नयी दिल्ली: देश की सीमाओं पर तैनात सेना के जवानों को अब शायद गाय के दूध के बदले पैकेटबंद दूध पीना पड़ेगा. इसका कारण यह है कि रक्षा मंत्रालय ने देश के 39 सैन्य फॉर्मों को बंद करने का फैसला किया है. हालांकि, कहा जा रहा है कि सरकार ने जिन फॉर्मों को बंद करने का ऐलान किया है, उसमें देश की सबसे अच्छी नस्ल की गाय मौजूद हैं. इसके साथ ही, कहा यह भी जा रहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के एक फैसले से देश में एकबार फिर राजनीति गर्म हो सकती है.
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मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, इन 39 फॉर्म में लगभग 20 हजार गाय हैं. वहीं, इनमें करीब 2500 कर्मचारी यहां पर काम करते हैं. सरकार के इस फैसले के बाद इनकी नौकरी पर भी सीधे तौर पर असर पड़ेगा. पिछले माह ही कैबिनेट की कमेटी ने सेना को आदेश जारी कर 3 माह के अंदर इन गोशालाओं को बंद करने को कहा था.
द टेलीग्राफ में छपी खबर के अनुसार, सरकार का मानना है कि चूंकि देश में अब प्राइवेट डेयरी या दूध का कारोबार इतना बड़ा हो गया है कि सेना को खुद की फॉर्म की आवश्यकता नहीं है. सेना को अब उन निजी डेयरी के जरिये दूध मुहैया कराया जा सकता है. यानी भारतीय सेना के जवान अब पैकेट वाला दूध पीयेंगे.
कहायह भी जा रहा है कि इन फॉर्मों के बंद होने के बाद सेना डेयरी के जरिये दूध की पूर्ति कर सकती है. हालिया दौर में सेना में गोशाला के भ्रष्टाचार को लेकर कई मामले सामने आये थे. इस फैसले को उससे भी जोड़ा जा रहा है. सरकार के इस फैसले से जिन 39 फर्मों पर फर्क पड़ेगा, उनमें मेरठ, झांसी, कानपुर, अंबाला समेत कई बड़े शहरों केफॉर्म शामिल हैं.
सरकार के इस फैसले पर भारतीय कृषि शोध परिषद (ICAR) के वैज्ञानिकों का कहना है कि वह इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि फॉर्म बंद होने के बाद इन 20 हजार गायों का क्या होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि देश में किसी और फार्म के पास इतनी क्षमता नहीं है कि वह 20000 गायों का पालन-पोषण कर सके.
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से गाय को लेकर देशभर में चर्चा चल रही है. चारों ओर गो रक्षा के नाम पर बवाल मच रहा है ऐसे में इस प्रकार का फैसला सरकार के लिए बड़े सवाल खड़ा कर सकता है.