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हिंदी में रोजगार सृजन करनेवाला बनना होगा : डॉ अवस्थी

कोलकाता : आज तकनीकी और प्रौद्योगिकी के युग में हमें हिंदी में रोजगार सृजन करनेवाला व्यक्ति बनना होगा. हमें सूचना और प्रौद्योगिकी के अनुकूल खुद को बनाने की आवश्यकता है. आज हिंदी की उपयोगिता व योग्यता पूरी दुनिया को समझ आ गयी है. हिंदी को रोजगार की भाषा नहीं, हमें उसे बाजार की भाषा तो […]

कोलकाता : आज तकनीकी और प्रौद्योगिकी के युग में हमें हिंदी में रोजगार सृजन करनेवाला व्यक्ति बनना होगा. हमें सूचना और प्रौद्योगिकी के अनुकूल खुद को बनाने की आवश्यकता है. आज हिंदी की उपयोगिता व योग्यता पूरी दुनिया को समझ आ गयी है. हिंदी को रोजगार की भाषा नहीं, हमें उसे बाजार की भाषा तो है, लेकिन बाजारू होने से रोकना है. हमें यह समझना होगा कि हिन्दी को रोजगार से अधिक संस्कार व स्वाभिमान की भाषा माना जाबनानाये.

जिस दिन हम हिंदी को स्वाभिमान की भाषा बना लेंगे, हमें किसी के सामने सिर झुकाने की आवश्यकता नहीं होगी. ये बातें चर्चित कवि डॉ राहुल अवस्थी ने रविवार को श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय द्वारा आयोजित ‘हिन्दी दिवस समारोह’ में बतौर अध्यक्ष के रूप में कहीं.
डॉ अवस्थी ने संविधान के राजभाषा अनुच्छेद के बारे में एक व्यवहारिक दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि अनुच्छेद 370 के उपबंध अगर समाप्त हो सकते हैं तो अनुच्छेद 343(1) के वे परंतुक क्यों नहीं समाप्त हो सकते, जो हिन्दी के संप्रभु राष्ट्र की शिखर भाषा होने से रोकते हैं. उन्होंने गोपाल सिंह नेपाली की परंपरा में कहा, हिंदी को भीषण संघर्षों की ज्वालाओं में तपने दो. हिन्दी कठजीवी है, इसको अपने ही आप पनपने दो.
कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. रामप्रवेश ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रीय अस्मिता से जोड़ने की आवश्यकता है. राष्ट्रसंघ में जोड़ने के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता है. उमेशचन्द्र कॉलेज के डॉ कमल कुमार ने हिंदी के मूल स्वरूप को तकनीक के साथ जोड़ने की बात कही.
प्राध्यापिका डॉ. मनिषा त्रिपाठी ने आर्य समाज के प्रतिष्ठाता स्वामी दयानन्द व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हिंदी निष्ठा उदाहरण देते हुए कहा कि अगर हम हिंदी का लक्ष्य बड़ा कर लें तो अंग्रेजी अपने आप छोटी हो जाएगी. कार्यक्रम में चर्चित गायक ओम प्रकाश मिश्र ने प्रसिद्ध साहित्यकारों के गीत प्रस्तुत किये.
दुर्गा व्यास ने हिन्दी वंदना दिया. मंत्री महावीर बजाज ने कहा कि हिंदी हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान की भाषा है. कार्यक्रम का संचालन साहित्य मंत्री बंशीधर शर्मा व धन्यवाद ज्ञापन योगेशराज उपाध्याय ने किया. अतिथियों का स्वागत भंवरलाल मूंधड़ा, अरुणप्रकाश मल्लावत, मनोज काकड़ा, नंदकुमार लड्ढ़ा, डॉ कमलेश जैन व चंद्रकुमार जैन ने किया.
कार्यक्रम में डॉ राजश्री शुक्ला, नंदलाल रोशन, डॉ अर्चना पाण्डेय, अशोक कुमार शर्मा, जयकुमार रुसवा, मीतू कानोड़िया, रंजीत भारती, अनील ओझा नीरद, अक्षय कुमार सिन्हा, सिताराम तिवाड़ी, रमाकांत सिन्हा, बलवंत सिंह, जयप्रकाश सिंह, महेन्द्रनाथ पाण्डेय, रवीन्द्र तिवारी, अनिल उपाध्याय, सर्वदेव तिवारी, डॉ श्रीनिवास यादव, प्रभाकर चतुर्वेदी, कामायनी पाण्डेय, दिव्या प्रसाद, रामपुकार सिंह, गायत्री बजाज, श्रीराम सोनी, अरुण कुमार सोनी, मनोज पराशर, राजाराम बिहानी, शांतिलाल जैन, स्नेहलता वैद, जगमोहन बांगला, डॉ संजय त्रिपाठी, राम प्रकाश बागला, केएन दीक्षित, परेस पटिलायवी, कालीप्रसाद जयसवाल व अन्य गणमान्य उपस्थित थे.
कार्यक्रम को सफल बनाने में गजानन राठी, रामचन्द्र अग्रवाल, भागीरथ सारस्वत, गिरिधर राय, शंकर बक्स सिंह, सत्यप्रकाश राय, श्रीमोहन तिवारी व गोविन्द जैथलिया ने सक्रिय भूमिका निभायी.

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