42 वर्ष तक कोमा में रहने के बाद 18 अप्रैल को अरुणा शानबाग की मौत हो गयी. उसकी मौत के बाद मीडिया ने उस दरिंदे को ढूंढ़ा, जो सात साल की सजा काटकर 1980 केबाद से लापता सा था. सोहनलाल वाल्मिकी उत्तरप्रदेश के हापुड़ जिले के परपा गांव में पिछले 30-32 साल से रह रहा है. लेकिन गांव वालों को इस बात का अहसास तक नहीं था कि वह किसके साथ रह रहे हैं, लेकिन जब मीडिया ने सोहनलाल की पड़ताल की और उसे जनता के सामने लाया, तो गांव वाले दहशत में हैं. मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार अब गांव की पंचायत सोहनलाल का भविष्य तय करेगी.
संभव है कि उसे गांव से बाहर निकाल दिया जाये, लेकिन गांव वालों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह काफी सज्जन है और किसी भी गलत काम में शरीक नहीं रहता है. यही कारण है कि पंचायत भी अभी सोहनलाल के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में संकोच कर रही है.