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केदारनाथ में नहीं हो पा रहा है मलबा हटाने का काम

देहरादून : उत्तराखंड में भीषण बारिश की वजह से हुए जलप्रलय को एक माह से अधिक समय हो गया लेकिन केदारनाथ मंदिर और उसके आसपास पड़ा कई टन मलबा हटाने का काम आवश्यक उपकरणों और खराब मौसम के चलते नहीं हो पा रहा है. मलबा हटाने के लिए केदारनाथ भेजे गये दल के सदस्य लगातार […]

देहरादून : उत्तराखंड में भीषण बारिश की वजह से हुए जलप्रलय को एक माह से अधिक समय हो गया लेकिन केदारनाथ मंदिर और उसके आसपास पड़ा कई टन मलबा हटाने का काम आवश्यक उपकरणों और खराब मौसम के चलते नहीं हो पा रहा है.

मलबा हटाने के लिए केदारनाथ भेजे गये दल के सदस्य लगातार बारिश और वहां पड़े कई टन मलबे को हटाने के लिए आवश्यक उपकरणों के अभाव के कारण कोई काम किए बिना वापस आ गये.

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक सत्यव्रत बंसल ने बताया, डॉक्टरों, पीडब्ल्यूडी कर्मियों और एनडीआरएफ कर्मियों का संयुक्त दल पिछले तीन दिनों में शवों का अंतिम संस्कार नहीं कर पाया है. चार दिन पहले इन लोगों ने दो शवों का अंतिम संस्कार किया था.

लेकिन तब से कोई अंतिम संस्कार नहीं हो पाया है क्योंकि आवश्यक भारी उपकरण नहीं होने तथा खराब मौसम की वजह से मलबा हटाने का काम उचित रुप से अभी शुरु नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि जब तक मलबा नहीं हटाया जाता तब तक कुछ भी करना संभव नहीं होगा. खराब मौसम के कारण मलबा हटाना मुश्किल हो रहा है.

सड़कें क्षतिग्रस्त हैं. खराब मौसम के चलते हेलीकॉप्टर के लिए उड़ान भरना संभव नहीं है.बंसल ने बताया कि मंदिर के आसपास के ढांचे भी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं और उनका मलबा भी बिखरा हुआ है. यहां मलबा हटाना खतरे से खाली नहीं है, इसीलिए उपकरणों की जरुरत है.

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि आवश्यक सुरक्षा उपाय बरते जा रहे हैं और राज्य सरकार की योजना मलबा हटाने के लिए एमआई-26 विमानों के जरिये डोजरों जैसे भारी उपकरण लाने की है. ऐसा हुआ तो मलबा हटाने का काम युद्ध स्तर पर किया जा सकेगा.

उन्होंने बताया कि विमान में लादे जाने से पहले इन भारी उपकरणों को खोल कर उनके कलपुर्जे अलग कर दिये जाएंगे और यहां पहुंचने पर उन्हें फिर से जोड़ा जायेगा.

मंदिर में नियमित पूजा शुरु करने के लिए मलबा हटाना जरुरी है. कल संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी ने फोन पर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से बात की और मलबा हटाने का काम शीघ्र करने के लिए कहा जिससे राज्य सरकार पर इस कार्य के लिए दबाव और बढ़ गया है.

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