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Farmers Protest: हरियाणा में 15 फरवरी तक इंटरनेट ठप, दिल्ली पुलिस ने कहा- ‘वो आक्रामक होंगे तो हम भी…’

किसान आंदोलन ने फिर एक बार जोर पकड़ा है. किसानों के मार्च के पहले दिन कई हिंसा की घटनाएं भी देखने को मिली. दिल्ली घुसने की कोशिश कर रहे किसानों को पुलिस का सामना करना पड़ा. वहीं, दिल्ली के सीमावर्ती राज्यों ने भी एहतियातन तैयारियां कर ली है.

Farmers Protest Update: किसान आंदोलन ने फिर एक बार जोर पकड़ा है. किसानों के मार्च के पहले दिन कई हिंसा की घटनाएं भी देखने को मिली. दिल्ली घुसने की कोशिश कर रहे किसानों को पुलिस का सामना करना पड़ा. वहीं, दिल्ली के सीमावर्ती राज्यों ने भी एहतियातन तैयारियां कर ली है. हरियाणा सरकार ने किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन के मद्देनजर सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट और एक साथ कई संदेश भेजने की सेवाओं पर निलंबन मंगलवार को दो दिन बढ़ाकर 15 फरवरी तक कर दिया.

हरियाणा के इन जिलों में प्रतिबंध लागू

हरियाणा सरकार ने एक आदेश में कहा कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में यह प्रतिबंध लागू रहेगा. उधर, पंजाब सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस के साथ झड़प के बाद कई किसानों के घायल होने के मद्देनजर हरियाणा सीमा से सटे अस्पतालों में अलर्ट जारी कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकार ने हरियाणा सीमा पर एंबुलेंस की संख्या बढ़ा दी है, इसके अलावा चिकित्सकों और अन्य कर्मचारियों को ड्यूटी पर रहने के लिए कहा है. उन्होंने बताया कि सरकार ने संगरूर, पटियाला, डेरा बस्सी, मनसा और बठिंडा में स्थित अस्पतालों को अलर्ट जारी किया है.

‘आंदोलनकारी आक्रामकता दिखाये तो रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं’

वहीं, दिल्ली पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने की तैयारियों के बीच एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को सुरक्षा कर्मियों को निर्देश दिया कि अगर आंदोलनकारी आक्रामकता दिखाते हैं तो उन्हें रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है. विशेष पुलिस आयुक्त (कानून एवं व्यवस्था) रवींद्र यादव ने मंगलवार शाम सिंघू सीमा का दौरा किया जहां सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है. उन्होंने वहां तैनात पुलिस कर्मियों और अर्द्धसैनिक बल के जवानों से कहा कि अगर किसान दिल्ली में प्रवेश करने में कामयाब होते हैं तो हमारा पूरा अभियान विफल हो जाएगा.

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सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की जरूरत

उन्होंने सुरक्षा बलों से कहा कि उन्हें तार्किक रूप से और अपनी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कार्य करने की आवश्यकता है. यादव ने माइक्रोफोन और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हुए कर्मियों से कहा, अगर वे आक्रामक तरीके से पेश आते हैं, तो हमें और अधिक आक्रामकता दिखानी होगी. तभी हम उन्हें रोक सकते हैं. अगर वे आक्रामक होते हैं, तो हमें रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है. वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें आंसू गैस के गोले दागने होंगे, लाठियां चलानी होंगी और खुद को बचाना होगा. यह प्रक्रिया एक दिन तक चल सकती है.’

हिंसा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती

रवींद्र यादव ने कहा कि पुलिस का मुख्य उद्देश्य किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकना है और उन्हें कानून-व्यवस्था बिगाड़ने या हिंसा में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. मुख्यत: उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कई किसान संगठनों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग को लेकर 13 फरवरी को विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है. उनमें से कुछ ‘दिल्ली चलो’ अभियान के तहत मार्च कर रहे हैं.

‘बैरिकेड के पास बैठने से कोई समस्या नहीं’

दिल्ली पुलिस ने पूरे शहर में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी है और अपनी सीमाओं को पूरी तरह से सुरक्षित कर दिया है. सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी के लिए ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों जैसे निगरानी उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है. रवींद्र यादव ने कहा कि अगर किसानों को यह समझ आ गया कि वे दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाएंगे तो वे बैरिकेड के पास बैठ जाएंगे. उन्होंने कर्मियों से कहा, ‘हमें उनके बैरिकेड के पास बैठने से कोई समस्या नहीं है. यह एक नीतिगत मामला है और सरकार तय करेगी कि वे कब तक यहां बैठ सकते हैं.’

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