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फ्लैश बैक:…जब निर्दलीय नीरज सिंह ने बिगाड़ा भाजपा का खेल

संजीव झा साल 2009 के चुनाव में 17801 मत पाकर कांग्रेस का रास्ता किया था साफ कांग्रेस प्रत्याशी मन्नान मल्लिक को मिले थे 55641 मत भाजपा के राज सिन्हा ने महज 890 वोटों से खायी थी शिकस्त धनबाद : साल 2009 का विधान सभा चुनाव अपने आप में अलग था. कांग्रेस प्रत्याशी मो. मन्नान मल्लिक […]

संजीव झा

साल 2009 के चुनाव में 17801 मत पाकर कांग्रेस का रास्ता किया था साफ
कांग्रेस प्रत्याशी मन्नान मल्लिक को मिले थे 55641 मत
भाजपा के राज सिन्हा ने महज 890 वोटों से खायी थी शिकस्त
धनबाद : साल 2009 का विधान सभा चुनाव अपने आप में अलग था. कांग्रेस प्रत्याशी मो. मन्नान मल्लिक ने महज 890 वोटों से जीत दर्ज की थी. उन्होंने भाजपा प्रत्याशी राज सिन्हा को हराया था. इस चुनाव में कांग्रेस की जीत में भाजपा से बगावत कर निर्दलीय लड़ने वाले नीरज सिंह की बड़ी भूमिका रही. नीरज सिंह ने 17801 वोट लाकर भाजपा का खेल बिगाड़ दिया. मन्नान मल्लिक को 55641 वोट और राज सिन्हा 54751 वोट मिले थे. राजनीतिक प्रेक्षक कहते हैं कि धनबाद विधानसभा सीट की सियासी लड़ाई में तीसरी ताकत की मौजूदगी से कांग्रेस को हर बार फायदा होते देखा गया है. यहां जब-जब सीधा मुकाबला हुआ, भाजपा के लिए लाभकारी बन गया. इस सीट के लिए अब तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस 10 बार जीत दर्ज कर चुकी है. भाजपा ने चार मर्तबा, सीपीआइ व बीकेडी ने एक-एक बार मुकाबला जीता है. साल 1958 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस के रंगलाल चौधरी जीते थे.
तीसरी ताकत की मौजूदगी से कांग्रेस को फायदा : धनबाद सीट पर जब-जब सीधा मुकाबला हुआ है, ज्यादातर समय बाजी भाजपा ने ही मारी है. वैसे तीसरी ताकत की मौजूदगी से कांग्रेस को फायदा ज्यादा हुआ. पिछले चार चुनावों में भाजपा एवं कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला देखा गया है. इनमें से तीन बार भाजपा ने जीत हासिल की. साल 2000 एवं 2005 के चुनाव में भाजपा के पीएन सिंह ने कांग्रेस के मन्नान मल्लिक को आसानी से पराजित किया था. 2014 के चुनाव में यहां कांग्रेस के मन्नान मल्लिक का एक बार फिर भाजपा के राज सिन्हा से सीधा मुकाबला हुआ. भाजपा प्रत्याशी 53 हजार से भी अधिक मतों से विजयी हुए. 2014 के चुनाव में तीसरा कोई भी प्रत्याशी मुख्य मुकाबला से दूर ही रहा. ऐसा कोई भी उम्मीदवार 10 हजार वोट भी नहीं ला सका. पिछले चुनाव में धनबाद में तीसरे स्थान पर रहे जेवीएम के रमेश राही को मात्र 4195 मत मिले थे. 2009 के बाद धनबाद में कांग्रेस-भाजपा की लड़ाई में कोई भी दल तीसरा कोण बन कर नहीं उभरा. पिछले चार चुनावों से कोई भी तीसरे दल का प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाया है.
इस बार भी राज-मन्नान आमने-सामने
16 दिसंबर को धनबाद सीट के लिए मतदान होगा. चुनाव मैदान में भाजपा के वर्तमान विधायक राज सिन्हा एक बार फिर उतरे हैं. उनके सामने कांग्रेस के मन्नान मल्लिक हैं. पार्टी ने अबकी भी उन पर भरोसा जताया है. यहां से अब तक आजसू, जेवीएम जैसे प्रमुख क्षेत्रीय दलों ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे दल किसी मजबूत चेहरे की तलाश में हैं. कई निर्दलीय भी यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं. अब कौन-कौन अभ्यर्थित्व की दावेदारी करता है, यह तो नामांकन के दौरान ही पता चलेगा. यह तय है कि कांग्रेस और भाजपा, दोनों की नजरें एक-दूसरे के बागी नेताओं के साथ-साथ आजसू, जेवीएम के संभावित प्रत्याशियों की तरफ भी है. क्या पता, इनके उम्मीदवार लड़ाई त्रिकोणीय बना दें.

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