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पाक सेना ने इमरान को पद छोड़ने का फरमान जारी करने वाले मौलाना फजलुर रहमान को दी चेतावनी, जानिये क्या कहा…?

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना ने शनिवार को आगाह किया कि देश में किसी को भी अस्थिरता या अराजकता उत्पन्न नहीं करने दी जायेगी. इससे एक दिन पहले ही धर्मगुरु एवं राजनीतिज्ञ मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान के पद छोड़ने के लिए दो दिन की समयसीमा तय की थी. कट्टरपंथी धर्मगुरु रहमान ने वर्तमान […]

इस्लामाबाद : पाकिस्तानी सेना ने शनिवार को आगाह किया कि देश में किसी को भी अस्थिरता या अराजकता उत्पन्न नहीं करने दी जायेगी. इससे एक दिन पहले ही धर्मगुरु एवं राजनीतिज्ञ मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान के पद छोड़ने के लिए दो दिन की समयसीमा तय की थी. कट्टरपंथी धर्मगुरु रहमान ने वर्तमान सरकार को हटाने के लिए आयोजित प्रदर्शन रैली को यहां शुक्रवार को संबोधित किया था. प्रदर्शन रैली को ‘आजादी मार्च’ नाम दिया गया है.

रहमान ने अपने संबोधन में कहा कि ‘पाकिस्तान के बोर्बाच्येव’ को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के धैर्य की परीक्षा लिए बिना इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान पर शासन करने का अधिकार केवल देश के लोगों को है, किसी ‘संस्थान’ को नहीं. उन्होंने शुक्रवार को कहा था कि हम हमारे संस्थानों के साथ कोई टकराव नहीं चाहते. हम चाहते हैं कि वे तटस्थ रहें. हम संस्थानों को भी यह निर्णय करने के लिए दो दिन का समय देते हैं कि क्या वे इस सरकार को समर्थन जारी रखेंगे.

रहमान की टिप्पणी पर पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि मौलाना फजलुर रहमान एक वरिष्ठ नेता हैं. उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वे किस संस्थान के बारे में बात कर रहे हैं. पाकिस्तान का सशस्त्र बल एक तटस्थ संस्थान है, जिसने हमेशा ही लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों का समर्थन किया है. उन्होंने आगाह किया कि किसी को भी अस्थिरता उत्पन्न नहीं करने दी जायेगी, क्योंकि देश अराजकता बर्दाश्त नहीं कर सकता.

गफूर ने कहा कि सेना तटस्थ है और वह संविधान के अनुरूप लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों का ही समर्थन करती है. उन्होंने 2018 आम चुनाव के दौरान सेना की तैनाती का बचाव किया. उसने कहा कि इससे चुनावों में संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी हुई. उन्होंने कहा कि यदि विपक्ष को (परिणामों के बारे में) कोई आपत्ति है, तो उसे सड़कों पर आरोप लगाने की बजाय प्रासंगिक मंचों पर जाना चाहिए.

गफूर ने कहा कि लोकतंत्र से जुड़े मुद्दों को लोकतांत्रिक रूप से सुलझाया जाना चाहिए और उन्होंने प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच सम्पर्क की सराहना की. रहमान ने विपक्षी नेताओं के साथ बैठक के बाद गफूर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया में मीडिया से कहा कि सैन्य प्रवक्ता को ऐसे बयान देने से परहेज करना चाहिए, जो सेना की तटस्थता का उल्लंघन करे. उन्होंने कहा कि यह बयान किसी नेता की ओर से आना चाहिए था, सेना की ओर से नहीं.

उन्होंने घोषणा की कि यदि प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा दो दिन की समयसीमा का पालन नहीं किया जाता है, तो विपक्ष शनिवार को बैठक करेगा और आगे के कदम पर निर्णय किया जायेगा. रहमान की जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल के नेतृत्व वाला आजादी मार्च गुरुवार को अपने अंतिम गंतव्य स्थल पहुंचा. मार्च सिंध प्रांत से शुरू हुआ था और बुधवार को लाहौर से निकला था.

प्रधानमंत्री खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए आयोजित इस मार्च में रहमान के साथ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और आवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के नेता भी हैं. वहीं, प्रदर्शन से बेपरवाह प्रधानमंत्री खान ने शुक्रवार को गिलगिट-बाल्टिस्तान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रदर्शनकारियों से कहा कि उनसे किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि वे दिन लद गये, जब लोग सत्ता में आने के लिए इस्लाम का इस्तेमाल करते थे. यह नया पाकिस्तान है. जब तक चाहें, बैठें. जब आपकी खाद्य सामग्री समाप्त हो जायेगी, तो और भेज दी जाएगी. हालांकि, हम आपको राष्ट्रीय सुलह अध्यादेश (एनआरओ) नहीं देंगे. एनआरओ अक्टूबर 2007 में भ्रष्टाचार, धनशोधन, हत्या और आतंकवाद के आरोपी नेताओं, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और नौकरशाहों को माफी प्रदान करने के लिए जारी किया गया था.

उन्होंने कहा कि वे किससे आजादी चाहते हैं? मैं चाहता हूं कि मीडिया वहां जाए और लोगों से पूछे कि वे किससे आजादी चाहते हैं. खान ने कहा कि प्रदर्शन रैली ने पाकिस्तान के शत्रुओं को खुश किया है. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, उनके भाई शाहबाज, पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा कि मैं उन सभी को जेल में डालूंगा.

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