मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अगुवाईवाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दो दिन की बैठक मंगलवार को यहां शुरू हुई. इस बीच, कई विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा, क्योंकि उसका मुख्य ध्यान मुद्रास्फीति के नियंत्रण पर है. एमपीसी की दो दिन की बैठक के नतीजे बुधवार को आयेंगे. सभी अंशधारकों मसलन उद्योग और शेयर बाजारों की निगाह बैठक पर है.
अक्तूबर की समीक्षा बैठक में एमपीसी ने मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका के चलते प्रमुख नीतिगत दरों में बदलाव नहीं किया था, वहीं चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया था. अगस्त में रिजर्व बैंक ने रेपो दर को चौथाई प्रतिशत घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था. यह नीतिगत दरों का छह साल का निचला स्तर है. बैंकरों और विशेषज्ञों का मानना है कि यह लगातार दूसरी द्विमासिक समीक्षा होगी जब केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में बदलाव नहीं करेगा.
यूनियन बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजकिरण राय ने कहा, केंद्रीय बैंक यथास्थिति कायम रखेगा. प्रणाली में तरलता काफी निचले स्तर पर है. जमा पर ब्याज दरें मजबूत हो रही हैं और मुद्रास्फीति को लेकर चिंता है. क्रेडिट रेटिंग कंपनी इक्रा ने कहा कि रिजर्व बैंक मुख्य नीतिगत दर को छह प्रतिशत पर कायम रखेगा, क्योंकि ऐसी संभावना है कि आगामी महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति मजबूत होगी. एमपीसी की बैठक ऐसे समय हो रही है, जबकि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अक्तूबर में छह महीने के उच्चस्तर 3.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी है. इस दौरान अक्तूबर के लिए खुदरा मुद्रास्फीति सात माह के उच्चस्तर 3.58 प्रतिशत पर पहुंच गयी.
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