SPG बिल लोकसभा में पेश, गृह मंत्री अमित शाह बोले- सिर्फ PM की हिफाजत करेगी एसपीजी, पद ना रहने पर सुरक्षाकवच 5 साल तक ही

नयी दिल्ली : विशेष सुरक्षा समूह कानून में संशोधन को आवश्यक करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद एसपीजी और प्रभावी बनाना और कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम संशोधन विधेयक को चर्चा एवं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 27, 2019 4:42 PM

नयी दिल्ली : विशेष सुरक्षा समूह कानून में संशोधन को आवश्यक करार देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि एसपीजी अधिनियम संशोधन विधेयक लाने का मकसद एसपीजी और प्रभावी बनाना और कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) अधिनियम संशोधन विधेयक को चर्चा एवं पारित करने के लिये रखते हुए शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए किया गया था और दुनिया के कई देशों में उनके शासनाध्यक्षों की सुरक्षा के मकसद से ऐसे ही विशिष्ट सुरक्षा इकाई बनायी गई हैं.

गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लाने का मकसद एसपीजी को और प्रभावी बनाना है और यह देखना है कि उसके काम में किसी भी तरह की कोई कोताही न हो. उन्होंने कहा कि इसका मकसद कानून के मूल उद्देश्य को बहाल करना है. अतीत में सरकारों ने कई बार कानून में संशोधन किया. गृह मंत्री ने कहा, मैं जो संशोधन लेकर आया हूं, उसके तहत एसपीजी सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके साथ उनके आवास में रहने वालों के लिए ही होगी तथा सरकार द्वारा आवंटित आवास पर रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार को पांच साल की अवधि तक एसपीजी सुरक्षा प्राप्त होगी.

शाह ने कहा कि इस स्तर के सुरक्षा कवर के लिए ‘विशेष’ शब्दावली का उपयोग किया गया. यह आदर्श रूप में प्रधानमंत्री के संदर्भ में होना चाहिए. यह सिर्फ शारीरिक सुरक्षा के संदर्भ में नहीं है बल्कि इसमें उनके विभाग, स्वास्थ्य, संचार एवं अन्य विषय भी हैं. अमित शाह ने कहा कि एसपीजी का गठन 1985 में बनी एक कमेटी के आधार पर हुआ था. 1985-88 तक एसपीजी एक अधिशासी आदेश के तहत काम करती थी. 1988 में एक कानून बना, जिसके तहत एसपीजी काम करने लगी.

1991, 1994, 1999 और 2003 में इसमें संशोधन हुआ. आज वह एक और संशोधन लेकर आये हैं. गौरतलब है कि विधेयक की धारा 4 में एक उपधारा का प्रस्ताव किया गया है कि विशेष सुरक्षा समूह प्रधानमंत्री और उनके साथ निवास करने वाले उनके निकट परिवार के सदस्यों तथा किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री और उनके आवंटित आवास पर निवास कर रहे निकट परिजनों को उस तारीख से, जब वह प्रधानमंत्री नहीं रह जाते हैं, पांच वर्ष तक की अवधि के लिए निकट सुरक्षा प्रदान करेगा. इसमें धारा 4 के खंड ‘ख’ को शामिल किया गया है कि जहां किसी भूतपूर्व प्रधानमंत्री से निकट सुरक्षा हटा ली जाती है, वहां ऐसी निकट सुरक्षा ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री के परिवार के सदस्यों से भी हटा ली जाए.

उल्लेखनीय है कि प्रतिष्ठित एसपीजी कमांडो देश के प्रधानमंत्री, उनके परिजनों, पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार के करीबी सदस्यों की सुरक्षा का जिम्मा संभालते रहे हैं. सुरक्षा संबंधी खतरों के आधार पर यह सुरक्षा प्रदान की जाती है. विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि अधिनियम में भूतपूर्व प्रधनमंत्रियों या उनके कुटुंब के सदस्यों को एसपीजी संरक्षा की व्यवस्था करने की कोई अवधि निश्चित नहीं की गई है. अत: ऐसे व्यक्तियों की संख्या जिन्हें एसपीजी सुरक्षा दी जानी है, काफी अधिक हो सकती है. इस परिप्रेक्ष्य में एसपीजी के संसाधनों , प्रशिक्षण और संबंधित अवसंरचना पर भी प्रभाव पड़ सकता है.

अत: कानून में संशोधन की जरूरत समझी गई जिसमें मुख्य आदेश पर ध्यान केंद्रित किया जा सके क्योंकि प्रधान के रूप में प्रधानमंत्री की सुरक्षा, सरकार, शासन और राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोच्च महत्व की है. कार्यरत प्रधानमंत्री के लिए अत्यंत जरूरी महत्वपूर्ण सुरक्षा को मान्यता देते हुए विशेष सुरक्षा समूह के गठन के लिए अधिनियम बनाया गया था जिसका एकमात्र उद्देश्य प्रधानमंत्री और उनके कुटुंब के सदस्यों को निकट सुरक्षा प्रदान करना है.

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