राजेन्द्र कुमार, लखनऊ
लखनऊ: बसपा सरकार के शासन में नोएडा और लखनऊ में बनाए गए स्मारकों में मंत्री, विधायक , इंजीनियर और ठेकेदारों के गठजोड़ ने करीब 14 अरब का घोटाला किया था.
लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा द्वारा मुख्यमंत्री को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को क्लीनचिट देते हुए उनकी सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा और नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत 199 लोगों को घोटाले का ज़िम्मेदार ठहराया गया है. पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और अफसरों से घोटाले की तीस फीसदी रकम वसूलने की सिफारिश लोकायुक्त ने की है. घोटालेबाज नेताओं तथा अफसरों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित के मामले में कार्रवाई करने की मांग लोकायुक्त ने की है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस रिपोर्ट पर न्यायिक परामर्श लेकर कार्रवाई करने का वायदा किया है.
लोकायुक्त की इस रिपोर्ट से बसपा प्रमुख मायावती को बड़ी राहत मिली है, वहीं उनके दाहिने हाथ माने जाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी की मुश्किलें बढ़ गई हैं . आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के एक मामले में तो लोकायुक्त ने उनके खिलाफ सीबीआई या प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की सिफारिश प्रदेश सरकार से की थी. परन्तु नसीमुद्दीन के कुछ चहेते अफसरों ने उन्हें बचा लिया था. अब फिर लोकायुक्त ने उन्हें स्मारक घोटाले का प्रमुख दोषी माना है. बाबू सिंह कुशवाहा तो एनआरएचएम घोटाले में इस वक्त जेल में हैं और उन्होंने स्मारक घोटाले के बाबत लोकायुक्त को जो बयान दिया है, उसमें उन्होंने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को ही स्मारकों के निर्माण का मुख्य कर्ताधर्ता बताया है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री मायावती ने लखनऊ व नोएडा में करीब 43 अरब रुपये खर्च कर स्मारक व पार्क बनवाए थे. जनता से वसूले गए धन से बने स्मारक और पार्क में नेताओं और अफसरों के कमीशन लेने संबंधी मिली तमाम शिकायतों पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकायुक्त को इसकी जांच सौंपी थी. आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) को भी लोकायुक्त के आधीन किया गया, ताकि तेजी से जांच पूरी की जा सके.
गत 15 अप्रैल को ईओडब्लू ने अपनी जांच रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंपी थी. जिसका परीक्षण करने के बाद लोकायुक्त ने मायावती सरकार के दो मंत्री बाबू सिंह और नसीमुद्दीन सिद्दीकी, तीन विधायक, 72 इंजीनियर तथा कई ठेकेदार व निजी कम्पनियों मालिकों सहित कुल 199 लोगों को दोषी माना. लोकायुक्त का कहना है कि स्मारकों के निर्माण में धन कमाने के लिए कई इंजीनियरों ने अपने नातेदारों की कम्पनियों को ठेका दिया. कई कम्पनियों ने बिना खनन पंट्टे के ही पत्थरों की आपूर्ति की और ऐसी कम्पनियों को भुगतान भी बिना विलंब किया गया.
बाबू सिंह कुशवाहा ने यह माना है कि नसीमुद्दीन की जानकारी में अफसरों के कारनामे थे. उनके इस बयान और जांच में मिले तमाम सबूतों के आधार पर लोकायुक्त ने पाया कि इन दोनों मंत्रियों की जानकारी में स्मारक बनाने के लिए पैसे लेकर ठेकदारों को ठेका दिए गए और ठेके का पेमेंट होते समय ठेकेदारों से पैसे बसूले गए. मायावती को क्लीनचिट देने के बाबत लोकायुक्त कहते हैं कि मुख्यमंत्री के स्तर से स्मारकों के निर्माण के लिए स्पष्ट और परादर्शी निर्देश थे, जिनके पालन में निचले स्तर पर धांधली हुई. इसलिए मायावती को क्लीनचिट दी गई है. लोकायुक्त की इस रिपोर्ट पर भाजपा प्रवक्ता विजय पाठन ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है.