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ताज उर्फ रोजगार योजना

आलोक पुराणिक व्यंग्यकार जैसा कि सब नहीं जानते, ताज मूलतः एक रोजगार योजना है. शाहजहां ने ताज का निर्माण करा के लाखों मजदूरों को रोजगार दिया था. उस रोजगार योजना में मनरेगा टाइप कोई घपला हो गया था, इसलिए औरंगजेब ने उसकी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी. खैर ताज आज तक लगातार कई तरह […]

आलोक पुराणिक
व्यंग्यकार
जैसा कि सब नहीं जानते, ताज मूलतः एक रोजगार योजना है. शाहजहां ने ताज का निर्माण करा के लाखों मजदूरों को रोजगार दिया था. उस रोजगार योजना में मनरेगा टाइप कोई घपला हो गया था, इसलिए औरंगजेब ने उसकी फंडिंग रोकने की सिफारिश की थी. खैर ताज आज तक लगातार कई तरह से रोजगार दे रहा है.
साल 1963 में ताजमहल नाम से बनी फिल्म में कई कलाकारों को रोजगार मिला था. ताज से रोजगारशुदा कलाकारों में प्रदीप कुमार, बीना रॉय, रहमान, हेलेन जैसे कलाकार थे. इस फिल्म में लता मंगेशकर, मुहम्मद रफी को गायन रोजगार मिला था और साहिर लुधियानवी को गीत-लेखन रोजगार मिला था. यह हिट फिल्म बहुत सिनेमाघरों हफ्तों चली थी. बहुतों को रोजगार मिला था.
कालांतर में भी ताजमहल ने रोजगार देने की परंपरा जारी रखी. टाटा समूह ने ताजमहल होटल में कईयों को रोजगार दिया. फिर ताजमहल चाय बनाने और बेचने में भी कइयों को रोजगार मिला. ताज ने धड़ाधड़ रोजगार देने का काम जारी रखा.
रोजगार देने की परंपरा को ताजमहल ने कायम रखा है. अब इससे कई नेताओं और टीवी चैनलों को रोजगार मिल रहा है. कोई नेता यह कहकर दिन भर टीवी कवरेज पा जाता है कि ताज को गद्दारों ने बनवाया. कोई यह कहके चर्चित होता है कि ताज एक खूबसूरत कब्रिस्तान है. फिर टीवी चैनलों को यह दिखाने का रोजगार मिल जाता है कि क्या ताजमहल में था बाबा रामरहीम और हनीप्रीत का गुप्त ठिकाना!
ताजमहल को अगर टेलीकाॅम-मोबाइल कंपनियों के हवाले कर दिया जाये, तो ताज से और ज्यादा रोजगार और कमाई का सृजन संभव है. कंपनियां ताजमहल को पैकेजों में बांट देंगी, सिर्फ फोटो देखने के हजार रुपये, थोड़ा अंदर जाने के दो हजार रुपये. ताज की दो गुंबद आगे से देखने के पांच हजार रुपये.
ताज के चारों गुंबद देखने का गोल्ड प्लान लेने के दस हजार रुपये. पूरा ताज हर तरफ से देखने के बीस हजार रुपये, नाइट प्लान में पूरा ताज सिर्फ दस हजार रुपये में देखा जा सकता है- ऐसी योजना कंपनियां आॅफर कर सकती हैं. इस तरह से ताजमहल से टेलीकाॅम कंपनियां कमाई और रोजगार को बढ़ा सकती हैं. ताज में रोजगार सृजन की अपार संभावनाएं छिपी हैं.
ताज ने अभिषेक बच्चन तक को रोजगार दिया. साल 2005 में आयी फिल्म बंटी और बबली में अभिषेक बच्चन ताजमहल को बेचते हुए दिखायी दिये. ताज मूलत रोजगारपरक योजना है. बरसों बाद भी इससे कइयों को रोजगार मिल रहा है.इस तरह हम देख सकते हैं कि ताजमहल एक व्यापक रोजगार योजना है, जिसमें और व्यापक होने की व्यापक संभावनाएं हैं.

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