लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने अच्छे दिन लाने का वादा किया था. कहा था कि यूपीए की गलत नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गयी. अब मोदी वही बात कर रहे हैं, जो कुछ वर्ष पहले प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह कहते थे.
अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कड़े फैसले लेने होंगे. वित्तीय सेहत को बनाये रखने के लिए कड़वी घुट्टी की जरूरत है. यानी, लोगों को कोई राहत मिलनेवाली नहीं है. द इकॉनोमिक टाइम्स की एक खबर के मुताबिक, बहुत जल्द रेल किराये में बढ़ोतरी हो सकती है. एलपीजी, यूरिया खाद और केरोसिन पर सब्सिडी खत्म हो जायेगी. डीजल को बाजार के हवाले कर दिया जायेगा.
यानी इसकी कीमतें भी पेट्रोल की तरह बढ़ेंगी. एलपीजी और केरोसिन की कीमतें भी डीजल की तरह हर महीने बढ़ाने की व्यवस्था शुरू की जा सकती है. नये टैक्स लगाये जा सकते हैं. यूपीए सरकार की महत्वाकांक्षी योजना खाद्य सुरक्षा कानून को सिर्फ गरीबों तक सीमित किया जा सकता है. यूरिया खाद की कीमतों को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.
* मिडिल क्लास के लिए अमीरों पर बोझ
मध्यम वर्ग को बचाने के लिए सरकार अमीरों से ज्यादा टैक्स वसूल सकती है. बजट में लग्जरी वाहनों और विलासिता की वस्तुओं पर टैक्स बढ़
सकता है.
* थोक महंगाई दर छह फीसदी के पार
जनता को उम्मीद है कि महंगाई से कुछ राहत मिलेगी. सरकार भी महंगाई कम करने के प्रयास कर रही है. लेकिन, महंगाई है कि बढ़ती ही जा रही है. मई में थोक महंगाई दर बढ़ कर 6.01 फीसदी हो गयी, जो अप्रैल में 5.2 फीसदी थी.
– क्या हो सकते हैं मोदी के कठोर फैसले?
* 1,000 में मिलेगा एलपीजी सिलिंडर
* रसोई गैस पर दी जा रही सब्सिडी खत्म हुई, तो करीब 450 रुपये में मिलनेवाले एलपीजी सिलिंडर की कीमत 1,000 रुपये हो जायेगी.
* खाद पर दी जा रही सब्सिडी कम या खत्म की जा सकती है, जिससे किसानों की लागत बढ़ेगी और खाद्यान्न की कीमतों में इजाफा होना तय है.
* सरकार खाद्य सुरक्षा बिल को जारी रखने और महंगाई पर लगाम की तैयारी में है. ऐसे में न्यूनतन समर्थन मूल्य में कोई बड़ी वृद्धि की संभावना नहीं है.
– और क्या कदम उठाये जा सकते हैं
* बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं को गति देने के लिए भूमि अधिग्रहण बिल में बदलाव संभव. इस पर काम नहीं हुआ, तो विकास की रफ्तार धीमी पड़ सकती है.
* विभिन्न सेक्टरों में एफडीआइ की सीमा बढ़ायी जा सकती है
* केंद्र से राज्यों तक फिजूलखर्ची कम करने के लिए कदम उठाये जा सकते हैं
* राज्यों को सस्ती बिजली का प्रावधान खत्म किया जा सकता है
* श्रम कानून में बदलाव होगा. राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार इस दिशा में काम शुरू कर चुकी है
* सरकारी बैंकों का विलय कर बड़े बैंक बनाये जा सकते हैं
* मोदी सरकार खर्च में कटौती पर फोकस कर सकती है. गुजरात के सीएम के रूप में राजस्व बढ़ाने पर मोदी का खासा जोर था
* पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (पीएसयू) को पुनर्जीवित करने के लिए उन्हें अधिक शक्तियां दी जा सकती हैं. जिन उपक्र मों में सुधार की गुंजाइश न हो, उन्हें बंद भी किया जा सकता है
* कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) देश में बढ़ रही मांग के साथ गति बनाये रखने में असफल रहा है. इसी तरह फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) में भी कई खामियां हैं. दोनों संगठनों में व्यापक बदलाव हो सकते हैं
* फिस्कल कंसोलिडेशन में जुटी सरकार के पास टैक्स छूट देने की संभावना कम ही है. अधिक से अधिक टैक्स स्लैब्स के जरिये कुछ छूट मिल सकती है
* मनरेगा में कई कमियां हैं. सरकार इसे जारी तो रखेगी, लेकिन कई बड़े बदलाव और सुधार कर सकती है