नयी दिल्ली : ई-कॉमर्स क्षेत्र की प्रमुख ऑनलाइन रिटेलर कंपनी फ्लिपकार्ट अब अमेरिका की वॉलमार्ट के हाथों बिकने के लिए तैयार हो गयी है. मीडिया की खबरों में यह कहा जा रहा है कि अमेरिका की सबसे बड़ी दिग्गज कंपनियों में शुमार वॉलमार्ट करीब एक दशक पहले से भारत की प्रमुख ऑनलाइन कंपनियों में शुमार फ्लिपकार्ट पर अपना नियंत्रण स्थापित करने की खातिर उसकी हिस्सेदारी खरीदने की फिराक में जुटी हुई है. इसी प्रयास में दुनिया की सबसे बड़ी रिटेल चेन कंपनी वॉलमार्ट ने तीन सूत्री लक्ष्य भी तय कर लिये हैं.
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इसके साथ ही, मीडिया की खबरों में यह भी कहा जा रहा है कि भारत की सबसे बड़ी ऑनलाइन रीटेलर फ्लिपकार्ट के कई प्रमुख शेयरहोल्डर अपना हिस्सा वॉलमार्ट को बेचने पर राजी हो गये हैं. हालांकि, इस सौदे पर नजदीक से नजर रखने वाले सूत्रों का कहना है कि फ्लिपकार्ट के प्रमुख शेयरधारकों में सबसे बड़ा हिस्सेदार सॉफ्टबैंक बेहतर दाम चाहती है और हिस्सेदारी बेचने को राजी नहीं है.
सूत्रों और जानकारों के हवाले से हिंदी खबरों की वेबसाइट इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार, वॉलमार्ट ने न्यू यॉर्क की निवेशक कंपनी टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, साउथ अफ्रीकी मीडिया कंपनी नैस्पर्स, वेंचर कैपिटल फर्म एक्सेल और चीन की टेनसेंट होल्डिंग्स की हिस्सेदारी खरीदने पर रजामंदी दी है. उन्होंने बताया कि फ्लिपकार्ट के संस्थापक सचिन बंसल और बिन्नी बंसल भी कंपनी में अपनी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा बेचने पर राजी हो गये हैं. इन छह शेयरधारकों के पास फ्लिपकार्ट में 55 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है.
सूत्रों ने बताया कि इसकी सबसे बड़े शेयरधारक सॉफ्टबैंक के पास 20 फीसदी हिस्सा है और वह शेयरों की द्वितीयक बिक्री के जरिये करीब 15-17 अरब डॉलर मांग रहा है. उसने पिछले साल अपने 100 अरब डॉलर के विजन फंड के जरिये फ्लिपकार्ट में 2.5 अरब डॉलर निवेश किये थे. वह भारत के कन्ज्यूमर इंटरनेट सेक्टर में सबसे बड़ा निजी निवेश था. सॉफ्टबैंक ने अब तक वॉलमार्ट के रुख पर कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी है.
मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि सॉफ्टबैंक के साथ बातचीत चल रही है. दूसरे अधिकतर शेयरधारक राजी हो गये हैं. उसका कहना है कि इस तरह के सौदे में उतार-चढ़ाव होते ही रहते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि सौदा समय पर पूरा करने को लेकर भी ध्यान देना होगा. सूत्रों ने बताया कि इस लेन-देन की अंतिम प्रक्रिया अभी तय नहीं हुई है. इनमें आखिरी वक्त में बदलाव हो सकता है. यह साफ नहीं है कि वॉलमार्ट के बाकी शेयरधारकों के साथ सौदा करने के बाद भी जापान की रणनीतिक निवेशक सॉफ्टबैंक बातचीत जारी रखेगी या नहीं.
गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी वॉलमार्ट ने करीब एक दशक पहले भारत में कैश एंड कैरी कारोबार में हाथ आजमाया था, लेकिन अब वह फ्लिपकार्ट के जरिये सही मायनों में भारतीय खुदरा बाजार में उतरने की तैयारी कर रही है. साथ ही, वह अमेरिका में अपने ई-कॉमर्स कारोबार को बढ़ाने के लिए फ्लिपकार्ट मॉडल को स्वदेश ले जाने की भी योजना बना रही है. इतना ही नहीं कंपनी चाहती है कि उसकी प्रतिद्वंद्वी अमेजन भारत में वॉलमार्ट समर्थित फ्लिपकार्ट से लड़ाई में और नकदी झोंके.
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