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राज्य के आपदा नियंत्रण प्रबंधन पर उठ रहे सवाल

कोलकाता : राज्य के आपदा प्रबंधन कौशल पर कई सवाल उठ रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से दावा किया जाता रहा है कि इस दिशा में उसका प्रबंधन पुख्ता है. हालांकि हालिया घटनाओं पर नजर डालें, तो दावों पर सवाल उठते हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि पश्चिम बंगाल प्राकृतिक आपदाओं […]

कोलकाता : राज्य के आपदा प्रबंधन कौशल पर कई सवाल उठ रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से दावा किया जाता रहा है कि इस दिशा में उसका प्रबंधन पुख्ता है. हालांकि हालिया घटनाओं पर नजर डालें, तो दावों पर सवाल उठते हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि पश्चिम बंगाल प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है और जिलों में पहले से ही बाढ़ आश्रय गृह और राहत गोदामों का निर्माण किया गया है. मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट में कहा है कि राज्य सरकार किसी प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों को सतर्क करने के लिए एक एसएमएस आधारित त्वरित चेतावनी प्रणाली भी तैयार की है.
ममता ने ट्वीट में कहा : आज अंतरराष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण दिवस है. प्राकृतिक आपदाओं के आगमन के बारे में राज्य के लोगों को सतर्क करने के लिए हमारी सरकार ने एसएमएस आधारित त्वरित चेतावनी प्रणाली तैयार की है. जिले, अनुमंडल और प्रखंड स्तरों पर बाढ़ आश्रय गृह और राहत गोदामों का भी निर्माण किया गया है.
हालांकि हालिया घटनाओं पर नजर डाली जाये, तो राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन का ढांचा कमजोर नजर आता है. इससे पहले भी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा था कि बंगाल में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की कार्यप्रणाली में कमी की वजह से आपदा प्रबंधन संबंधी संस्थागत ढांचा कमजोर है. इसमें कहा गया था कि आपदा विशिष्ट कार्य योजना में कई तरह की खामियां पायी गयीं और ब्लॉक्स की संवेदनशीलता का आंकलन केवल आंशिक था.
विशिष्ट कार्य को दर्शाती वार्षिक आपदा प्रबंधन योजनाओं की हर स्तर पर समय पर तैयारी सुनिश्चित होनी चाहिए. कैग ने जिलों के पास गैर खर्च राशि की पहचान के लिए उचित तंत्र बनाने की सिफारिश की थी. इसके अलावा तत्काल राहत के लिए प्रभावित लोगों में राहत सामग्री के प्रभावी वितरण को सुनिश्चित करने के लिए कहा था.
इस पर राज्य सरकार का कहना था कि कैग की उक्त सिफारिश के बाद उन्होंने अपने ढांचे में खासी मजबूती लायी है. कैग की सिफारिश के बाद से उन्होंने ढांचे में आमूल परिवर्तन किया है. लेकिन आरोप है कि पिछले दिनों दामोदर का पानी हुगली जिले के कई इलाकों में भर जाने के बाद आपदा प्रबंधन के कार्य में कमियां पायी गयीं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा स्थिति के गंभीर बनने के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में टीम बनायी गयी थी. कई मंत्रियों को विभिन्न इलाकों में भेजा गया था.
मुख्य सचिव ने खुद वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये विभिन्न जिलों के डीएम के साथ बातचीत कर आपदा प्रबंधन के कार्य पर नजर रखने और उचित कदम उठाने का निर्देश दिया था. फिर भी विभिन्न इलाकों में लोगों को कई दिनों तक पानी में घिरा देखा गया. खाने-पीने के सामान की भी किल्लत देखी गयी थी.

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