नयी दिल्ली: भारत की यात्रा पर रविवार को यहां पहुंचे अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने सोमवार को होने वाली चौथे चरण की भारत-अमेरिकी रणनीतिक वार्ता की दिशा तय करते हुए निवेशकों का विश्वास ‘बढ़ाने’ के लिए द्विपक्षीय निवेश समझौते पर जोर दिया. उन्होंने साथ ही भारत में व्यापार संबंधी बाधाओं को लेकर भी चिंता जतायी.
रविवार शाम यहां एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ पहुंचे कैरी ने भारतीय बाजारों में बेहतर पहुंच उपलब्ध कराने एवं बौद्धिक संपदा अधिकारों समेत कई मुद्दों पर अमेरिका की चिंता प्रकट की एवं भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौता के ‘पूर्ण’ क्रियान्वयन की जरुरत पर बल दिया.
विदेश मंत्री के तौर पर पहली बार भारत की यात्रा पर आए कैरी ने एक कार्यक्रम में इन मुद्दों को लेकर सार्वजनिक रुप से टिप्पणी की. उन्होंने कहा, ‘‘हमें जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी एक द्विपक्षीय निवेश समझौते पर काम पूरा कर लेना चाहिए जो दोनों देशों में निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.’’ विदेश मंत्री ने भारत के साथ भागीदारी पर भी जोर दिया और जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा जैसे विशेष मुद्दों पर ध्यान देने की जरुरत बतायी.
कैरी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब संयुक्त राज्य अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (यूएसएड) ने भारत के बढ़ते स्वच्छ उर्जा क्षेत्र में 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की घोषणा की है. कैरी ने कहा कि अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बढ़ते व्यापार संबंधों का स्वागत किया है और भारत को अफगानिस्तान में 2014 में होने वाले चुनावों में ‘‘मुख्य भूमिका’ निभाने के लिए कहा है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने उत्तराखंड बाढ़ में ‘‘जनजीवन को पहुंची भारी क्षति’’ को लेकर भी संवेदनाएं व्यक्त कीं और 1,50,000 अमेरिकी डॉलर की सहायता राशि देने की घोषणा की. कैरी ने कहा, ‘‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र एवं विश्व के सबसे पुराने लोकतंत्र को साथ मिलकर और ज्यादा कुछ करना चाहिए और उनकी एकता इस अहम युग में महज किसी को डराने, किसी क्षेत्र या अन्य देशों को निशाना बनाने के लिए नहीं होनी चाहिए बल्कि एक मजबूत एवं अच्छे भविष्य के निर्माण के लिए होनी चाहिए.’’
उन्होंने कहा कि वह हिंदी के इस मुहावरे में खूब विश्वास करते हैं कि एक और एक ग्यारह होते हैं. दोनों देश मिलकर अपने समय की बड़ी चुनौतयों से टकराने की की स्थिति में होंगे. कैरी विदेश मंत्री सलमान कुरैशी के साथ कल रणनीतिक वार्ता की सह अध्यक्षता करेंगे. वार्ता में द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग के साथ-साथ उर्जा और उच्च शिक्षा जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी.