नयी दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा सोलहवीं लोकसभा में 214 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है. एनडीटीवी और हंसा रिसर्च ग्रुप के ऑपिनियन पोल के मुताबिक बीजेपी को इस लोकसभा चुनाव में 2009 के मुकाबले भारी बढ़त मिल सकती है.
सर्वे के मुताबिक बीजेपी सबसे शानदार प्रदर्शन करने वाली है. जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, बीजेपी की लोकप्रियता बढ़ रही है. एनडीटीवी के फरवरी महीने वाले सर्वे में बीजेपी को 195 सीटें मिलने का अनुमान था. मार्च में यह तस्वीर बदलकर 214 तक पहुंच गई. अब नये सर्वे में यह बात सामने आयी है कि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए को 259 सीटें मिल सकती हैं, जो कि साधारण बहुमत 272 से महज 13 सीटें कम हैं.
कांग्रेस इस चुनाव में 104 सीटों पर सिमट सकती है. राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है. यूनाइडेट प्रोग्रेसिव अलायंस (यूपीए) को महज 123 सीटों पर संतोष करना पड़ सकता है, जो कि 2009 के आम चुनाव से 108 सीटें कम हैं.
कांग्रेस देश के चुनावी इतिहास में सबसे बदतर प्रदर्शन कर सकती है. कांग्रेस ने 1999 में 114 सीटों के साथ अब तक के चुनावी इतिहास में सबसे घटिया प्रदर्शन किया था. लेकिन सर्वे के मुताबिक इस बार 1999 से भी बुरी हालत कांग्रेस की हो सकती है. दूसरी तरफ बीजेपी पहली बार 200 सीटों से पार जा सकती है. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी का 1999 में 182 सीटों पर जीत अब तक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन था.
यूपी में 1998 के करीब बीजेपी
सर्वे के मुताबिक उत्तर प्रदेश में बीजेपी को भारी कामयाबी मिलने का अनुमान है. यूपी की 80 सीटों में से बीजेपी 53 पर कब्जा जमा सकती है. इस बार 1998 को छोड़ बीजेपी का यूपी में सबसे बेहतर प्रदर्शन साबित हो सकता है. 1998 में बीजेपी को यहां 57 सीटें मिली थीं. 90 के दशक में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अगड़ी और पिछड़ी जातियों को गोलबंद किया था. उसी गोलबंदी को पार्टी 16वीं लोकसभा चुनाव में भी जमीन पर उतारने में कामयाब दिख रही है. बीजेपी ने प्रदेश के हर क्षेत्र में अपने बड़े नेताओं को खड़ा किया है. यह पार्टी की मुख्य रणनीति का अहम हिस्सा है.
इस ऑपिनियन पोल के मुताबिक कांग्रेस और आरएलडी गठबधन को भारी नुकसान होने जा रहा है. 2009 में दोनों पार्टियों के पास यूपी में 26 सीटें थीं, जो इस बार सिमटकर 7 रह जाएंगी. बीजेपी को मिली बढ़त की कीमत समाजवादी पार्टी और बीएसपी को चुकानी पड़ सकती है. 2009 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजावादी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं. इस बार एसपी महज 13 सीटों पर सिमट सकती है, जो कि 2009 से 10 सीटें कम हैं.