध्यक्ष रामधीर सिंह, जो बिनोद सिंह हत्याकांड में फिलहाल केंद्रीय कारा हजारीबाग में उम्रकैद काट रहे हैं, ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के समय इसी तरह का समा बांधा था.
उन्होंने न सिर्फ भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, बल्कि खुद को बसपा का प्रत्याशी भी घोषित करवा लिया था. साथ ही अपने अग्रज-सह-पूर्व मंत्री बच्चा सिंह, जो उस वक्त लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, को भी अपने पक्ष में मना लिया था.
लेकिन, नामांकन शुरू होने के बाद श्री सिंह ने अपने कदम पीछे खींच लिये. जिस हाथी (बसपा का चुनाव चिह्न) का वह धौंस दिखा रहे थे वह हाथी बैठ गया. रामधीर मैदान में उतरे ही नहीं. पूरा सिंह मैंशन 2014 के चुनाव में खुल कर भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह के पक्ष में खड़ा रहा. बदले में सांसद ने भी सिंह मैंशन के पक्ष में कई बार बयान दिया.
इतिहास बदलेगा या दुहरायेगा?
सिंह मैंशन पिछले 15 वर्षों से भाजपा से जुड़ा हुआ है. कुंती देवी दो बार भाजपा के टिकट पर झरिया की विधायक बनीं. वहीं 2014 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र संजीव सिंह झरिया से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े व विधायक बने.
झरिया विधायक नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या में पिछले लगभग 21 माह से जेल में हैं. केंद्र व राज्य में भाजपा के सत्तासीन रहने के बावजूद विधायक श्री सिंह के मामले में ध्यान नहीं दिया गया. सूत्रों के अनुसार भाजपा नेतृत्व के रवैये से सिंह मैंशन के सदस्य दु:खी हैं.
पिछले लगभग एक वर्ष से सिद्धार्थ गौतम अलग राजनीतिक राह तलाशने में लगे हैं. उन्होंने कई राजनीतिक दलों के प्रमुखों से संपर्क साधा है. हालांकि अपना पत्ता नहीं खोला है. बार-बार केवल लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कर रहे हैं. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि क्या श्री गौतम सच में चुनाव लड़ेंगे या फिर अपने चाचा रामधीर सिंहकी तरह अंत समय में चुनाव मैदान से हट जायेंगे?
प्रेशर पॉलिटिक्स का हो सकता है हिस्सा
भाजपा के एक खेमा का मानना है कि सिंह मैंशन के सदस्य भाजपा के खिलाफ बगावत नहीं करेंगे. अगर वर्तमान सांसद पीएन सिंह को भाजपा का टिकट मिलता है तो मैंशन के लिए विरोध करना मुश्किल होगा. भाजपा नेतृत्व का मानना है कि श्री गौतम की जन चेतना रैली प्रेशर पॉलिटिक्स का हिस्सा हो सकती है. अंदर ही अंदर मामला सुलझाने की भी कोशिश हो रही है.
चुनाव लड़ें तो बंट सकता है वोट
अगर सिद्धार्थ गौतम सच में चुनाव लड़ते हैं तो आने वाले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को परेशानी हो सकती है. मैंशन समर्थक कई स्थानों पर भाजपा का बूथ प्रबंधन संभालते हैं. इन बूथों पर वोटों का बंटवारा हो सकता है. वोट के बंटवारे से भाजपा को ही घाटा होगा.
भाजपा नेतृत्व की नजर
पूरे घटनाक्रम पर भाजपा नेतृत्व की नजर है. झरिया विधायक संजीव सिंह एवं पूर्व विधायक कुंती देवी भाजपा को मजबूत बनाने में लगे हैं. जहां तक सिद्धार्थ गौतम के चुनाव लड़ने की बात है तो इस बारे में अभी कुछ कहना उचित नहीं होगा. भाजपा नेतृत्व चुनाव के लिए अपने स्तर से हर तरह की तैयारी कर रहा है.
चंद्रशेखर सिंह, जिलाध्यक्ष, भाजपा
हर हाल में चुनाव लड़ेंगे
हम दबाव की राजनीति नहीं करते हैं और न ही किसी पर दबाव बनाने के लिए राजनीति में उतरे हैं. सिंह मैंशन कदम आगे बढ़ाने के बाद पीछे नहीं खींचता. चुनावी मैदान में उतरने का शंखनाद हो चुका है. हम हर हाल में और पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे भी. समर्थक चुनाव की तैयारी में जुड़ गये हैं.
सिद्धार्थ गौतम उर्फ मनीष सिंह, संयुक्त महामंत्री, जमसं

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