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युवा कर्मचारियों को भी कुछ उम्मीदें हैं आपसे

दक्षा वैदकर ऐसा नहीं है कि युवाओं को कर्मचारी के रूप में नियुक्त करने वाले मैनेजर्स ही उनसे उम्मीद रखते हैं. कंपनी में अपनी क्रिएटिविटी व कड़ी मेहनत के जरिये योगदान देने वाले युवा कर्मचारी भी अपने मैनेजर्स से कई उम्मीदें रखते हैं. अगर मैनेजर्स युवाओं की इस परीक्षा में सफल नहीं होते, तो युवाओं […]

दक्षा वैदकर
ऐसा नहीं है कि युवाओं को कर्मचारी के रूप में नियुक्त करने वाले मैनेजर्स ही उनसे उम्मीद रखते हैं. कंपनी में अपनी क्रिएटिविटी व कड़ी मेहनत के जरिये योगदान देने वाले युवा कर्मचारी भी अपने मैनेजर्स से कई उम्मीदें रखते हैं.
अगर मैनेजर्स युवाओं की इस परीक्षा में सफल नहीं होते, तो युवाओं का मन काम से उचटने लगता है. इसलिए मैनेजर्स के लिए भी यह जानना जरूरी है कि युवा कर्मचारी उनसे क्या अपेक्षा रखते हैं. मैनेजर्स को समझना होगा कि युवाओं को सबसे ज्यादा उम्मीद अपने टीम लीडर से होती है. अगर यह बॉस ही उन्हें उनका कौशल दिखाने के लिए प्रोत्साहित नहीं करता, तो उनकी नजर में उसकी छवि अच्छी नहीं बनती. कई बार बड़े पद पर बैठे लोग युवा कर्मचारियों के काम पर यकीन नहीं करते. उन्हें इसका अहसास कराया जाता है कि वे गैर-जिम्मेवार हैं या उन्हें तो कुछ आता ही नहीं.
चूंकि कंपनी ने उन्हें हायर किया है, इसलिए उन्हें सीखने का मौका दिया जाना चाहिए. उनके काम में हुई कमी से उन्हें फौरन जज न करें. गलतियां हों, तो भी प्रयास करने से न रोकें. कुछ मौकों पर उनसे राय भी लें, क्योंकि कई ऐसी नीतियां होती हैं, जिनमें कर्मचारियों से सलाह ले लेना जरूरी होता है. ऐसे में हो सकता है कि युवा कर्मचारी अपने क्रिएटिव आइडिया से आपको कोई फायदा पहुंचा दे.
एक बात यह भी है कि जब किसी महत्वपूर्ण मीटिंग में आप सब के सामने उनसे सलाह लेते हैं, तो वे इस दिशा में और मेहनत करने लगते हैं. सीनियर्स इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि समय-समय पर युवा कर्मचारियों को फीडबैक जरूर देते रहें.
किसी कर्मचारी का एक काम अच्छा हो जाने या किसी दूसरे का एक काम खराब हो जाने पर यदि सफल या विफल का टैग लगा दिया जाता है, तो यह बात युवा कर्मचारी को चुभने लगती है. याद रहे, वे अपनी तारीफ सुन कर अगर खुश होते हैं, तो अपनी गलतियों पर फीडबैक ले कर सुधारने को भी तैयार हैं. इसलिए यदि आपकी टीम में युवा कर्मचारी हैं, तो फीडबैक की प्रक्रिया को महत्व दें. इससे आपको उनके इवैल्यूएशन और उन्हें अपने सुधार में मदद मिलेगी.
बात पते की..
– सीनियर्स अक्सर युवाओं को यह जताने में लगे रहते हैं कि पार्टी, मौज-मस्ती के दिन अब गये, अब 100 परसेंट काम करो. यह तरीका गलत है.
– युवाओं की भी अपनी जिंदगी होती है. यही उनकी घूमने-फिरने की उम्र भी है इसलिए जबरदस्ती उन्हें रोक कर काम न करवायें.

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