नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी देवेन्द्र पाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा को कम कर आजीवन कारावास किये जाने से खिन्न युवक कांग्रेस के पूर्व प्रमुख एम एस बिट्टा ने आज कहा कि वह आत्मदाह करने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और न्यायालय से अनुमति मांगेंगे.
अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के प्रमुख बिट्टा को निशाना बनाकर 1993 में बम विस्फोट किया गया था जिसके लिए भुल्लर को मृत्युदंड दिया गया था.बिट्टा ने कहा कि सजा को कम किया जाना आतंकवाद के खिलाफ लड रहे लोगों की पराजय है.
उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मैं अब जीवित नहीं रहना चाहता क्योंकि हम लोग राजनीतिक आतंकवाद से परास्त हो गये हैं जो कांग्रेस पार्टी में चल रहा है.’’ बिट्टा ने कहा, ‘‘मैं सोनिया गांधी से आत्मदाह की अनुमति मांगूंगा क्योंकि आज आतंकवाद की विजय हुई है और आतंकवाद के खिलाफ लडने वाले परास्त हुए हैं.’’ उन्होंने कहा कि वह आत्मदाह के लिए न्यायालय से भी अनुमति मांगेंगे.यह पूछे जाने पर कि क्या वह उच्चतम न्यायालय में समीक्षा याचिका दायर करेंगे, उन्होंने इससे इंकार कर दिया. बहरहाल उन्होंने कहा कि वह इस बात के लिए अदालत में जायेंगे कि 1993 में उन पर हमला होने से दो दिन पहले उनकी सुरक्षा वापस क्यों ले ली गयी थी और वह यह मुद्दा भी उठायेंगे कि राजीव गांधी की सुरक्षा को क्यों हटाया गया था.
सितंबर 1993 में नई दिल्ली में बम विस्फोट के मामले में भुल्लर को मृत्युदंड सुनाया गया था.इस घटना में नौ लोग मारे गये थे तथा बिट्टा सहित 25 अन्य घायल हो गये थे. उच्चतम न्यायालय ने आज अपने एक फैसले में भुल्लर की दया याचिका पर फैसले में हुए विलंब तथा उसकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए उसके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया.