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वर्ल्‍डकप में टीम इंडिया के लिए मध्यक्रम बड़ी चुनौती, चयनकर्ताओं ने उठाया जोखिम

नयी दिल्ली : पिछले एक साल से मध्यक्रम को मजबूत करने की तमाम कवायदों के बावजूद विश्वकप के लिये जिस भारतीय टीम का चयन किया गया है उसमें चौथे से छठे नंबर के बीच किसी मंजे हुए बल्लेबाज को न रखकर राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने बड़ा जोखिम उठाया है. विश्व कप के लिये जो टीम चुनी […]

नयी दिल्ली : पिछले एक साल से मध्यक्रम को मजबूत करने की तमाम कवायदों के बावजूद विश्वकप के लिये जिस भारतीय टीम का चयन किया गया है उसमें चौथे से छठे नंबर के बीच किसी मंजे हुए बल्लेबाज को न रखकर राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने बड़ा जोखिम उठाया है.

विश्व कप के लिये जो टीम चुनी गयी है उसमें पूरी संभावना है कि चौथे नंबर पर विजय शंकर या केएल राहुल में से किसी एक को उतारा जा सकता है. महेंद्र सिंह धौनी पांचवें और केदार जाधव छठे नंबर की जिम्मेदारी उठा सकते हैं. निचले मध्यक्रम में सातवां नंबर महत्वपूर्ण होता है जिस पर हार्दिक पांड्या का उतरना तय है. कुछ पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों की राय में रोहित शर्मा, शिखर धवन और कप्तान विराट कोहली के असफल रहने पर टीम को मध्यक्रम की कमजोरी भारी पड़ सकती है.

उनके अनुसार, रोहित, धवन और कोहली की मौजूदगी में भारत का शीर्ष क्रम काफी मजबूत है लेकिन किसी मैच में इन तीनों के नाकाम रहने पर मध्यक्रम की असली परीक्षा होगी और ऐसे में टीम को पारी संवारने वाले बल्लेबाज की कमी खल सकती है और इस लिहाज से चयनकर्ताओं का यह कदम जोखिम भरा कहा जा सकता है.

पिछले कुछ वर्षों से भारत ने चौथे नंबर पर अंबाती रायुडु को आजमाया. उन्होंने पिछले एक साल में सर्वाधिक 14 मैचों में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की जिसमें 42.18 की औसत से 464 रन बनाये, लेकिन हाल की खराब फार्म के कारण उन्हें टीम में नहीं चुना गया. ऐसे में पूर्व क्रिकेटर किसी विशेषज्ञ बल्लेबाज को चौथे नंबर पर उतारने की वकालत कर रहे थे.

कुछ क्रिकेटरों ने अंजिक्य रहाणे का नाम लिया, जबकि पूर्व कप्तान सौरव गांगुली टेस्ट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा के चयन के पक्ष में थे ताकि जरूरत पड़ने पर वह पारी संवार सकें. रहाणे ने फरवरी 2018 से कोई मैच नहीं खेला है. उन्होंने जो 90 वनडे खेले हैं उनमें से 54 मैचों में वह सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरे जबकि 25 मैच में वह चौथे नंबर पर बल्लेबाजी के लिये आये जिसमें उन्होंने 36.65 की औसत से रन बनाये थे. इस लिहाज से रहाणे इस नंबर के लिये उपयुक्त हो सकते थे.

लेकिन वर्तमान परिदृश्य में शंकर को इस नंबर पर उतारा जा सकता है जिन्होंने नौ मैच के अपने वनडे करियर में एक बार भी चौथे नंबर पर बल्लेबाजी नहीं की है. उन्हें हाल में दो मैचों में पांचवें नंबर पर आजमाया गया जिसमें वह 62 रन ही बना पाये. राहुल तीसरे सलामी बल्लेबाज के रूप में टीम से जोड़े गये हैं लेकिन माना जा रहा है कि उन्हें चौथे नंबर पर उतारा जा सकता है.

रिकार्ड के लिये बता दें कि राहुल ने पिछले एक साल में केवल दो मैचों में इस नंबर पर खेले और उनमें उन्होंने सिर्फ नौ रन बनाये. पिछले एक वर्ष में दूसरे विकेटकीपर के रूप में चुने गये कार्तिक को भी चौथे नंबर पर उतारा गया जिसमें उन्होंने 122 रन बनाये. वैसे कोच रवि शास्त्री कप्तान कोहली या धौनी को नंबर चार पर उतारने के संकेत पूर्व में दे चुके हैं. कोहली ने पिछले एक साल में केवल एक बार (सात रन बनाये) और धोनी ने तीन मैचों में चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की.इन मैचों में धौनी ने 128 रन बनाये जिसमें एक नाबाद 87 रन की पारी भी शामिल है.

धौनी का वैसे पांचवें नंबर पर उतरना तय है जिस पर उन्होंने पिछले एक वर्ष में 11 मैचों में 361 रन बनाये. इस पूर्व कप्तान की बेहद धीमी बल्लेबाजी हालांकि पिछले कुछ समय से चिंता का विषय बनी हुई है. बहरहाल अभी मध्यक्रम के तीन प्रमुख स्थानों में वही सबसे मजबूत कड़ी नजर आते हैं और ऐसे में विकेट के पीछे ही नहीं विकेट के आगे भी उनकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. जाधव नंबर छह के लिये अदद बल्लेबाज हो सकते हैं.

चोट से उबरने के बाद वापसी करने वाले जाधव ने पिछले एक साल में 11 मैचों में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 281 रन बनाये थे. परिस्थिति के अनुसार पांड्या को भी इस नंबर पर उतारा जा सकता है. जाधव के अंतिम एकादश में नहीं होने पर कार्तिक इस स्थान के दावेदार हो सकते हैं.

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