कामयाबी के बाद हो सकता है धोखा! चाणक्य से जानें सफलता के बाद कौन होता है आपका सबसे बड़ा दुश्मन
Chanakya Niti: कामयाबी मिलने के बाद कई लोग तेजी से फैसले लेने लगते हैं और नये रिश्तों पर भरोसा कर बैठते हैं, जो आगे चलकर नुकसान दे सकता है. चाणक्य नीति बताती है कि सफलता के बाद भावनात्मक निर्णय, अचानक आने वाले लोग और अहंकार व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है. जानें किस पर भरोसा करना चाहिए और किससे बचना जरूरी है.
Chanakya Niti: जिंदगी में सफलता किसे नहीं चाहिए होती है? इंसान 16 साल के बाद से ही इस दिशा में लग जाता है. अंत में जब मेहनत, संघर्ष और धैर्य के बाद कामयाबी मिलती है तो व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ जाता है. समाज में पहचान बनने लगती है और धीरे धीरे लोगों का व्यवहार आपके लिए बदल जाता है. हर लोग आपसे संबंध बनाने की कोशिश करते हैं. लेकिन चाणक्य नीति के अनुसार कामयाबी ज्यादा जरूरी समझदारी है. क्योंकि सफलता के बाद सबसे ज्यादा खतरा दूसरों से नहीं बल्कि अपने ही फैसलों से होता है. क्योंकि खुशी में लिया गया फैसला अक्सर नुकसान दे जाता है.
कामयाबी मिलने के बाद भावनात्मक फैसला लेने से बचना जरूरी
चाणक्य नीति के अनुसार अत्याधिक प्रसन्नता निर्णय की क्षमता को कमजोर कर देती है. अक्सर देखा जाता है कि लोग सफल होने के बाद कोई भी फैसला बहुत तेजी से फैसले लेने लगते हैं. क्योंकि उनकी जिंदगी सुरक्षित हो जाती है. इस दौरान वह नये नये लोगों के साथ पार्टनरशिप करने लगता है. नये रिश्ते की शुरुआत होती है. नये भरोसे और कई बार बिना सोचे समझे आर्थिक खर्च. यही वह समय होता है जब व्यक्ति गलत निर्णय का शिकार हो जाता है. कामयाबी मिलने के बाद सबसे पहले जिस पर भरोसा नहीं करना चाहिए वो है भावनात्मक फैसला.
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सबसे ज्यादा धोखा वही देता है जो अचानक करीब आ जाए
कामयाबी मिलते ही बहुत सारे लोग आपसे संबंध जोड़ने लगते हैं. लेकिन चाणक्य के अनुसार उन लोगों की पहचान करना ज्यादा जरूरी है जो आपकी उपलब्धियों पर मौन थे और अचानक नजदिकियां बढ़ाने लगे. उन लोगों से सतर्क रहने की जरूरी है. कामयाबी के साथ अक्सर नए लोग जुड़ते हैं. कुछ आपके साथ ईमानदारी से आते हैं तो कुछ केवल चमक की तलाश में और फायदा उठाने के मकसद से. ऐसे लोग बिना कारण आपकी तारीफ करेंगे, आपका भरोसा जीतेंगे और सही समय पर आने पर दूर निकल जाएंगे.
अहंकार दुश्मन से ज्यादा खतरनाक
चाणक्य के अनुसार, कामयाबी के बाद सबसे अधिक खतरा ‘अपने दुश्मनों से नहीं, बल्कि अपने अहंकार से रहता है. क्योंकि यह ऐसी चीज है जो इंसान को धीरे धीरे गर्त में ले जाती है. सफलता के बाद “मैं सब जानता हूं” वाला भाव सबसे बड़ा भ्रम होता है. इस भाव में इंसान पुराने सलाहकारों को नजरअंदाज कर देता है, जिन्होंने संघर्ष के समय उसका साथ दिया था और यही बदलाव रिश्तों, व्यवसाय और निर्णयों में दरार पैदा कर देता है.
