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कल फिर मोदी जाएंगे चीन, बांबवेल बोले – डोकलाम से आगे बढ़े दोनों देशों के रिश्ते

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेनेशनिवार को किंगदाओ जाएंगे. इस दौरान भारत का आतंकवाद की बढ़ती चुनौती से निपटने के प्रभावी तौर तरीकों तथा एससीओ के सदस्य देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर रहेगा. इससे पहले मोदी महज सवा महीने पहले 27 व 28 […]

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन में भाग लेनेशनिवार को किंगदाओ जाएंगे. इस दौरान भारत का आतंकवाद की बढ़ती चुनौती से निपटने के प्रभावी तौर तरीकों तथा एससीओ के सदस्य देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर जोर रहेगा. इससे पहले मोदी महज सवा महीने पहले 27 व 28 अप्रैल को चीन के दौरे पर गये थे व वहां शी से अनौपचारिक वार्ता की थी. मोदी प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में पांचवीं बार चीन के दौरे पर जा रहे हैं. प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा पर चीन में भारत के राजदूत गौतम बांबवेल ने कहा है कि बुरहान अनौपचारिक वार्ता के बाद हम दोनों देशों के रिश्तों में काफी बदलाव आया है. डोकलाम का मुद्दा अब पीछे रह गया है और हम आगे की सोच रहे हैं. उन्होंने कहा है कि हम सोच रहे हैं कि हमारे द्विपक्षीय रिश्ते और बहुपक्षीय रिश्ते कैसे आगे बढ़ें. गौतम बांबवेल ने पाकिस्तान से किसी तरह की वार्ता से इनकार किया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कल प्रधानमंत्री की यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए कहाथा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की अध्यक्षता में शांदोंग प्रांत के किंगदाओ शहर में नौ और 10 जून को आयोजित हो रहे 18 वें एससीओ सम्मेलन में मोदी भाग लेंगे. शिखर सम्मेलन में अन्य मुद्दों के साथ-साथ सदस्य देशों के बीच सहयोग के अवसर और क्षेत्र के हालात पर गौर किये जाने की उम्मीद है. भारत और पाकिस्तान पिछले साल एससीओ के सदस्य बने हैं और इस साल पहली बार पूर्ण सदस्य के तौर पर सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं. कुमार ने शिखर सम्मेलन के उद्देश्य के बारे में कहा कि लक्ष्य सदस्य देशों के बीच मौजूद संबंध को और गहरा बनाना है. इस दौरान सदस्य देशों द्वारा चर्चा किये जाने वाले मुद्दों के बारे में कुमार ने कहा, ‘‘ उन्होंने चार क्षेत्रों राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक सहयोग की पहचान की है.

पाकिस्तान मुद्दे पर क्या बोले थे विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता?

यहां शंघाई स्पिरिट को मजबूत करने की जरूरत है जो आपसी भरोसे, आपसी लाभ, बराबरी, आपसी परामर्श, सांस्कृतिक विविधता के प्रति सम्मान और साझा विकास के लक्ष्य पर केंद्रित है.’ कुमार ने कहा कि शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की भी उम्मीद है. उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे लिए एससीओ क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा आतंकवाद के बढ़ते खतरे से लड़ना महत्वपूर्ण है.’ पाकिस्तान में हाल ही में हुई एससीओ की एक बैठक में भारत की भागीदारी के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि वहां एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी तंत्र के तहत भागीदारी कीगयी थी. उन्होंने कहा, ‘‘ हमने उस बैठक में भाग लेने के लिए एक तकनीकी दल भेजा था. यह हमारी बाध्यता और जिम्मेदारी है कि बहुपक्षीय बैठकों में भाग लें चाहे वह किसी भी देश में आयोजित हो रहा हो. हमने इसी कारण पाकिस्तान में हुई क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी तंत्र की बैठक में भाग लिया था.’

प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में चीन के राष्ट्रपति द्वारा नौ जून की शाम दी जाने वाली स्वागत दावत में भागीदारी भी शामिल है. एससीओ शिखर सम्मेलन का मुख्य कार्य दिवस 10 जून है. कुमार ने कहा कि मोदी एससीओ देशों के प्रमुखों की बैठक के सीमित एवं विस्तारित दोनों स्वरूपों में भाग लेंगे. उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन से इतर मोदी की द्विपक्षीय बैठकें भी नियोजित हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शी के साथ नौ जून को एक द्विपक्षीय बैठक होगी. उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन में एक घोषणा को भी अंगीकार किया जाना है. इस संबंध में अन्य दस्तावेजों को भी अंतिम रूप दिया जाना है. यह पूछे जाने पर कि क्या भविष्य में एससीओ सार्क की जगह ले सकता है, कुमार ने इसका नहीं में जवाब दिया.

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