28.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

रिटायरमेंट के बाद

संतोष उत्सुक व्यंग्यकार सारे जहां से अच्छे हमारे देश में सरकारी नौकरी मिलना भी मुश्किल है और रिटायर होने के बाद आराम से रहना तो और भी मुश्किल. हम रिटायर होकर आये ही थे कि एक पुराने घिसे-पिटे रिटायरी मिल गये. बोले- कहां रहते हो. मैंने कहा- अब घर पर हूं. उन्होंने पूछा- छुट्टी पर […]

संतोष उत्सुक

व्यंग्यकार

सारे जहां से अच्छे हमारे देश में सरकारी नौकरी मिलना भी मुश्किल है और रिटायर होने के बाद आराम से रहना तो और भी मुश्किल. हम रिटायर होकर आये ही थे कि एक पुराने घिसे-पिटे रिटायरी मिल गये. बोले- कहां रहते हो. मैंने कहा- अब घर पर हूं. उन्होंने पूछा- छुट्टी पर हो क्या? मैंने कहा- अब हमारी पूरी छुट्टी हो गयी है, रिटायर हो गया हूं. ओह्हो! उनके मुंह से तपाक निकला. हमने बोला- अभी तो हम स्वस्थ और जीवित हैं. मेरी रिटायरी से आपको दुख क्यों हुआ?

मैंने पूछा- आपको रिटायर हुए कई साल हो गये हैं, आप अपनी मर्जी की जिंदगी के मजे ले रहे हैं. आपको अच्छा नहीं लगता क्या? उन्होंने जवाब दिया- अजी क्या मजे ले रहे हैं, कभी भूख लगे और पत्नी से कहूं कि थोड़ा पोहा बना दो, तो वो कहेंगी- परसों का बना सूजी का हलवा खा लो, खत्म नहीं हो रहा है.

चाय को कहो तो सुनायेंगी- अभी थोड़ी देर पहले तो पी थी, आजकल तुम चाय बहुत पीने लग गये हो. वो बोलेंगी मेरे कपड़े प्रेस कर दो, धनिया तोड़ दो. उसके बाद फिर याद भी दिलायेंगी कि ठीक से करना दोनों काम.

आप क्या करेंगे अब, उन्होंने मुझसे पूछा. मैंने कहा कि जिंदगी का भरपूर मजा लूंगा. उन्हें मेरा कहा समझ नहीं आया, वे पूछे- क्या करेंगे? मैंने कहा- पत्नी का कहना ज्यादा मानना शुरू करूंगा, घर के कामों में हाथ बटाऊंगा. इस पर वे बोले कि वह तो करना ही पड़ेगा. कोई नौकरी कर लो. इतने में पत्नी का फोन आ गया, सब्जी, आलू और प्याज ले आना, सब्जी छांट कर लाना. प्याज आधे बड़े लाना आधे छोटे-छोटे लाना.

फोन बंद ही किया था कि पुराना गंजा क्लासमेट मिल गया- आ गया रिटायर होकर, फेसबुक पर तो दिखा नहीं? हमने कहा- फेसबुक तो फेक है. हम तो फेस टू फेस हैं प्यारे. उसने कहा- फेसबुक पर आजा, पूरा दिन बढ़िया जायेगा. अपने गंजे सिर पर बचे छियासी बालों पर हाथ फेरते हुए, मेरे दोस्त के चेहरे पर क्या संतुष्टि थी. हम अच्छा कहकर निकले.

बाग में सुबह की सैर करते, रिटायरमेंट से जूझते हुए एक और दोस्त मिले, बोले कि आ गये छूटकर. मुझे लगा, जैसे सरकारी नौकरी से रिटायर होकर नहीं, जेल से छूटकर आया हूं. वे बोले- यार सरकारी नौकरी में बहुत इज्जत रहती थी.

घर पर सारी चीजें समय पर मिलती थीं, कितने लोग सलाम करते थे. मैंने कहा- आजकल क्या शगल है? वे बोले- अब तो अच्छे से कपड़े प्रेस करना सीख लिया है. अनार के दाने निकाल-निकालकर गजब की सहनशक्ति उग आयी है. मैंने पूछा- तुम्हें लिखने का शौक भी तो? दोस्त बोले- अब मुझे अच्छी तरह समझा दिया गया है कि अब न कहानियां लिखने की जरूरत है, न कहानियां डालने की.

इससे पहले कि कोई और मिले और मुझे ज्यादा ‘टायर’ कर दे, मैंने जल्दी से सब्जी मंडी का रुख किया, जहां से अपनी पत्नी की पसंद की सब्जियां खरीदनी थी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें