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विश्व स्तनपान सप्ताह : जब स्तनपान कराने पर सांसद को सदन से बाहर कर दिया गया था

विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) का आज दूसरा दिन है. इस सप्ताह के आयोजन को सफल बनाने के लिए यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन कई कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं. लक्ष्य है लोगों को स्तनपान के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना. बावजूद इसके जब कोई महिला अपने बच्चे को सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान […]

विश्व स्तनपान सप्ताह (1-7 अगस्त) का आज दूसरा दिन है. इस सप्ताह के आयोजन को सफल बनाने के लिए यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन कई कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं. लक्ष्य है लोगों को स्तनपान के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना. बावजूद इसके जब कोई महिला अपने बच्चे को सार्वजनिक स्थलों पर स्तनपान कराती है, तो उसे तंज सहना पड़ता है और इसे एक अश्लील कृत्य बता दिया जाता है. आज भी लोग यह मानते हैं कि स्तनपान एक ऐसी चीज है, जो बेहद निजी है और इसे बंद कमरे में ही किया जाना चाहिए. लेकिन ऐसे में सवाल यह है कि अगर कोई महिला घर से बाहर हो तो वह कैसे अपने बच्चे की भूख मिटा पायेगी?

ज्ञात हो कि वर्ष 2003 में आस्ट्रेलिया में पार्लियामेंट अॅाफ विक्टोरिया से एक सांसद क्रिस्टी मार्शल को इसलिए बाहर कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने सदन में अपनी नवजात बच्ची को दूध पिलाया था. लेकिन इसके विपरीत इसी वर्ष आस्ट्रेलिया की एक सांसद ने सदन में अपने बच्चे को स्तनपान कराकर एक मिसाल पेश की थी. उन्होंने अपनी तसवीर ट्‌वीटर में भी शेयर की थी. जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह गौरवान्वित महसूस कर रही हैं.
वहीं अप्रैल माह में किर्गिस्तान के राष्ट्रपति की सबसे छोटी बेटी आलिया शागयीवा के अपने बच्चे को स्तनपान कराते एक तस्वीर सोशल मीडिया में पोस्ट की थी, जिसपर विवाद हो गया था और इस तसवीर को कामुकता से जोड़कर देखा जा रहा था. जिसपर उन्होंने कहा भी था कि इसे कामुकता से नहीं जोड़ा चाहिए. मेरा शरीर मेरे बच्चे की भूख मिटा सकता है, उसमें अश्लीलता कुछ भी नहीं है. लेकिन उनके इस पोस्ट पर उनकी बहुत निंदा हुई और यहां तक कि उनके माता-पिता ने भी उनका विरोध किया.


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स्तनपान को लेकर हो रहे तमाम विवादों के बीच यह बात अक्षरश: सत्य है कि स्तनपान एक बच्चे के लिए वरदान है. यूनिसेफ जैसी संस्था लोगों को यह बता रही है कि स्तनपान एक ऐसा इंवेस्टमेंट जिसका फायदा आपको मिलना ही है. स्तनपान हर बच्चे का जीवन सुरक्षित करता है. इसे बच्चे का पहला जीवनरक्षक टीका माना जा सकता है क्योंकि यह कई तरह की बीमारियों से बचाता है और मस्तिष्क के विकास को मजबूत करता है. ऐसा दावा किया जा रहा है अगले 10 वर्षों में यह 520,000 बच्चों के जीवन को बचा सकता है.
स्तनपान के महत्व को समझते हुए कई महिलाओं ने कार्य स्थलों पर भी अपने बच्चे को स्तनपान कराकर एक मिसाल पेश करने की कोशिश की है, साथ ही उन्होंने कार्यस्थलों पर इसके लिए व्यवस्था कराये जाने की मांग को भी मजबूती से उठाया है.

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