नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद की मंगलवार को 34वीं बैठक होनी है. इसमें रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए जीएसटी की घटी दरों के क्रियान्वयन समेत विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है. सूत्रों ने कहा कि बैठक में केवल उन्हीं मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जायेगा, जिन पर निर्णय लिया जा चुका है और उन्हें अमल में लाया जाना है. रीयल एस्टेट क्षेत्र के लिए जीएसटी की जो दरें कम की गयी हैं, उनके क्रियान्वयन से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श होने की संभावना है.
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उन्होंने कहा कि आचार संहिता लागू होने के चलते दरों में फेरबदल से जुड़ा कोई भी मुद्दा बैठक के एजेंडे में नहीं है. जीएसटी परिषद ने पिछली बैठक (24 फरवरी) में निर्माणाधीन फ्लैटों पर जीएसटी की दर को घटाकर पांच फीसदी और सस्ते आवासों पर दर को कम करके एक फीसदी कर दिया था. नयी दरें एक अप्रैल से प्रभावी होंगी.
सूत्रों ने कहा कि परिषद के इस बैठक में रीयल एस्टेट क्षेत्र से जुड़े नये नियमों पर अपनी मंजूरी देने की उम्मीद है. इसमें इस बारे में सहमति बन सकती है कि बिल्डर अपनी अंतिम कर देनदारी के निपटाने में कच्चे माल और सेवाओं पर भुगतान किये गये करों के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का कहां तक इस्तेमाल कर सकता है, क्योंकि एक अप्रैल से रीयल एस्टेट क्षेत्र नयी कर व्यवस्था की तरफ बढ़ेगा.
इस समय निर्माणाधीन या ऐसे तैयार मकान जिनके लिए काम पूरा होने का प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) नहीं मिला हो, उन पर खरीदारों को 12 फीसदी की दर से जीएसटी देना पड़ता है. किफायती घरों के लिए यह दर आठ फीसदी है. फरवरी में जीएसटी कलेक्शन गिरकर 97,247 करोड़ रुपये पर आ गया, जबकि जनवरी में यह 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा था. कुल 97,247 करोड़ रुपये के जीएसटी में केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) संग्रह 17,626 करोड़ रुपये , राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) 24,192 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) 46,953 करोड़ रुपये तथा उपकर 8,476 करोड़ रुपये रहा.
चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक कुल 10.70 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हुआ है. सरकार ने संशोधित अनुमान में चालू वित्त वर्ष के लिए जीएसटी संग्रह के लक्ष्य को कम करके 11.41 लाख करोड़ रुपये कर दिया. 2018-19 के बजट में इसके 13.71 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जताया गया था. जीएसटी संग्रह अप्रैल में 1.03 लाख करोड़ रुपये, मई में 94,016 करोड़ रुपये, जून में 95,610 करोड़ रुपये, जुलाई में 96,483 करोड़ रुपये, अगस्त में 93,960 करोड़ रुपये, सितंबर में 94,442 करोड़ रुपये, अक्टूबर में 1,00,710 करोड़ रुपये, नवंबर में 97,637 करोड़ रुपये, दिसंबर 2018 में 94,725 करोड़ और जनवरी 2019 में 1.02 लाख करोड़ रुपये रहा. फरवरी में यह घटकर 97,247 करोड़ रुपये रह गया.
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