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सेल्फी शौक या बीमारी: जा रही है युवाओं की जान

आजकल सेल्फी के बिना कोई भी फंक्शन पूरा नहीं होता है. विशेषकर युवाओं में सेल्फी का क्रेज देखा जा सकता है. वे जीवन के हर पल को कैमरे में कैद करके रखना चाहते हैं. इसके लिए युवा होश ही खो बैठते हैं. वे खतरों से खेलने से भी बाज नहीं आते. सेल्फी के चक्कर में […]

आजकल सेल्फी के बिना कोई भी फंक्शन पूरा नहीं होता है. विशेषकर युवाओं में सेल्फी का क्रेज देखा जा सकता है. वे जीवन के हर पल को कैमरे में कैद करके रखना चाहते हैं. इसके लिए युवा होश ही खो बैठते हैं. वे खतरों से खेलने से भी बाज नहीं आते. सेल्फी के चक्कर में कई युवा अपनी जान गंवा चुके हैं. हालांकि विशेषज्ञ बार-बार सेल्फी लेने की लत को मानसिक बीमारी मानते हैं. युवाओं में बढ़ते सेल्फी के क्रेज पर प्रस्तुत है लाइफ@जमशेदपुर के लिए राजमणि सिंह की रिपोर्ट.

ऐसे हुई सेल्फी की शुरुआत

अमेरिका के एक फोटोग्राफर रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने वर्ष 1839 में पहली बार अपनी खुद की तस्वीर (सेल्फी) ली थी. इसके बाद सेल्फी की शुरुआत हुई. आधुनिक समय में सेल्फी की शुरुआत 2011 में उस समय हुई, जब ‘नरुटो’ नाम के ‘मकाऊ प्रजाति’ के एक बंदर द्वारा इंडोनेशिया में ब्रिटिश वन्यजीव फोटोग्राफर डेविड स्लाटर के कैमरे से सेल्फी ली गयी. ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश ने वर्ष 2013 में सेल्फी शब्द को ‘वर्ड ऑफ द इयर’ घोषित किया था. अंग्रेजी के शब्द Self से बने सेल्फी शब्द का मतलब है विभिन्न माध्यमों से खुद की तस्वीर लेना.

सेल्फी लेते वक्त बरतें सावधानी

सेल्फी लेने के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए. खतरनाक स्थानों पर सेल्फी लेने से आपकी जान को खतरा हो सकता है. नदी, सड़क, नाव, पहाड़, जानवरों के पास, ट्रेन के सामने और चलते वाहन में सेल्फी लेने से बचें. बहुत ऊंचाई पर या छत पर किनारे खड़े होकर सेल्फी न लें.

सेल्फी के फायदे

सेल्फी लेने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती. लोग खुद मोबाइल की सहायता से अपनी तस्वीर खींचकर रख सकते हैं. स्मार्ट फोन में फ्रंट कैमरा वीडियो कॉलिंग के लिए दिया गया था. लेकिन लोगों ने इसका इस्तेमाल सेल्फी लेने के लिए शुरू कर दिया. लोगों में सेल्फी के क्रेज को देखते हुए मोबाइल कंपनियों ने बेहतर क्वालिटी का फ्रंट कैमरा देना शुरू कर दिया है. जिससे हाइ क्वालिटी तस्वीरें खींचकर संजोकर रखा जा सकता है.

हाइटेंशन तार की चपेट में आने से हुई थी मौत

फरवरी-2019 में टाटा-खड़गपुर रेल मार्ग पर सलगाझुरी रेलवे होम सिंगनल के पास रेल लाइन पर खड़ी मालगाड़ी (पेट्रोल-डीजल) के साथ सेल्फी लेने के दौरान दो बच्चे हाइटेंशन तार की चपेट में आने से झुलस गये. इस घटना में परसुडीह के मकदमपुर निवासी फैजल (13) की मौके पर मौत हो गई थी. जबकि गंभीर रूप से घायल दूसरे बच्चे ने टीएमएच में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.

केनाल में बह गया था अभिनव

अक्टूबर-2018 में बारीडीह भूषण कॉलोनी निवासी ओमप्रकाश झा का 18 वर्षीय पुत्र अभिनव सेल्फी लेने के चक्कर में एमजीएम थाना अंतर्गत छोटाबांकी केनाल में बह गया था. अभिनव अपने तीन सहपाठी के केनाल के पास फोटो खिंचाने की बात कहकर घर से निकला था. जब सभी दोस्त फोटो लेने में व्यस्त थे, उसी समय अभिनव का पैर फिसल गया और वह नहर की तेज धार में बह गया.

