नयी दिल्ली : मसरत मामले पर राज्यसभा और लोकसभा में आज फिर जोरदार हंगामा हुआ. राज्यसभा में सपा नेता ने सदन में बयान की मांग की. आपको बता दें कि एक चिट्ठी के सामने आने के बाद इस मुद्दे ने नये सवाल खडे कर दिये हैं जिसके अनुसार उनकी रिहाई का फैसला राज्यपाल शासन के दौरान ही हो चुका था. राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यदि किसी मुद्दे पर चर्चा की मांग उठ रही है तो इसपर नोटिस जारी किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि रिहाई पर सरकार जवाब दे चुकी है.
वहीं दूसरी ओर राज्यसभा में जदयू नेता शरद यादव ने दीमापुर की घटना का मामला उठाया. वहीं कांग्रेस सांसद ने प्रमोद तिवारी महात्मा गांधी को ब्रिट्रिश एजेंट कहने का मामाला सदन में उठाया. आपको बता दें प्रेस काउंसिल के पूर्व चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काट्जू ने अपने ब्लॉग में आज उन्हें अंग्रेजों का एजेंट कहा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार भूमि अधिग्रहण बिल पर आज लोकसभा में वोटिंग होगी. सरकार की तमाम कोशिशों के वावजूद सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं हैं. विधेयक के पक्ष में दी गई दलीलों के बावजूद विपक्ष इस बिल के खिलाफ है. भूमि अधिग्रहण बिल पर आज लोकसभा में वोटिंग होगी. सरकार की तमाम कोशिशों के वावजूद सरकार की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं हैं. विधेयक के पक्ष में दी गई दलीलों के बावजूद विपक्ष इस बिल के खिलाफ है. आज भाजपा संसदीय दल की बैठक लाईब्रेरी भवन में हुई. बैठक के बाद भाजपा नेता और मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हमने भूमि अधिग्रहण बिल पर विस्तार पूर्वक चर्चा की और संसद के दोनों सदनों हम इसपर कार्यवाही करेंगे.
भूमि अधिग्रहण विधेयक :सरकार बिल में कुछ संशोधन करने पर कर रही है विचार
खबर है कि सरकार बिल में कुछ संशोधन करने पर विचार कर रही है. सरकार के तीन वरिष्ठ मंत्रियों वेंकैया नायडू, अरुण जेटली और वीरेंद्र सिंह ने बिल को लेकर विपक्षी नेताओं से बातचीत भी की है. भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष के भारी विरोध के बीच सरकार ने सोमवार को संसद में कहा कि वह इस बारे में विपक्ष द्वारा लाये गये कुछ संशोधनों को सरकारी संशोधनों के रूप में अपना सकती है.
लोकसभा में भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक 2015 पर शुरू हुई चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार कुछ संशोधनों के लिए तैयार है जो राज्यों व विभिन्न समुदाय के हित में हों. उधर, लोकसभा में विपक्ष ने विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक का जोरदार विरोध करते हुए इसे किसान व गरीब विरोधी और उद्योगपति समर्थक बताया. वहीं,सत्तापक्ष ने इसे किसान के हित में और विकास के लिए एक जरूरी कदम बताया.
सदन में ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह द्वारा रखे गये विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बीजद, राजद और अन्नाद्रमुक के सदस्यों ने 2013 के भूमि अधिग्रहण विधेयक के खंड दो और तीन को हटाने के राजग सरकार के प्रयासों का विरोध किया, जो भूमि अधिग्रहण के पहले उसके सामाजिक प्रभाव के आकलन और किसानों के हितों की रक्षा का प्रावधान करता है.
छह संशोधन लायेगी सरकार
माना जा रहा है कि सरकार मंगलवार को कम से कम छह संशोधन लाने की तैयारी में है. इनमें से एक संशोधन औद्योगिक कोरिडोर के लिए भूमि को सीमाबद्ध करना और शिकायत निवारण व्यवस्था को निर्बाध बनाने से जुड़ा है. संशोधनों को लेकर लोकसभा सचिवालय से पहले ही संपर्क किया जा चुका है.
क्या है गणित
मोदी सरकार के पास विधेयक को लोकसभा में पारित कराने के लिए तो संख्या बल है लेकिन उसे राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं है. ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्ष की रणनीति विधेयक को राज्यसभा में खारिज किये बिना लंबित रखने की है ताकि वह सरकार की संयुक्त सत्र आहूत करने की योजना पर पानी फेर सके. किसी भी विधेयक को संयुक्त सत्र में पारित कराने को पेश करने के लिए उसका एक सदन में पारित होना और दूसरे में खारिज होना जरूरी है.
विपक्ष की ओर से 52 संशोधन
संसदीय कार्य मंत्री नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर विपक्ष की ओर से 52 संशोधन आये हैं और सरकार उन पर गौर करेगी. जो भी अच्छे सुझाव होंगे, उन्हें ध्यान में रख कर उचित संशोधन लायेंगे.’ नायडू ने कहा कि हाई- वे, नयी रेल व बिजली लाइनों, नये बंदरगाहों , तालाब और सिंचाई के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण बहुत जरूरी है. इन चीजों से देश का विकास होगा और आम आदमी को फायदा होगा. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार यह विधेयक लायी है.भाजपा द्वारा तत्कालीन यूपीए सरकार की ओर से लाये गये भूमि अधिग्रहण विधेयक का समर्थन करने के बाद अब सत्ता में आने पर दूसरा विधेयक लाये जाने के सवाल पर नायडू ने कहा कि स्वयं कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों व कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने नये विधेयक की मांग की थी.
शिवसेना असमंजस में
इधर, शिवसेना ने यह कहकर सरकार को असमंजस में डाल दिया कि इस विधेयक को समर्थन करने या नहीं करने को लेकर अभी वह किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री को लिखित में अपने सुझाव दिये थे. हम पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के निर्देश के मुताबिक कदम उठायेंगे. संकेत दिया कि मौजूदा प्रारूप में यह विधेयक शिवसेना को स्वीकार्य नहीं है. शिवसेना राजग का दूसरा सबसे बड़ा घटक है. उसके लोकसभा में 18 और राज्यसभा में तीन सदस्य हैं. शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि सरकार को किसानों से भूमि का अधिग्रहण करने की बजाय उसे लीज के बारे में सोचना चाहिए. देश में अधिकतर परियोजनाओं के चलते विस्थापित हुए लोगों का आज तक पुनर्वास नहीं हुआ है और ऐसे में यह विधेयक किसानों की हालत को और खराब कर देगा.