कोलकाता : गंगा नदी को जल से पोषित करने वाले गंगोत्री ग्लेशियर का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है और एक अध्ययन से पता चला है कि वहां हर साल अधिकतम तापमान में 0.9 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि और बर्फबारी में 37 सेंटीमीटर की कमी हो रही है. जलवायु वैज्ञानिकों की एक टीम ने वर्ष 2000 से लेकर 2012 तक की अवधि में 13 साल तक बर्फ और मौसम संबंधी मानकों का विश्लेषण किया.
हिम एवं हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान, चंडीगढ की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दशक के दौरान अधिकतम और न्यूनतम तापमान में क्रमश: 0.9 डिग्री सेल्सियस तथा 0.05 डिग्री सेल्सियस की बढोतरी का खुलासा हुआ. दशक के दौरान वार्षिक बर्फबारी में 37 सेंटीमीटर की कमी का खुलासा हुआ.” रिपोर्ट जल्द ही करंट साइंस पत्रिका में प्रकाशित होगी. रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुडे संस्थान के वैज्ञानिक तथ्यों को दर्ज करने के लिए ‘भोजबासा’ निरीक्षण केंद्र में आधारित थे जो गंगोत्री ग्लेशियर के मुहाने के नाम से जाने जाने वाले ‘गोमुख’ से करीब पांच किलोमीटर दक्षिण में है.
वैज्ञानिक एवं अध्ययन करने वाली पांच सदस्यीय टीम के अग्रणी लेखक एचएस गुसाईं ने कहा, ‘‘हम जानते हैं कि गंगोत्री सहित ग्लेशियरों का पिछले कुछ वर्षों में हृास हुआ है. इस रिपोर्ट में हमने इसे मौसम संबंधी डेटा से पुष्ट करने की कोशिश की है. यह जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाता है.” उत्तराखंड में स्थित 30.2 किलोमीटर लंबा गंगोत्री ग्लेशियर भारत में दूसरा सबसे बडा ग्लेशियर है. गंगा नदी में पानी की आपूर्ति के प्रमुख स्रोतों में से एक गंगोत्री ग्लेश्यिर पिछले 70 वर्ष में 1,500 मीटर से अधिक पीछे खिसक चुका है.