विशाल भारद्वाज को शेक्सपीयर की कृतियों से पहली बार में ही मोहब्बत हो गया था

नयी दिल्ली : फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा है कि उन्हें जब विलियम शेक्सपीयर की ‘मैकबेथ’ पढ़ने का संयोग मिला तो वह पहली नजर में उसके मुरीद हो गये. उन्हें इसी कृति से ‘मकबूल’ बनाने की सबसे बड़ी प्रेरणा मिली. शेक्सपीयर की ‘ ओथेलो ‘ पर ‘ओमकारा’ और ‘हेमलेट’ पर ‘हैदर’ बनाने वाले भारद्वाज ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 21, 2018 3:09 PM

नयी दिल्ली : फिल्मकार विशाल भारद्वाज ने कहा है कि उन्हें जब विलियम शेक्सपीयर की ‘मैकबेथ’ पढ़ने का संयोग मिला तो वह पहली नजर में उसके मुरीद हो गये. उन्हें इसी कृति से ‘मकबूल’ बनाने की सबसे बड़ी प्रेरणा मिली. शेक्सपीयर की ‘ ओथेलो ‘ पर ‘ओमकारा’ और ‘हेमलेट’ पर ‘हैदर’ बनाने वाले भारद्वाज ने कहा कि यह महज संयोग रहा कि लेखक की कृतियों से उनके दिल के तार बहुत जल्द जुड़ गए.

तेरहवें हैबिटैट फिल्म समारोह के दौरान ‘वर्ड टू स्क्रीन : ट्रांसलेटिंग शेक्सपीयर एंड रस्किन बांड’ के एक सत्र में भारद्वाज ने कहा , ‘मुझे संयोगवश शेक्सपीयर से प्यार हो गया.’

उन्‍होंने आगे कहा,’ मैंने ‘मकड़ी’ बनायी थी और उसके बाद मैं गैंगस्टर के विषय पर एक फिल्म बनाना चाहता था लेकिन मैं एक ऐसी फिल्म बनाना चाहता था जिसमें गैंग वार,गोली, बंदूक और खून से भी अलग कुछ बात हो.’

भारद्वाज ने कहा , ‘हमारा आलाप नाम का एक पोता है। वह देहरादून में पढ़ाई कर रहा था और ट्रेन से मैं उसके साथ दिल्ली आ रहा था. मुझे बोरियत हो रही थी तो मैंने उससे कहानियों की एक किताब मांगी. इस तरह मैंने ‘मैकबेथ’ पढ़ी. मुझे लगा कि यह गैंगस्टर से जुड़ी फिल्म की बहुत अच्छी कहानी हो सकती है. मैंने उसे दोबारा पढ़ी और मुंबई लौटने के बाद उस पर काम करना शुरू कर दिया है.’

हार्परकॉलिन्स इंडिया ने संयुक्त रूप से इस कार्यक्रम का आयोजन किया था.

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