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अत्रेयी नदी : मछली पकड़ने वालों का लगा जमावड़ा

बालूरघाट. दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट इलाके में अत्रेयी नदी के किनारे इन दिनों मछली पकड़ने वालों की भारी भीड़-भाड़ देखी जा रही है. इसमें वह मछुआरे तो शामिल हैं ही जो अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए मछली पकड़ने का काम करते हैं, लेकिन ऐसे शौकीन लोगों की संख्या भी काफी अधिक है जो शौक […]

बालूरघाट. दक्षिण दिनाजपुर जिले के बालूरघाट इलाके में अत्रेयी नदी के किनारे इन दिनों मछली पकड़ने वालों की भारी भीड़-भाड़ देखी जा रही है. इसमें वह मछुआरे तो शामिल हैं ही जो अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए मछली पकड़ने का काम करते हैं, लेकिन ऐसे शौकीन लोगों की संख्या भी काफी अधिक है जो शौक पूरा करने और समय बीताने के लिए यहां मछली पकड़ने आ रहे हैं. अत्रेयी नदी के किनारे के साथ ही नावों पर भी लोग बैठकर मछलियां पकड़ने में लगे हुए हैं.

इसके लिए तरह-तरह की बंशी बनायी गई है. शौकिया मछली पकड़ने वालों से नाव वाले भी मोटी रकम कमा रहे हैं. शौकिया तौर पर मछली पकड़ने वालों का कहना है कि यह उनके लिए एक नशे के समान है. यही वजह है कि घंटों बंशी लगाकर मछली फंसने का इंतजार करते रहते हैं. यदि मछली पकड़ने में कामयाब हुए तो खुशी होती है और नहीं मिला तो इससे भी कोई खास गम नहीं होता है. उल्लेखनीय है कि दक्षिण दिनाजपुर जिले में अत्रेयी नदी बांग्लादेश से निकल कर आती है. दक्षिण दिनाजपुर जिले के कुमारगंज, बालूरघाट इलाके से यह नदी बहते हुए फिर से बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है. ठंड के समय पानी कम होने से मछलियों को पकड़ने में आसानी होती है. मछली पकड़ने वालों के लिए अत्रेयी नदी सबसे लोकप्रिय इसलिए भी है कि ठंड के समय मात्र इसी नदी में पानी होता है और मछलियां बांग्लादेश से बह कर आती हैं.

बांग्लादेश के हिल्सा मछली की अलग खासियत है. मछली मारने वाले शौकीन हिल्सा मछली को पकड़ने के लिए भी यहां आते हैं. पेशे से शिक्षक संजय चक्रवर्ती उन लोगों में शामिल हैं जो छुट्टी के समय बंशी लेकर कुमारगंज इलाके में पहुंच जाते हैं. उनका कहना है कि ठंड के समय मछलियों का स्वाद अलग होता है.

बरसात के समय नदियों में अधिक पानी होने की वजह से मछलियों को पकड़ पाना संभव नहीं है. तन्मय कर नामक एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि मछली मिलना या नहीं मिलना, बड़ी बात नहीं है. उन्हें इस बात का मजा है कि वह बंशी लेकर कई घंटे तक मछली फंसने के इंतजार में बैठे रहते हैं. छुट्टी का समय उनका बीत जाता है. एक 60 वर्षीय व्यक्ति मंतोष महतो भी मछली पकड़ने के दीवाने हैं. उनका कहना है कि वह पिछले 30 साल से शौकिया तौर पर अत्रेयी नदी से मछली पकड़ रहे हैं. जब भी समय मिलता है, वह मछली पकड़ने यहां आ जाते हैं.

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