साइबर फ्रॉडों को कच्चा चबा जाएगा संचार साथी? जानें यह कैसे करता है काम

Sanchar Saathi App: संचार साथी ऐप साइबर फ्रॉड से सुरक्षा के लिए दूरसंचार विभाग का सबसे शक्तिशाली टूल है, जो चोरी हुए मोबाइल ब्लॉकिंग, फर्जी सिम वेरिफिकेशन, फ्रॉड कॉल-एसएमएस रिपोर्टिंग और वित्तीय जोखिम पहचान जैसी सुविधाएं देता है. 1.4 करोड़ से अधिक डाउनलोड के साथ यह ऐप डिजिटल सुरक्षा मजबूत करता है और यूजर्स को खुद को स्कैम, पहचान चोरी और मोबाइल फ्रॉड से बचाने में सक्षम बनाता है.

By KumarVishwat Sen | December 3, 2025 5:09 PM

Sanchar Saathi App: भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलीकॉम इकोसिस्टम बन चुका है और मोबाइल फोन अब बैंकिंग, हेल्थकेयर, ई-लर्निंग, एंटरटेनमेंट और सरकारी सेवाओं का मुख्य द्वार बन गए हैं. ऐसे समय में साइबर सुरक्षा भारत के नागरिकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है. प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साइबर क्राइम मामले 2023 के 15.9 लाख से बढ़कर 2024 में 20.4 लाख तक पहुंच गए. सिर्फ डिजिटल अरेस्ट स्कैम ही 2024 में 1.23 लाख दर्ज किए गए. इसी बढ़ते खतरे के बीच दूरसंचार विभाग ने संचार साथी मोबाइल ऐप लॉन्च किया. यह एक ऐसा टूल है, जो नागरिकों को सीधे उनके स्मार्टफोन पर सुरक्षा, वेरिफिकेशन और फ्रॉड-रिपोर्टिंग की ताकत देता है.

क्यों जरूरी है संचार साथी

पीआईबी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में टेलीकॉम नेटवर्क का आकार इतना बड़ा है कि हर दिन लाखों कॉल, एसएमएस, बैंकिंग ओटीपी और डिजिटल ट्रांजेक्शन मोबाइल के जरिए होते हैं. ऐसे में पहचान की चोरी, फर्जी केवाईसी, मोबाइल चोरी, बैंकिंग फ्रॉड और स्कैम कॉल के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. संचार साथी ऐप इन्हीं समस्याओं का एकीकृत समाधान है. यह ऐप मूल संचार साथी पोर्टल को मोबाइल फॉर्म में बदलता है, ताकि हर नागरिक चलते-फिरते अपनी डिजिटल सुरक्षा खुद संभाल सके.

डिजिटल सुरक्षा को यूजर्स तक पहुंचाएगा ये प्लेटफॉर्म

दूरसंचार विभाग संचार साथी ऐप को पूरी तरह स्वैच्छिक, यूजर-ड्रिवन और प्राइवेसी-फर्स्ट बताता है. यह तब तक एक्टिव नहीं होता, जब तक यूजर इसे खुद रजिस्टर न करे. यूजर अपने अनुसार इसे एक्टिवेट, डीएक्टिवेट या डिलीट कभी भी कर सकता है. दूरसंचार विभाग का दावा है कि यह डेटा सिर्फ उन्हीं फीचर्स के लिए लेता है, जिनके लिए यूजर सहमति देता है. ऐप न तो प्रोफाइलिंग करता है और न ही डेटा को किसी थर्ड पार्टी को देता है.

संचार साथी का प्रभाव

लॉन्चिंग के बाद से इस पहल ने पूरे देश में डिजिटल सुरक्षा को मजबूत नतीजे दिए हैं. इसके आधिकारिक पोर्टल पर 21.5 करोड़ से अधिक लोगों ने विजिट किया. वहीं, इसके ऐप को 1.4 करोड़ अधिक लोगों ने डाउनलोड किया गया. करीब 42 लाख चोरी खोए हुए डिवाइस ब्लॉक किए गए. करीब 26 लाख मोबाइल फोन ट्रेस किए गए. वहीं, करीब 7.23 लाख फोन वापस लौटाए गए. इतना ही नहीं, संचार साथी के जरिए करीब 1.43 करोड़ संदिग्ध कनेक्शन नॉट माई नंबर के तौर पर मार्क करके हटाए गए. करीब 40.96 लाख फ्रॉड कनेक्शन हटाए गए. करीब 6.2 लाख फ्रॉड आईएमईआई ब्लॉक किए गए और करीब 475 करोड़ की फाइनेंशियल नुकसान को रोका गया. यह भारत में साइबर क्राइम रोकथाम की अब तक की सबसे बड़ी नागरिक-चालित पहल बन रही है.

