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मोटर वाहन संशोधन बिल: सड़क के नियम क़ायदों में होंगे बड़े बदलाव

<p>केंद्र सरकार की कैबिनेट समिति ने मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के मसौदे को मंज़ूरी दे दी है. अब सरकार इसे संसद में पारित कराएगी.</p><p>हालांकि यह बिल पहले भी लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को पास करा लेगी. </p><p>बताया जा रहा है कि […]

<p>केंद्र सरकार की कैबिनेट समिति ने मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक के मसौदे को मंज़ूरी दे दी है. अब सरकार इसे संसद में पारित कराएगी.</p><p>हालांकि यह बिल पहले भी लोकसभा में पारित हो चुका है, लेकिन इस बार उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस विधेयक को पास करा लेगी. </p><p>बताया जा रहा है कि इस विधेयक में यातायात नियमों के उल्लंघन पर दस गुना तक जुर्माने और जेल की सज़ा का प्रावधान किया गया है.</p><p>पिछले दशक में भारत में क़रीब 12 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा चुके हैं और इससे दस गुना ज़्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं और स्थायी रूप से अपंग हो चुके हैं.</p><p>इसके जो बड़े कारण हैं, वे सड़क पर व्यवहार, इंजीनियरिंग और पुलिस के आचरण से जुड़े हैं. इस संबंध में एक नए क़ानून की ज़रूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी. </p><p>पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे के 2014 में सड़क दुर्घटना में निधन के बाद से जो काम शुरू हुआ था, उम्मीद है कि वो अब जल्द ही पूरा हो जाएगा.</p><figure> <img alt="सड़क सुरक्षा" src="https://c.files.bbci.co.uk/DB77/production/_107538165_hi041071395.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>संशोधन विधेयक में क्या है</h1> <ul> <li>इस संशोधन विधेयक में तीन-चार चीज़ें ध्यान रखने वाली हैं. पहला, पुरातन हो चुकी कई व्यवस्थाओं को अपडेट किया जा रहा है. जैसे लाइसेंसिंग सिस्टम जिसके तहत गाड़ी चलाने की इजाज़त हासिल करना इतना मुश्किल नहीं था, अब उस प्रक्रिया को भी अपडेट किया जा रहा है.</li> </ul> <ul> <li>वे सड़कयात्री जिनके दुर्घटना की चपेट में आने की आशंका सबसे ज़्यादा होती है, जैसे पैदलयात्री, साइकल सवार और बच्चे, उनकी सुरक्षा के लिए पहली बार प्रावधान लाए जा रहे हैं. पहली बार बच्चों के लिए हेलमेट की व्यवस्था लाई जा रही है. गाड़ियों में बच्चों के लिए उचित कार सीट जैसे प्रावधान आ रहे हैं.</li> </ul><figure> <img alt="सड़क सुरक्षा" src="https://c.files.bbci.co.uk/12997/production/_107538167_hi019345795.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure> <ul> <li>ख़राब सड़कों की वजह से अगर कोई हादसा होता है तो इस पर वर्तमान में सड़क बनाने वाले इंजीनियरों की कोई जवाबदेही नहीं है. लेकिन इस संशोधन में उन्हें भी क़ानून के दायरे में लाया जा रहा है और उन पर भारी जुर्माने की व्यवस्था की जा रही है.</li> </ul> <ul> <li>अभी यातायात नियमों के उल्लंघन पर बहुत अधिक रकम जुर्माने के तौर नहीं ली जाती. 1988 मे यह क़ानून पहली बार बना था और कई उल्लंघनों पर उसी समय के हिसाब से जुर्माने की रकम आज भी लागू है. अब उसे भी बढ़ाया जा रहा है.</li> </ul> <ul> <li>पहले जिन चीज़ों के लिए जुर्माना नहीं था, मसलन रॉन्ग साइड ड्राइव करना या एंबुलेंस को रास्ता न देना, अब उनके लिए भी जुर्माने का प्रावधान किया गया है. </li> </ul> <ul> <li>शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अभी दो से तीन हज़ार रुपये जुर्माना लगाया जाता है. अब पहली बार शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माने की रकम बढ़ाकर दस हज़ार रुपये की जा रही है. दूसरी बार शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 15 हज़ार रुपये जुर्माना और जेल का प्रावधान है.</li> </ul><figure> <img alt="सड़क सुरक्षा" src="https://c.files.bbci.co.uk/6331/production/_107539352_hi027550032.jpg" height="549" width="976" /> <footer>BBC</footer> </figure><h1>पिछले कार्यकाल में क्यों नहीं पारित हुआ यह विधेयक?</h1><p>इस क़ानून में सड़क सुरक्षा के अलावा भी कई प्रावधान हैं. जन परिवहन में कुछ सुधार लाए जा रहे हैं. कई प्रदेशों को ऐसा लगा था कि जन परिवहन में छेड़छाड़ से उनके राजस्व पर बुरा असर होगा. इसलिए इस विधेयक का कई प्रदेश सरकारों ने विरोध किया था.</p><p>राष्ट्रीय स्तर पर कई हड़तालें हुई थीं. इससे विधेयक अटका रहा और सड़क सुरक्षा को बहुत हानि पहुंची. सिर्फ इन पांच साल में आठ लाख लोगों की मौत हुई है. </p><p>हालांकि अब ऐसा लगता है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को मना लिया है और उन्हें भरोसा दिया गया है कि वे अपना राजस्व नहीं खोएंगे और प्रदेश परिवहन से जुड़ा हर फैसला उनसे बात करके किया जाएगा.</p><p><em>(बीबीसी संवाददाता प्रदीप कुमार से पीयूष तिवारी की बातचीत पर आधारित. पीयूष </em><em>'</em><em>सेव लाइफ़ फाउंडेशन</em><em>'</em><em> के प्रमुख हैं जो सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर काम करते हैं.</em><em>)</em></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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