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सरोजिनी नायडू गांधी को क्यों कहती थीं ‘आग का गोला’

<figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/4370/production/_109246271_ac4a2820-b127-409a-922b-f12e365c497c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महात्मा गांधी की छवि ऐसी है कि जितने लोग समझते हैं कि वो महात्मा गांधी को वाक़ई समझते हैं, वो यही मानते हैं कि उनकी छवि और उनका मन बहुत साफ़ था, गांधी दिल के साफ़ थे, बहुत साफ़ बात करते थे और बहुत मीठा बोलते […]

<figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/4370/production/_109246271_ac4a2820-b127-409a-922b-f12e365c497c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>महात्मा गांधी की छवि ऐसी है कि जितने लोग समझते हैं कि वो महात्मा गांधी को वाक़ई समझते हैं, वो यही मानते हैं कि उनकी छवि और उनका मन बहुत साफ़ था, गांधी दिल के साफ़ थे, बहुत साफ़ बात करते थे और बहुत मीठा बोलते थे और कभी उनके चेहरे पर ग़ुस्सा नहीं आता था. </p><p>गांधी के बारे में तमाम तरह के क़िस्से कहे जाते हैं और उनके बारे में कहा जाता है कि कोई आपके एक गाल पर थप्पड़ मारे तो दूसरा गाल आगे कर दीजिए, उस पर हाथ मत उठाईए, हिंसा मत करिए. </p><p>लेकिन ये पूरा सच नहीं है. सच्चाई ये है कि गांधी को बहुत ग़ुस्सा आता था. </p><p>उनकी नाराज़गी किस सीमा तक जा सकती थी, इसकी कल्पना भी कई बार मुश्किल हो जाती है और अगर उनके आस पास रहे लोगों की किताबें पढ़ें और उनके क़िस्से जानें तो आपको मालूम होता है कि वो कितना नाराज़ होते थे लोगों पर. </p><p>कलकत्ता में स्कूली बच्चों का एक दल उनसे मिलने आया. उस समय वो बहुत नाराज़ थे और कह रहे थे कि आपकी अहिंसा ठीक नहीं है और इससे अंग्रेज़ नहीं भागेंगे और इससे कुछ नहीं होने वाला है. </p><p>गांधी ने उनसे कहा कि अगर आपको रास्ते में सांप मिल जाए और आप उस पर नाराज़ हों तो वो क्या करेगा?</p><p>सांप पर आपकी नाराज़गी का असर नहीं होगा, उल्टा वो आपको काट लेगा. दूसरा तरीक़ा अख़्तियार करिए, उसे दूसरी तरह से डील करिए. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50044363?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब गांधी को ज़हर देने से पहले रो पड़े बतख़ मियां</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50033704?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब हिंदू चाय और मुस्लिम चाय सुन बेचैन हो गए गांधी</a></li> </ul><figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/B8A0/production/_109246274_82f2e766-91b9-4728-9fed-d25679c3658d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>जब फ़िज़ूलख़र्ची पर दिया पूरा भाषण</h1><p>नमक क़ानून तोड़ने के लिए जब वो डांडी मार्च कर रहे थे, तो उस वक़्त साबरमती आश्रम और डांडी के रास्ते में पड़ने वाली भटगांव पहुंचने तक शाम हो गई और रोशनी कम हो गई थी. </p><p>भटगांव के लोगों को लगा कि गांधी आ रहे हैं और उन्हें ठोकर न लगे तो इसलिए उन्होंने शहर से पेट्रोमैक्स मंगवाया जिसे हंडा कहते थे. </p><p>हंडा लेकर दो आदमी गांधी के साथ दौड़ते थे, लेकिन गांधी की रफ़्तार बहुत तेज़ थी. </p><p>वे लगभग दौड़ते हुए पीछे पीछे चलते थे और लोग कहते थे कि और तेज़ भागो, और तेज़.</p><p>गांधी ने ये सब देखा और सुना पर तुरंत कुछ नहीं कहा लेकिन जब वो मंच पर पहुंचे तो उन्होंने कहा कि मेरी शक्ल देखने लायक़ है भी क्या?</p><p>उन्होंने अपने बारे में कहा, ‘बंदर जैसी सूरत है. दांत टूटे हुए हैं, सिर पर बाल नहीं है, आप मुझे देखना क्यों चाहते हैं. सुन तो आप हमें अंधेरे में भी सकते हैं.’ </p><p>और इसके बाद उन्होंने फ़िज़ूलख़र्ची पर और तमाम तरह की चीज़ों पर और विदेशी सामानों के इस्तेमाल पर एक लंबी चौड़ी तक़रीर की कि लोगों ने हड़बड़ाकर पेट्रोमैक्स बंद कर दिया, माफ़ी मांगी तब जाकर उनका ग़ुस्सा किसी तरह शांत हुआ. