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जानें, आसूमल के आसाराम बनने की पूरी कहानी

जोधपुर : 450 से अधिक छोटे बड़े आश्रम के संचालक, करोड़ों की संख्या में भक्त उन्हें आसाराम बापू बुलाते हैं. कोर्ट ने आसाराम को दुष्कर्म के मामले में दोषी माना है. आसाराम का पूरा नाम आसूमल थाऊमल सिरुमलानी अथवा आसूमल सिरूमलानी है. 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से लगभग 10 किलोमीटर दूर मोटेरा कस्बे में […]

जोधपुर : 450 से अधिक छोटे बड़े आश्रम के संचालक, करोड़ों की संख्या में भक्त उन्हें आसाराम बापू बुलाते हैं. कोर्ट ने आसाराम को दुष्कर्म के मामले में दोषी माना है. आसाराम का पूरा नाम आसूमल थाऊमल सिरुमलानी अथवा आसूमल सिरूमलानी है. 1972 में आसाराम ने अहमदाबाद से लगभग 10 किलोमीटर दूर मोटेरा कस्बे में अपना पहला आश्रम शुरू किया. एक साधारण व्यक्ति कैसे आसाराम बापू बना.

आसाराम का जन्म 17 अप्रैल 1941 भारत के नवाबशाह जिले के बेराणी गाँव में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है. पिता का नाम थाऊमल सिरूमलानी और मां का नाम महंगीबा था. विभाजन के बाद उनका पूरा परिवार गुजरात आ गया. अहमदबाद बाद में उनका पूरा परिवार ठीक से अपना पेट भी नहीं भर पाता था. इस परिवार को आर्थिक संकट से लड़ना पड़ा. पिता ने चीनी का व्यापार शुरू किया. कुछ सालों के बाद पिता का निधन हो गया. अपनी मां से उन्होंने आध्यात्म की शिक्षा ली है. आध्यात्म की शिक्षा लेने के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया. देश के कई राज्यों में भटके. भटकते-भटकते वह स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के आश्रम नैनीताल पहुंचे. यहीं से दीक्षा लेने के बाद उन्हें आसाराम नाम दिया.
आसाराम इसके बाद भी घूमते रहे और प्रवचन देने लगे. स्वयं भी गुरु-दीक्षा देने लगे. सत्संग कार्यक्रम में लोगों की भीड़ आने लगी. साल 2001 में अहमदाबाद में हुए सत्संग में 20,000 छात्र शामिल हुए थे. अगस्त 2012 में गोधरा के समीप उनका हैलीकॉप्टर क्रैश हो गया था. इस दुर्घटना में आसाराम बाल – बाल बचे. इसके बाद भक्तों की संख्या में भारी वृद्धि हुई.

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