नयी दिल्ली: पत्रकारों को ‘‘प्रेसटीट्यूट्स’’ बताकर एक बार फिर मुश्किल में फंसे विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह के इस बयान पर आज तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आयीं. मीडिया के एक संगठन ने जहां इसकी भर्त्सना की वहीं विपक्ष ने उन्हें बर्खास्त करने की मांग तक कर डाली.
यमन में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के कार्य की देख-रेख के लिए वहां के पडोसी देश जिबूती गए सिंह के कल के उस बयान से विवाद पैदा हो गया जिसमें उन्होंने इस बचाव कार्य की तुलना पिछले दिनों नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में आयोजित एक कार्यक्रम में खुद के जाने की घटना से की. इस तुलना को खबर बनाने पर उन्होंने ट्वीट के जरिए एक टीवी चैनल के खिलाफ विवादास्पद व्यंग्यात्मक टिप्पणी भी की.
अपने इस ट्वीट में उन्होंने कहा है, ‘‘दोस्तों, आप प्रेसटीट्यूट्स से और क्या उम्मीद कर सकते हैं.’’ हालांकि अपने दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि संबंधित पत्रकार ने अंग्रेजी के ‘ ई ’ के स्थान पर ‘ ओ ’ समझ लिया.
इससे पहले भारतीयों को यमन से निकालने के अभियान के बारे में कल पूछे जाने पर उन्होंने कहा था, सच बताउं तो यमन में आकर भारतीयों को बचाने का अभियान पाकिस्तानी दूतावास जाने से कम रोमांचक है.
उनकी इस टिप्पणी पर राजनीतिक दलों एवं मीडिया संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह एक अतिवादी स्थिति है जिसमें अपनी आलोचना एवं विरोध सुनने के प्रति अक्षमता एवं असहिष्णुता पता चलती है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि सिंह ने जो कहा, वह पूरी तरह से निंदनीय है और उसकी कठोरतम शब्दों में भर्त्सना की जानी चाहिए. उन्होंने सिंह को मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग करते हुए कहा कि यह प्रेस की आजादी पर प्रहार है.
सिंह की टिप्पणी की भर्त्सना करते हुए ब्राडकास्ट एडीटर्स एसोसिएशन :बीएई: ने कहा कि इससे सरकार की छवि धूमिल हुई है क्योंकि सिंह ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं जो सामान्य व्यवहारगत शिष्टता से परे है.बीईए के महासचिव एन के सिंह ने कहा कि वह इस बात से हैरत में हैं कि कोई मंत्री देश की एक लोकतांत्रिक संस्था के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग कर सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘क्या केंद्रीय कैबिनेट में कोई ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो किसी संस्था के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल कर सके. बीईए न केवल इसकी भर्त्सना करती है बल्कि यह उम्मीद भी करती है कि प्रधानमंत्री इस तरह के मंत्रियों पर पाबंदी लगाये. इससे न केवल लोकतंत्र को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि उसकी छवि भी बिगड रही है.’’ बीईए महासचिव ने कहा, ‘‘वी के सिंह इस प्रकार की चीजों के लिए जाने जाते हैं. हमने पिछले तीन.चार सालों में देखा कि वह किस तरह की टिप्पणियां करते हैं जो सामान्य व्यवहार गत शिष्टता से नीचे है. इससे सरकार की छवि खराब हुई है. मीडिया के प्रति इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करना स्वस्थ सोच नहीं है.’’