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भाजपा के हिंदीभाषी मतदाता जनाधार में क्या सेंधमारी कर पायेगी तृणमूल!

वर्ष 2014 में चार विधानसभा क्षेत्रों से मिली थी 99 हजार मतों की बढ़त हिंदीभाषी को मेयर बना तृणमूल ने खेला ट्रंप कार्ड, विधायक का टिकट भी हिंदी माध्यम शिक्षा के क्षेत्र में कई पहलकदमियां, खुला कॉलेज, रूका पलायन आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 70 […]

वर्ष 2014 में चार विधानसभा क्षेत्रों से मिली थी 99 हजार मतों की बढ़त

हिंदीभाषी को मेयर बना तृणमूल ने खेला ट्रंप कार्ड, विधायक का टिकट भी
हिंदी माध्यम शिक्षा के क्षेत्र में कई पहलकदमियां, खुला कॉलेज, रूका पलायन
आसनसोल : आसनसोल संसदीय क्षेत्र में वर्ष 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की 70 हजार से अधिक मतों की जीत में निर्णायक भूमिका निभानेवाले हिंदीभाषी मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने के लिए तृणमूल ने पिछले पांच वर्षों में लगातार पहल की है.
अब चुनाव परिणाम ही बता पायेगा कि तृणमूल का भाजपा के इस वोट आधार में सेंधमारी करने में कितना सफलता मिली है. वैसे भाजपा को अपने इस समर्थक वोट पर पूरा यकीं है. हिंदी भाषी प्रत्याशी के न रहने का लाभ भी भाजपा अपने पक्ष में बता रही है.
पिछले संसदीय चुनाव में कुल 14 प्रत्याशियों ने अपनी किस्मत आजमाई थी. इनमें भाजपा, तृणमूल तथा वाममोर्चा को छोड़ कर कांग्रेस सहित सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई थी. भाजपा को 4,19,983 मत, तृणमूल को 3,49,503 मत तथा 2,55,809 मत मिले थे. इस चुनाव में पहली बार हिंदीभाषी मतदाताओं ने निर्णायक भूमिका निभाई थी.
आसनसोल संसदीय क्षेत्र में हिंदीभाषी मतदाताओं की संख्या 52 फीसदी होने के दावे हैं. संसदीय क्षेत्र अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र हैं. इनमें कुल्टी, आसनसोल नॉर्थ, आसनसोल साउथ तथा रानीगंज हिंदीभाषी बहुल इलाके हैं. जबकि बाराबनी, जामुड़िया तथा पांडेश्वर विधानसभा क्षेत्र में हिंदीभाषी मतदाता होने के बाद भी निर्णायक भूमिका में नहीं है.
भाजपा के पक्ष में हिंदीभाषी मतदाताओं की गोलबंदी के कारण ही भाजपा के हिंदीबहुल विधानसभा क्षेत्रों में भारी बढ़त मिली थी. कुल्टी विधानसभा में भाजपा को 80,848 मत मिले थे. जबकि तृणमूल को 40,563 मत तथा वाममोर्चा को मात्र 18,625 मत मिले थे. इस क्षेत्र से भाजपा को 40 हजार मतों की बढ़त मिली थी. आसनसोल नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को 79,748 मत, तृणमूल को 54,784 मत तथा वाममोर्चा को 24,475 मत मिले थे.
इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 25 हजार मतों की बढ़त मिली थी. इसी तरह आसनसोल साउथ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को 76,415 मत, तृणमूल को 55,353 मत तथा वाममोर्चा को 33,214 मत मिले थे. इस विधानसभा क्षेत्र से भी भाजपा को 21 हजार मतों की बढ़त मिली थी. रानीगंज विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 61,758 मत, तृणमूल को 48,766 मत तथा वाममोर्चा को 45,361 मत मिले थे. इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को 13 हजार मतों की बढ़त मिली थी. इस प्रकार हिंदीभाषी मतदाता बहुल विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने 99 हजार मतों की बढ़त ली थी.
लेकिन अन्य तीन विधानसभा क्षेत्रों के बाराबनी में भाजपा को 49,986 मत, तृणमूल को 48,573 मत तथा वाममोर्चा को 42,179 मत मिले थे. भाजपा को मात्र 1400 मतों की बढ़त मिली. जबकि जामुड़िया विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को 38,322 मत, तृणमूल को 47,472 मत तथा वाममोर्चा को 47,735 मत मिले. यहां भाजपा तृणमूल तथा वाममोर्चा से नौ हजार मतों के अंतर से पिछड़ गई. इसी तरह पांडेश्वर में भाजपा को 32,810 मत, तृणमूल को 53,924 मत तथा वाममोर्चा को 44,217 मत मिले. यहां भाजपा तृणमूल से 21 हजार मतों से पिछड़ गई.
70 हजार मतों के अंतर से हुई करारी हार के बाद तृणमूल नेतृत्व ने हिंदीभाषी मतदाताओं को जोड़ने की दिशा में लगातार पहल की. अब चुनावी परिणाम ही बता पायेगा कि इस पहल का कितना लाभ तृणमूल को मिला.

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