आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की आमदनी सीमा घटाएगी मोदी सरकार, रोजगार की तलाशने वाले लाखों को युवकों को होगा फायदा

सुप्रीम कोर्ट में तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और विक्रम नाथ वाली बेंच को बताया कि मेरे पास यह कहने का निर्देश है कि सरकार ने ईडब्ल्यूएस के मानदंडों पर फिर से विचार करने का फैसला किया है. हम एक समिति बनाएंगे और चार सप्ताह के भीतर फैसला करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2021 12:06 PM

नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की निर्धारित आय की सीमा घटा सकती है. खबर है कि मोदी सरकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की आय सीमा को घटाने को लेकर समीक्षा करने जा रही है, जिसमें सालाना आय को आठ लाख से घटाया जा सकता है.

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की आमदनी सीमा को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कोर्ट की आमदनी सीमा पर केंद्र सरकार दोबारा विचार करेगी. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की सालाना आय की समीक्षा करने के लिए सरकार एक समिति गठित करेगी.

सुप्रीम कोर्ट में तुषार मेहता ने जस्टिस सूर्यकांत और विक्रम नाथ वाली बेंच को बताया कि मेरे पास यह कहने का निर्देश है कि सरकार ने ईडब्ल्यूएस के मानदंडों पर फिर से विचार करने का फैसला किया है. हम एक समिति बनाएंगे और चार सप्ताह के भीतर फैसला करेंगे. हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मानदंड पर दोबारा विचार करेंगे.

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बता दें कि देश भर से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों की आमदनी का मानदंड तय करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से अपनाई गई कार्यप्रणाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिछले दो महीनों के दौरान कई याचिकाएं दायर की गई हैं. सर्वोच्च अदालत ने ऐसी कई याचिकाओं की जांच की, जिनमें वर्तमान शैक्षणिक साल 2021-22 से मेडिकल में दाखिले के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों के भीतर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के छात्रों के 10 फीसदी आरक्षण को चुनौती दी गई है.

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