भारत के 53वें चीफ जस्टिस बने न्यायमूर्ति सूर्यकांत, फोटोज में देखें पूरा शपथ ग्रहण समारोह

Justice Suryakant takes oath as India's 53rd Chief Justice: जस्टिस बी.आर, गवई का कार्यकाल सोमवार को पूरा हो गया. उनकी जगह न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश की शपथ ली. फोटोज में देखें उनका शपथ ग्रहण समारोह.

By Anant Narayan Shukla | November 24, 2025 5:51 PM

Justice Suryakant takes oath as India’s 53rd Chief Justice: न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. न्यायमूर्ति कांत ने न्यायमूर्ति बी.आर. गवई का स्थान लिया है. चीफ जस्टिस कांत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. अब वे लगभग 15 महीनों तक भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवाएँ देंगे. 9 फरवरी 2027 को 65 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद पद छोड़ देंगे.

चीफ जस्टिस सूर्यकांत उनका जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. उन्होंने 1981 में सरकारी पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, हिसार से स्नातक किया और 1984 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून में स्नातक की डिग्री ली. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने 1984 में हिसार की जिला अदालत से वकालत शुरू की. इसके बाद वे 1985 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अभ्यास करने के लिए चंडीगढ़ चले गए. वर्ष 2000 में वे हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने. उनके पास 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर (LLM) की डिग्री ‘फर्स्ट क्लास फर्स्ट’ के साथ हासिल करने का विशेष गौरव भी है.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार, 24 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में पद की शपथ दिलाई. इस दौरान उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे. फोटो- pti.

जस्टिस कांत को 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. 2019 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने के बाद वे कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे, जिनमें हाल ही में राष्ट्रपति के संदर्भ से जुड़ा वह फैसला भी शामिल है जिसमें राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों से निपटने में राज्यपाल और राष्ट्रपति की शक्तियों पर निर्णय दिया गया. वे उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने औपनिवेशिक काल के देशद्रोह कानून पर रोक लगाई और निर्देश दिया कि सरकार समीक्षा पूरी होने तक इस कानून के तहत कोई नया मामला दर्ज न किया जाए.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार, 24 नवंबर 2025 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई. फोटो- pti

चीफ जस्टिस कांत ने बिहार में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान मतदाता सूची के मसौदे से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने के मामले में चुनाव आयोग को विस्तृत जानकारी सामने रखने के लिए भी कहा. यह सुनवाई विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हो रही थी.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (cji) के रूप में शपथ लेने के बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हुए दिखाई दे रहे हैं. फोटो- pti.

उन्होंने उस पीठ का नेतृत्व भी किया जिसने एक महिला सरपंच को उसके पद से अवैध रूप से हटाए जाने पर पुनः बहाल किया और इस मामले में लैंगिक पूर्वाग्रह को लेकर सख्त टिप्पणी की. उन्हें बार एसोसिएशनों, जिसमें सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन भी शामिल है, में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने का निर्देश देने का श्रेय भी दिया जाता है.

एक नजदीकी क्षण- न्यायमूर्ति सूर्यकांत नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (cji) के रूप में शपथ लेने के बाद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करते हुए. फोटो- pti.

चीफ जस्टिस कांत उस पीठ का हिस्सा भी थे जिसने 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा में हुई चूक की जांच के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस इंदु मल्होत्रा की अध्यक्षता में पांच-सदस्यीय समिति नियुक्त की, यह कहते हुए कि ऐसे मामलों में न्यायिक रूप से प्रशिक्षित दिमाग की आवश्यकता होती है. उन्होंने सशस्त्र बलों के लिए वन रैंक-वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया और महिला सैन्य अधिकारियों द्वारा स्थायी कमीशन में समानता की मांग करने वाली याचिकाओं की सुनवाई जारी रखी.

राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान न्यायमूर्ति सूर्यकांत के साथ. फोटो- pti.

