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…आखिर सूख गया चंपारण सत्याग्रह का गवाह रहा नीम का पेड़

मोतिहारी : चंपारण सत्याग्रह का गवाह रहा तुरकौलिया गांधी घाट स्थित नीम का पेड़ आखिरकार सूख गया. इसे बचाने की प्रशासन व वन विभाग की कवायद कारगर साबित नहीं हुई. वन विभाग ने वरीय अधिकारियों को रिपोर्ट भेज स्पष्ट कर दिया है कि नीम का पेड़ अब नहीं बच पायेगा. चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा […]

मोतिहारी : चंपारण सत्याग्रह का गवाह रहा तुरकौलिया गांधी घाट स्थित नीम का पेड़ आखिरकार सूख गया. इसे बचाने की प्रशासन व वन विभाग की कवायद कारगर साबित नहीं हुई. वन विभाग ने वरीय अधिकारियों को रिपोर्ट भेज स्पष्ट कर दिया है कि नीम का पेड़ अब नहीं बच पायेगा.

चंपारण सत्याग्रह के दौरान महात्मा गांधी ने इसी नीम के पेड़ के नीचे बैठ कर अहिंसात्मक आंदोलन की रूपरेखा तय की थी. गांधी जी मजदूरों- किसानों पर अंग्रेजों द्वारा तीन कठिया कानून के विरोध में ढाये जा रहे जुल्म की कहानी सुनते थे. गांधी जी की रणनीति कारगर साबित हुई और आंदोलन को एक नयी दिश मिली.
यहां बता दें कि मजदूरों को इसी नीम के पेड़ में बांध कर कोड़ों से पीटा जाता था. चार अगस्त, 1917 को महात्मा गांधी ने नीलहों के अत्याचार की जांच की और हजारों ग्रामीणों का बयान दर्ज किया था, जिसका उल्लेख नीम के पेड़ स्थित शीलापट्ट पर भी है. जिले के लोगों ने नीम के पेड़ के सूख जाने पर चिंता जाहिर की है.
वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रभाकर झा ने बताया कि पेड़ से छाल सूख कर गिर रहे हैं. पेड़ के तना पर चोट देने पर अंदर से खोखलानुमा डब-डब की आवाज आ रही है. पेड़ का जड़ सड़ चुका है.

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