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जीडीपी वृद्धि दर पहली तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही, जुलाई में बुनियादी उद्योग की वृद्धि दर 3.2 प्रतिशत

नयी दिल्ली : अर्थव्यवस्था के लिहाज से आज खबरें उतनी अच्छी नहीं रहीं। जहां एक तरफ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही जो पिछली छह तिमाहियों की सबसे धीमी वृद्धि है वहीं बुनियादी उद्योग क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि जुलाई में कम होकर 3.2 प्रतिशत पर […]

नयी दिल्ली : अर्थव्यवस्था के लिहाज से आज खबरें उतनी अच्छी नहीं रहीं। जहां एक तरफ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही जो पिछली छह तिमाहियों की सबसे धीमी वृद्धि है वहीं बुनियादी उद्योग क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि जुलाई में कम होकर 3.2 प्रतिशत पर आ गयी.

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि में धीमेपन का प्रमुख कारण खनन, निर्माण एवं कृषि क्षेत्र का धीमा प्रदर्शन है. पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत थी. पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 7.9 प्रतिशत थी। इससे पहले वित्त वर्ष 2014-15 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत थी। इसके अलावा, जुलाई में आठ बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर पहुंच गई जो इस साल जून में 5.2 प्रतिशत थी. मुख्य रुप से कोयला, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र के धीमे प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में कमी आयी.
वित्त मंत्रालय ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के धीमा होने के लिये अधिक सब्सिडी व्यय को जिम्मेदार ठहराया और विश्वास जताया कि बेहतर मानसून तथा वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर आठ प्रतिशत के आसपास रहेगी. आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस साल बेहतर मानसून, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने तथा सरकार के विभिन्न संरचनात्मक सुधारों से हमारा अनुमान है कि वृद्धि दर पिछले साल के (7.6 प्रतिशत) मुकाबले अधिक रहेगी. संभवत: यह आठ प्रतिशत के आसपास रहेगी. ‘ उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि नीति निर्माताओं को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में रिण प्रवाह को बढाने के लिये कदम उठाने चाहिए ताकि मौजूदा वृद्धि को समर्थन मिल सके.
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ( सीएसओ) के आंकडे के अनुसार सकल मूल्य वर्द्धन (जीवीए) 2016-17 की वृद्धि दर पहली तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही जबकि एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में यह 7.2 प्रतिशत थी. जीवीए का आकलन मूल कीमत पर किया जाता है.
विनिर्माण, बिजली, गैस, जल आपूर्ति तथा अन्य उपयोगी सेवाएं, व्यापार, होटल, परिवहन एवं संचार तथा प्रसारण से जुडी सेवाओं, वित्तीय, बीमा, रीयल एस्टेट तथा पेशेवर सेवाएं एवं लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में आलोच्य तिमाही के दौरान वृद्धि सात प्रतिशत से उपर रही. इस दौरान कृषि, वानिकी और मत्स्यन क्षेत्र में 1.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि खनन तथा उत्खनन क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गयी। निर्माण क्षेत्र ने इस दौरान 1.5 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी. हालांकि चिंता का कारण सकल स्थिर पूंजी निर्माण में गिरावट है जो अर्थव्यवस्था में निवेश गतिविधियों को बताता है.
स्थिर पूंजी निर्माण चालू मूल्य पर 2016-17 की पहली तिमाही में 1.1 प्रतिशत नीचे आया जबकि एक वर्ष पूर्व इसी तिमाही में इसमें 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. दास ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘औद्योगिक वृद्धि में कमी तथा सकल स्थिर पूंजी निर्माण में गिरावट का विश्लेषण किया जा रहा है. सरकार की तरफ से सक्रिय नीतिगत पहल जारी रहेगी.’ हालांकि एक सकारात्मक पहलू यह रहा कि अंतिम निजी उपभोग व्यय में चालू मूल्य पर पहली तिमाही में 11.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई. अंतिम निजी उपभोग व्यय अर्थव्यवस्था में मांग का एक संकेतक है.
जीडीपी आंकडे के बारे में फिक्की अध्यक्ष हर्षवर्द्धन नेवतिया ने कहा कि हालांकि पहली तिमाही में आंकडे नरमी को बताते हैं लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में गति आएगी. बेहतर मानसून एक सकात्मक पहलू है और खरीफ रकबे में वृद्धि दर्ज की गयी है. कृषि क्षेत्र के प्रदर्शन में तेजी आने की उम्मीद है जिससे ग्रामीण उपपभोग बढेगा.

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