नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने 1993 के बम विस्फोट मामले में दोषी खालिस्तानी आतंकवादी देविंदरपाल सिंह भुल्लर की मौत की सजा घटाकर आज इसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया. न्यायालय ने उसकी दया याचिका को निपटाने में विलंब और उसकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर यह फैसला किया. प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली चार न्यायाधीशों की पीठ ने उसकी दया याचिका को निपटाने में सरकार की ओर से हुई देरी और उसकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर उसे जीवनदान दे दिया.
आतंकी भुल्लर ने खराब मानिसक हालत का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दी है. भुल्लर को रायसीना ब्लास्ट केस में फांसी की सजा सुनायी गयी थी. सितंबर 1993 में हुए इस ब्लास्ट में नौ लोगों की मौत हो गयी थी और कई घायल हुए थे.