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सीमा शुल्क की उल्टी व्यवस्था से भारत में विनिर्मित वस्तुएं महंगी हो रही हैं

नयी दिल्ली: एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सीमा शुल्क की उल्टी व्यवस्था (इनवर्टेड कस्टम ड्यूटी) से घरेलू बाजार में आयातित तैयार उत्पादों के मुकाबले वस्तुओं का विनिर्माण करना गैर.प्रतिस्पर्धी साबित हो रहा है. उल्टे शुल्क ढांचा का मतलब ऐसी स्थिति से है जहां तैयार माल के आयात पर शुल्क की दर कम और […]

नयी दिल्ली: एक सर्वेक्षण में कहा गया है कि सीमा शुल्क की उल्टी व्यवस्था (इनवर्टेड कस्टम ड्यूटी) से घरेलू बाजार में आयातित तैयार उत्पादों के मुकाबले वस्तुओं का विनिर्माण करना गैर.प्रतिस्पर्धी साबित हो रहा है. उल्टे शुल्क ढांचा का मतलब ऐसी स्थिति से है जहां तैयार माल के आयात पर शुल्क की दर कम और उसके विनिर्माण में काम आने वाले कच्चे या माध्यमिक माल के आयात पर शुल्क दर उंची होती है.

उद्योग मंडल फिक्की ने सरकार को दिए एक ज्ञापन में दिखाना चाहा है कि नौ विनिर्माण क्षेत्रों में शुल्क का ढांचा उल्टा है जहां कच्चे माल के आयात पर उंची दर से शुल्क लगाया जाता है. इनमें एल्युमीनियम उत्पाद, पूंजीगत सामान, सीमेंट, रसायन, इलेक्ट्रानिक्स, कागज, इस्पात, कपड़ा व टायर शामिल हैं.उल्टे शुल्क ढांचे का घरेलू उद्योग पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि विनिर्माताओं को शुल्क के संबंध में कच्चे माल के लिए अधिक दर से भुगतान करना पड़ता है, जबकि तैयार माल कम शुल्क के साथ देश में आता है और उसकी लागत कम रहती है. सर्वेक्षण के तथ्य इस मायने में अहम है कि भारत अब कई क्षेत्रीय व द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौतों से जुड़ चुका है और इन समझौतों का लक्ष्य बाजार पहुंच के संदर्भ में भारतीय कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराना है.

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