पुल से गिरकर हुई थी मौत

फरवरी 2018 में मानगो बगानशाही निवासी 15 वर्षीय तंजीर की मौत सोनारी के दोमुहानी पुल से गिरकर हो गयी थी. वह पुल के दोनों लेन के बीच स्थित रेलिंग पर चढ़कर सेल्फी ले रहा था. वह पुल के पिलर पर गिर गया था. तंजीर डीएसएलआर कैमरा लेकर अपने तीन दोस्तों संग फोटो खींचने वहां पहुंचा था. वह प्रत्येक रविवार को अपने दोस्तों संग किसी स्थान पर फोटो खिंचवाने जाता था.

दूसरों का अटेंशन पाने के लिए करते हैं ऐसी हरकतें

मनो चिकित्सक डॉ संजय अग्रवाल के अनुसार सोशल मीडिया पर लोगों का अटेंशन पाने के लिए युवाओं के बीच सेल्फी का क्रेज अधिक देखा जाता है. अजीबो-गरीब चेहरा बनाकर खुद की फोटो लेना, आंख मारना, बालों को चेहरे के सामने लाकर सेल्फी लेना मानसिक विकार की श्रेणी में आता है. सेल्फी लेकर फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया पर पोस्ट करना और लाइक व कमेंट पाने का बेचैनी से इंतजार करना भी बीमारी है. ये सब चीजें व्यक्ति के लो कॉन्फिडेंस को दर्शाती हैं. वे अपने बारे में दूसरों की राय लेना चाहते हैं. डॉ अग्रवाल के मुताबिक, किसी भी तरह का जोखिम उठाना या जान खतरे में डालना, दुर्घटनाग्रस्त लोगों के साथ सेल्फी लेना और उसे पोस्ट करना लोगों को मानसिक बीमारी की ओर ले जाता है. इसीलिए हमेशा इन सब चीजों से बचना चाहिए.

यंग्स्टर्स के बोल
खूबसूरत और यादगार लम्हों को अपने मोबाइल में कैद करना जरूरी होता है. प्रकृति या आसपास के खूबसूरत दृश्य के सात सेल्फी लेना मुझे पसंद है. जब भी मैं ली गयी सेल्फी देखता हूं, यादें ताजा हो जाती हैं.
अतुल सिंह

सेल्फी लेेने का मकसद उसे फेसबुक या इंस्टाग्राम पर पोस्ट करना है. लोगों को यह बताना है कि मैं अमूक जगह पर गयी थी. खूब इंज्वाय किया. इसमें बड़ा जमा आता है. अगर सोशल मीडिया नहीं हो तो सेल्फी लेने का मजा ही नहीं आयेगा. संगीता पॉल

सेल्फी तो अब एक नशा की तरह हो गयी है. इसलिए कोई अच्छी जगह दिख जाये या फिर कोई खास ओकेजन हो तो वहां सेल्फी बनती है. लेकिन मैं कभी भी बेवजह सेल्फी नहीं लेता. क्योंकि बेवजह सेल्फी के चक्कर में कई बार दुर्घटनाएं भी हो जाती हैं.
सुजीत सिंह

दूसरे लोगों को दिखाने के लिए सेल्फी लेता हूं. सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए विभिन्न तरह की सेल्फी पोस्ट करता हूं. लाइक-कॉमेंट मिलने पर अच्छा लगता है.
विशाल महापात्रा

अब खुद सेल्फी खींच सकता हूं. बार-बार तस्वीर लेने के लिए रिक्वेस्ट करने पर सामने वाला इरिटेट होने लगता है. इसलिए सेल्फी बेहतर विकल्प है. जब तक अच्छी और पसंद की तस्वीर न आ जाये, जितनी मर्जी हो, तस्वीरें लेते रहो.
जयदीप चक्रवर्ती

चौंकाने वाले आंकड़े

पूरी दुनिया में सेल्फी के चक्कर में 50 फीसदी मौत भारत में होती है

मरने वालों में 85 प्रतिशत 18 से 24 साल के युवा होते हैं

2011 से 2018 में दुनिया में सेल्फी के दौरान 260 लोगों की मौत हुई

सेल्फी लेने के दौरान मरने वालों में भारत के ही 160 लोग थे

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