नयी दिल्ली: अगले महीने के शुरु में संसद का अल्पावधि का सत्र बुलाने का प्रस्ताव है और उसके कुछ समय बाद पूर्ण बजट सत्र बुलाया जा सकता है. यह संक्षिप्त सत्र चार जून से 12 जून तक बुलाया जा सकता है जिसमें अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलायी जाएगी.
सरकारी हलकों में चर्चा है कि सरकार लोकसभा में विपक्ष के नेता के मुद्दे को लेकर हीलहुज्जत नहीं करेगी जिसकी मांग कांग्रेस कर रही है. आज संसदीय कार्य मंत्री का पदभार संभालने के तुरंत बाद एम वेंकैया नायडू ने संकेत दिए कि सरकार विपक्ष को समायोजित करने के लिए ‘‘अतिरिक्त प्रयास’’ करेगी.
इसकी व्याख्या इस प्रकार से की जा सकती है कि सरकार कांग्रेस को मुख्य विपक्षी दल के रुप में मान्यता देने के मुद्दे पर कडा रुख नहीं अपनाएगी और पर्याप्त संख्या में सांसद नहीं होने के बावजूद वह कांग्रेस को विपक्ष के नेता का पद दे सकती है. नायडू ने हालांकि इस मामले पर पूछे गए सीधे सवालों को यह कहते हुए स्पष्ट कर दिया, ‘‘ हमने इस मुद्दे पर विचार विमर्श नहीं किया है.’’
कांग्रेस को 16वीं लोकसभा में केवल 44 सीटें मिली हैं जो कि 543 सदस्यीय सदन में विपक्ष के नेता के लिए जरुरी संख्या से 11 कम है. इस मुद्दे का फैसला करना स्पीकर का विशेषाधिकार होता है.सूत्रों ने बताया कि कल होने वाली कैबिनेट की बैठक में सत्र की तिथियों को अंतिम रुप दिया जा सकता है. 16 वीं लोकसभा के गठन के बाद यह संसद का पहला सत्र होगा.
जून के पहले सप्ताह में होने वाले अल्पावधि के सत्र में नए सदस्यों को सदस्यता की शपथ दिलाने और स्पीकर का चुनाव कराने का काम किया जाएगा. स्पीकर के लिए सुमित्रा महाजन और उपाध्यक्ष के लिए करिया मुंडा के नामों की चर्चा है. स्पीकर का चुनाव होने तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ को अस्थायी अध्यक्ष बनाया जाएगा. कांग्रेस के गलियारों में कमलनाथ का नाम विपक्ष के नेता के रुप में भी लिया जा रहा है.