अहमदाबाद : गुजरात में साल 2002 में हुए नरोदा गाम दंगे के मामले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सोमवार को गवाही देने अहमदाबाद की स्पेशल एसआईटी कोर्ट पहुंचे जिसके बाद माया कोडनानी फिर एक बार चर्चे में आ गयीं हैं. आइए हम यहां आपको बतायें आखिर कोडनानी हैं कौन…
गुजरात में माया कोडनानी नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री थीं जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई है. नरोदा पाटिया दंगा मामले में माया कोडनानी पर आरोप था कि उन्होंने दंगाई भीड़ का नेतृत्व किया था. माया का परिवार बंटवारे से पहले पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहता था लेकिन बाद में परिवार गुजरात आकर निवास करने लगा.
माया कोडनानी पेशे से गाइनकालजिस्ट हैं, हालांकि डॉक्टर के तौर पर ही कम और आरएसएस की कार्यकर्ता के तौर पर वह ज्यादा पहचानीं जातीं हैं. नरोदा में उनका अपना मटर्निटी अस्पताल था लेकिन फिर वो स्थानीय राजनीति में सक्रिय हो गईं. वह अपनी भाषण की वजह से भाजपा में काफी प्रसिद्ध थीं. बताया जाता है कि वह भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के भी करीबी थीं.
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जिस वक्त दंगा हुआ माया कोडनानी नरोदा से विधायक थीं. 2002 के गुजरात दंगों में उनका नाम सामने आया. 2002 में ही हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में वे फिर से एक बार विधायक चुनी गईं. 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भी माया कोडनानी ने जीत दर्ज की. इसके बाद वह गुजरात सरकार में मंत्री बनीं लेकिन 2009 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम से गिरफ्तारी के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे दिया, हालांकि जल्द ही वे जमानत पर रिहा भी हो गईं.
इस दौरान वे विधानसभा जाती रहीं और उन पर नरोदा पाटिया दंगा मामले में मुकदमा भी चलता रहा. 29 अगस्त 2012 में आखिरकर कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया दंगों के मामले में दोषी करार दिया और 31 अगस्त को कोर्ट ने उन्हें 28 वर्ष की सजा सुनायी.