चीफ जस्टिस कांत सात-न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) फैसले को पलट दिया, जिससे विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक दर्जा बहाली पर पुनर्विचार का रास्ता खुला. वे पेगासस स्पाइवेयर मामले की सुनवाई करने वाली पीठ का भी हिस्सा थे, जिसने अवैध निगरानी के आरोपों की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की एक समिति नियुक्त की, यह कहते हुए कि राज्य राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर मुक्त छूट नहीं पा सकता.

नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में सोमवार, 24 नवंबर 2025 को आयोजित भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यायमूर्ति सुर्या कांत के साथ नजर आए. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, जेपी नड्डा और अन्य विशिष्ट अतिथि भी उपस्थित थे. फोटो- pti

पिछले छह वर्षों में उन्होंने 300 से अधिक फैसले लिखे हैं. वे कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे, जिनमें शामिल हैं, अनुच्छेद 370 हटाने को संवैधानिक ठहराने वाला फैसला, नागरिकता अधिनियम की धारा 6A पर निर्णय, पूर्व दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने वाला फैसला, राज्यपाल और राष्ट्रपति द्वारा राज्य विधेयकों पर निर्णय लेने की समयसीमा तय करने वाला राष्ट्रपति संदर्भ, बिहार मतदाता सूची संशोधन मामला और पेगासस स्पाइवेयर मामले की जांच के आदेश दिए.

शपथ ग्रहण के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश (cji) सुर्या कांत ने सोमवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने के बाद अपने परिवार के सदस्यों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. फोटो- pti

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने वीर परिवार सहायता योजना 2025 शुरू की, जिसका उद्देश्य सैनिकों, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को मुफ्त कानूनी सहायता देना है. सुप्रीम कोर्ट में लगभग 90,000 लंबित मामलों को अपनी सबसे बड़ी चुनौती बताया. उनका लक्ष्य है न्यायिक संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर लंबित मामलों में तेजी से कमी लाना.

मुख्य न्यायाधीश (cji) सूर्यकांत अपने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान पूर्व cji बी. आर. गवई के साथ. फोटो- pti.

हाईकोर्ट और निचली अदालतों में रुके मामलों को आगे बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित संबंधित मामलों को प्राथमिकता से निपटाने की योजना. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता के लिए अनुशासन, निरंतरता और दक्षता बेहद जरूरी हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, जेपी नड्डा और अन्य गणमान्य व्यक्ति नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान उपस्थित रहे. फोटो- pti.

उन्होंने अपनी न्यायिक सोच को मानवतावादी (Humanistic) बताया. उनके अनुसार न्यायाधीश का काम तटस्थ व्याख्याकार होना चाहिए, लेकिन सामाजिक यथार्थ भी समझना चाहिए. न्यायमूर्ति कांत ने बताया कि एक किसान का धैर्य उन्हें सिखाता है कि न्याय समय और सावधानी की मांग करता है. एक कवि की संवेदना उन्हें हर मामले के मानव पक्ष को समझने की क्षमता देती है. उनके अनुसार कानून ढांचा देता है, लेकिन मानवीय समझ न्याय की आत्मा है.

53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और न्यायमूर्ति सूर्यकांत. फोटो- pti.

वे सुप्रीम कोर्ट में केस मैनेजमेंट, डिजिटल तकनीक, और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार को तेज करने के पक्षधर हैं. उन्होंने कहा कि छोटे-छोटे सुधार भी न्यायिक व्यवस्था पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं. न्यायमूर्ति कांत नेतृत्व में संवेदनशीलता और संवाद को अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हैं. उन्होंने कहा कि मध्यस्थता (मेडिएशन) न्याय प्रणाली पर दबाव कम करने का सबसे बड़ा समाधान बन सकती है. सरकारी एजेंसियों को भी अधिक से अधिक मामलों में मध्यस्थता अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता बताई.

ये भी पढ़ें:-

Project Tiger 1973: बाघ से पहले भारत का राष्ट्रीय पशु कौन था, फिर क्यों बदला गया राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक?

Tipu Sultan : कौन था लीजेंड टीपू सुल्तान जिसके लिए आज कहा जा रहा है-टीपू-ईपू को समुद्र में फेंको

Mughal Harem Stories : जब हरम की औरतों को सड़क पर नंगा कर पीटा गया और भूख से हुई रानियों की मौत