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कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के टेंडर के सभी कागजात सील, कोषागार में जमा

भागलपुर : भागलपुर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से शनिवार को स्मार्ट सिटी में स्मार्ट गड़बडी के रूप में सामने आये कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की ‘सरकार’ से जांच करवाने की शनिवार को लगी मुहर के बाद सोमवार को जिला प्रशासन एक्शन के मूड में आ गया. कंपनी निदेशक सह डीएम के […]

भागलपुर : भागलपुर स्मार्ट सिटी कंपनी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से शनिवार को स्मार्ट सिटी में स्मार्ट गड़बडी के रूप में सामने आये कमांड एंड कंट्रोल सेंटर की ‘सरकार’ से जांच करवाने की शनिवार को लगी मुहर के बाद सोमवार को जिला प्रशासन एक्शन के मूड में आ गया. कंपनी निदेशक सह डीएम के निर्देश पर डीडीसी सुनील कुमार दोपहर चार बजे निगम के पीडीएमसी दफ्तर पहुंचे.
वहां पर करीब साढ़े चार घंटे तक लगातार डटे रहे और उक्त प्रोजेक्ट के टेंडर से जुड़े एक-एक कागजात मंगवाये. इस दौरान उन्होंने पीडीएमसी अधिकारियों से कई तरह के सवाल भी किये, जो दिये जा रहे कागजात से संबंधित थे. सभी कागजात की इनवेंटरी भी बनायी गयी, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की जांच के होने पर इनवेंटरी से कागजात की तलाश करने में आसानी हो सके. डीडीसी ने सभी टेंडर के कागजात को कोषागार में जमा कर दिया. ये सभी कागजात चार बक्से में बंद करके गाड़ी से वे निकल गये.
सरकार को जांच की सिफारिश में पहली वरीयता निगरानी को दी गयी
कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम में मास्टर सिस्टम इंटीग्रेशन के काम को लेकर 130 करोड़ के काम को 202.55 करोड़ के काम में धांधली होने को लेकर सरकारी जांच की सिफारिश सोमवार को भेज दी गयी. इस जांच में बोर्ड ने पहली वरीयता निगरानी तथा दूसरी वरीयता वित्त विभाग के रूप में दी है. मुख्य सचिव को जांच करवाने के पत्र में डीएम से करायी गयी जांच का भी हवाला दिया गया है. सरकारी प्रक्रिया के मानक को लांघ कर तय टेंडर की राशि से 72 करोड़ अधिक राशि में काम का आवंटन का उल्लेख है.
यह थे डीएम की रिपोर्ट में टेंडर पर सवाल
– कंपनी के निदेशक मंडल के किसी भी सदस्य को काम देने के लिए Letter of Intend (एलओआई) यानि चयनित बोलीदाता को काम आवंटित करने का पत्र प्रदान कर दिया गया.
– निदेशक मंडल में टेंडर की पूरी प्रक्रिया के बाद चयनित बोलीदाता का प्रस्ताव पेश होता, बोर्ड बैठक में उसे एलओआई देने की हरी झंडी दी जाती.
– तकनीकी समिति में शामिल बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज के मनोनीत सदस्य को बताया नहीं गया.
– टेंडर को फाइनल करने के दौरान तकनीकी समिति का अनुमोदन नहीं कराया गया.
स्मार्ट सिटी कंपनी के निर्देश पर डीडीसी सुनील कुमार दोपहर चार बजे निगम गये साढ़े चार घंटे तक रहे
कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम के मास्टर सिस्टम इंटीग्रेशन में हुई थी गड़बड़ी
बोर्ड ने 130 करोड़ के टेंडरको 202 करोड़ बनाने की जांच के दिये निर्देश

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