बैंकिंग फ्रॉड की ढाल बनेगा संचार साथी

दूरसंचार विभाग ने फाइनेंशियल फ्रॉड रिस्क इंडिकेटर (एफआरआई इंडिकेटर) डेवलप किया है, जो मोबाइल नंबरों को फाइनेंशियल रिस्क के आधार पर मीडियम, हाई और वेरी हाई कैटेगरी में रखता है. बैंक, एनबीएफसी और यूपीआई को ऑपरेट करने वाली कंपनियां इस डेटा से हाई-रिस्क नंबरों की पहचान करके अतिरिक्त कस्टमर प्रोटेक्शन प्रदान करती हैं और फिर फ्रॉड ट्रांजेक्शन की रोकथाम की दिशा में कदम उठा सकती हैं. यह भुगतान प्रणाली पर बड़े हमलों से सुरक्षा का महत्वपूर्ण टूल बन चुका है.

कैसे काम करता है संचार साथी ऐप

चक्षु: फ्रॉड कॉल, एसएमएस और व्हाट्सएप रिपोर्टिंग

यह संचार से जुड़े केवाईसी स्कैम, फर्जी लिंक्स और संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट करने का टूल है. इससे दूरसंचार विभाग को जाली केवाईसी पैटर्न, पहचान चोरी और यूसीसी (अनसॉलिसिटेड कॉमर्शियल कम्यूनिकेशन) के खिलाफ फास्ट कार्रवाई में मदद मिलती है.

आईएमईआई ट्रैकिंग और ब्लॉकिंग

भारत में कहीं भी खोया या चोरी हुआ फोन इस फीचर से ट्रैक और ब्लॉक किया जा सकता है. यह पुलिस को डिवाइस रिकवरी, नकली या मोबाइल क्लोन रोकने और ब्लैक मार्केट के नेटवर्क पकड़ने में बड़ा हथियार साबित हो रहा है.

मोबाइल कनेक्शन वेरिफिकेशन

यूजर अपने नाम से जारी सभी सिम कनेक्शन देख सकता है. अगर कोई नंबर फर्जी केवाईसी से जारी है, तो तुरंत रिपोर्ट कर उसे बंद कराया जा सकता है.

मोबाइल डिवाइस की असलियत जांच

आईएमईआई डालकर आप सत्यापित कर सकते हैं कि खरीदा गया मोबाइल असली या नकली है.

इंटरनेशनल कॉल की पहचान

अगर कोई कॉल इंटरनेशनल होकर भी +91 से शुरू हो रही है, तो ऐप से रिपोर्ट की जा सकती है. यह देश में अवैध टेलीकॉम गेटवे पकड़ने का बड़ा माध्यम बन चुका है.

आईएसपी चेक करें

यूजर अपने इलाके में मौजूद इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (आईएसपी) की जानकारी देख सकते हैं.

भारत का सबसे मजबूत फ्रॉड-विरोधी नेटवर्क

दूरसंचार विभाग कहता है कि यह पहल जन भागीदारी पर आधारित है. यूजर की रिपोर्ट जितनी तेजी से आए, कार्रवाई उतनी ही मजबूत होती है. पोर्टल के सार्वजनिक डैशबोर्ड से हर कदम पर पारदर्शिता बनी रहती है.

संचार साथी ऐप कितना सुरक्षित है?

संचार साथी आईटी एक्ट 2000 और डीपीडीपी एक्टर 2023 के सभी नियमों का पालन करता है. यह डेटा कलेक्शन को न्यूनतम रखता है. केवल कानूनी जरूरत पर ही डेटा को शेयर करता है. बिना सहमति जानकारी नहीं लेता और डेटा प्रोफाइलिंग नहीं करता यानी यह ऐप सुरक्षा को बढ़ाता है, लेकिन आपकी निजी जानकारी पर खतरा नहीं डालता.

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क्या संचार साथी साइबर फ्रॉड को खत्म कर सकता है?

भारत में साइबर क्राइम जिस तेजी से बढ़ रहा है, उसके अनुसार संचार साथी सरकार का सबसे असरदार और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन जवाब है. यह ऐप डिजिटल सुरक्षा को सरकार की जिम्मेदारी से आगे बढ़ाकर नागरिकों को सशक्त बनाता है, ताकि हर व्यक्ति खुद को फ्रॉड, चोरी, क्लोनिंग और स्कैम से बचा सके. सही इस्तेमाल के साथ यह ऐप भारत की मोबाइल सिक्योरिटी को एक नए स्तर पर ले जा सकता है और साइबर अपराधियों को कच्चा चबाने की क्षमता भी रखता है.

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