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49873446?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी जब लंदन में छड़ी के साथ नाचे…</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49854584?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">महात्मा गांधी कश्मीर, गोरक्षा, मॉब लिंचिंग, अंतर-धार्मिक विवाह पर क्या सोचते थे</a></li> </ul><figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/106C0/production/_109246276_c1677aa0-f414-47b3-8ff4-d82ced3d8375.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>प्याले पर विवाद</h1><p>उमराछी एक और जगह थी, जहां गांधी के सचिव प्यारेलाल को लगा कि बापू जिस मिट्टी के प्याले में पानी पीते हैं वो ऊपर से टूट गया है. </p><p>उन्होंने सोचा कि इसे बदल देते हैं. वो बाज़ार में ख़रीदने गए तो एक मिट्टी का प्याला छह पैसे का था और अगर वो सात या आठ पैसे देते तो उन्हें दो प्याले मिल जाते. </p><p>प्यारेलाल ने सोचा कि हो सकता है कि अगला प्याला भी टूट जाए तो उन्होंने दो प्याले ख़रीद लिये. </p><p>गांधी ने पानी पीते समय वो प्याला देखा और पूछा कि वो पुराना वाला प्याला कहां गया?</p><p>प्यारेलाल ने बताया कि ‘बापू वो प्याला टूट गया था, हमने बदल दिया’ और अपनी लगभग तारीफ़ करते हुए कहा कि ‘छह पैसे में दे रहा था तो मैंने आठ पैसे में दो ले लिए.'</p><p>गांधी ने खाना छोड़कर प्यारेलाल को बहुत डांट सुनाई और फिर संग्रह की प्रवृत्ति पर काफ़ी कुछ कहा कि ‘जिस चीज़ की ज़रूरत नहीं है उसे अपने पास इकट्ठा क्यों करते हैं, जब वो टूटेगा तब उसकी ज़रूरत पड़ सकती है. तब देखा जाएगा. उसके लिए पहले से इंतज़ाम करके क्यों बैठे हुए हैं. आप जानते हैं कि आप कितने दिन जिएंगे. आपको मालूम है कि अगला प्याला कब टूटेगा? एक वज़न मेरे ऊपर आपने और लाद दिया कि मैं अब एक की जगह दो प्याले लेकर चलूं.'</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49935081?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">गांधी@150: कैसे मर्द और कैसी मर्दानगी चाहते थे महात्मा गांधी?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49901568?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब महात्मा गांधी धोती में बकिंघम पैलेस पहुंचे</a></li> </ul><figure> <img alt="गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/12DD0/production/_109246277_4ccc306b-94e0-48b3-8dfd-44a10f91dab6.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>बकिंघम का तोड़ा प्रोटोकॉल</h1><p>गांधी के ग़ुस्से का एक और क़िस्सा है, जब 1930 में वो राउंड टेबल कांफ़्रेंस में हिस्सा लेने लंदन गए थे. ये वाक़या बकिंघम पैलेस से जुड़ा हुआ है. </p><p>न्योता आया और वे जाने के लिए तैयार हुए. उन्हें लेने कार आई थी. बकिंघम पैलेस का प्रोटोकॉल ऐसा है कि वहां तीन जगह कार रोकने की व्यवस्था है. </p><p>पहले गेट तक उनकी कारें जा सकती हैं जो कहीं किसी देश के राजा हों.</p><p>दूसरा दरवाज़ा, उनके लिए है जो किसी सरकार के मुखिया हैं, प्रधानमंत्री हैं या ऐसे ही किसी दीगर ओहदे पर हैं. और तीसरा दरवाज़ा उन लोगों के लिए हैं जो महत्वपूर्ण लोग हैं लेकिन उनके पास कोई पद नहीं है. </p><p>प्रोटोकॉल के मुताबिक़, गांधी की कार तीसरे दरवाज़े पर रुकनी थी. कार की रफ़्तार जैसे धीमी होनी शुरू हुई, गांधी को शायद प्रोटोकॉल मालूम था, उन्होंने ड्राइवर से सिर्फ़ दो शब्द कहे और बहुत सख़्ती से. </p><p>उन्होंने कहा, &quot;ड्राइव ऑन.&quot; ड्राइवर की हिम्मत नहीं हुई कि वो तीसरे दरवाज़े पर कार रोके, वो सीधा पहले गेट तक चला गया. </p><p>इस तरह के क़िस्सों का मीराबेन ने अपनी किताब में ज़िक्र किया है. बल्कि मीराबेन और सरोजिनी नायडू तो उन्हें ‘आग का गोला’ कहती थीं, कि कब वो फट पड़ें किसी को पता नहीं. </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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