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हर माह ट्रैक ने ले ली एक की जान

ग्रैंड कोड रेललाइन पर नहीं रुक रहा दुर्घटनाओं का सिलसिला कोचिंग जा रही छात्रा की मालगाड़ी की चपेट में अाने से गयी जान 11 महीनों में जा चुकी है 11 लोगों की जान सासाराम : शहर के बीचोबीच गुजरी ग्रैंड कोड रेल लाइन पर लगातार मौतें हो रही हैं. शहरी सीमा में पांच किलोमीटर के […]

ग्रैंड कोड रेललाइन पर नहीं रुक रहा दुर्घटनाओं का सिलसिला

कोचिंग जा रही छात्रा की मालगाड़ी की चपेट में अाने से गयी जान
11 महीनों में जा चुकी है 11 लोगों की जान
सासाराम : शहर के बीचोबीच गुजरी ग्रैंड कोड रेल लाइन पर लगातार मौतें हो रही हैं. शहरी सीमा में पांच किलोमीटर के अंदर में विगत एक वर्ष में 11 मौतें हो चुकी हैं. शनिवार की सुबह तकिया रेल गुमटी के समीप अप लाइन पर छात्रा मालगाड़ी के चपेट में आ गयी, जिससे उसकी मौत हो गयी. इस बारे में रेल थानाध्यक्ष ओमप्रकाश ने बताया कि मृत छात्रा की पहचान हो गयी है. वह करगहर थाना क्षेत्र के चौबे बहुआरा गांव निवासी कृष्ण मोहन चौबे की बेटी प्रियंका कुमारी (16) थी. मृत छात्रा के पिता अधिवक्ता हैं और तकिया में अपनी मकान बना परिवार के साथ रहते हैं. सुबह में छात्रा कोचिंग जाने के लिए रेलवे ट्रैक पार कर रही थी,
तभी हादसा हो गया. उन्होंने कहा कि शव का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया गया है. वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्रियंका का सुबह छह बजे से कोंचिग था, देर हो जाने के कारण जल्दबाजी में थी. जैसे से ही वह रेलवे ट्रैक पर पहुंची, तो दोनों ओर से मालगाड़ी आ रही थी. डाउन लाइन पार कर गयी थी. इस दौरान रिभरसेबुल लाइन पर ट्रेन करीब देख अप लाइन की ओर भागी, तभी अप लाइन पर मालगाड़ी की चपेट में आ गयी.
रेलवे ट्रैक की नहीं हो रही घेराबंदी:
शहरी क्षेत्र में रेलवे ट्रैक की घेराबंदी नहीं होने से लगातार दुर्घटनाएं हो रही हैं. पिछले एक वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें, तो धनपुरवा गुमटी से बेदा नहर पुल तक 11 मौतें हो चुकी हैं. यह आंकड़ा लापरवाही में रेल ट्रैक पार करने के दौरान हुआ है. इसमें सुसाइड के भी कई मामले हैं. गौरतलब है कि 19 नवंबर 2016 को शहर में धनपुरवा गुमटी के समीप कोंचिग जाने के दौरान तीन छात्राएं रेलवे ट्रैक पार कर रही थीं, तभी मालगाड़ी की चपेट में आ गयीं.
इसमें दो सगी बहनें न्यू एरिया निवासी नेहा व ज्योति की घटनास्थल पर ही मौत हो गयी थी. जबिक, तीसरी छात्रा पूजा बुरी तरह घायल हो गयी थी. घटना के अगले दिन सासाराम स्टेशन पहुंचे मुगलसराय डिवीजन के डीआरएम किशोर कुमार ने शहरी क्षेत्र में रेलवे ट्रैक की घेराबंदी की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि योजना प्रस्तावित है, पास होते ही घेराबंदी की जायेगी. लेकिन, एक वर्ष बीत गये अभी तक घेराबंदी की योजना खटाई में है.
इस साल की घटनाओं पर एक नजर
पांच जनवरी को गौरक्षणी रेल गुमटी के समीप गौरक्षणी की महिला राजवंती देवी की मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गयी.
19 फरवरी को औरंगाबाद जिले के काशीचक गांव निवासी युवती हेमलता की कोचिंग जाने के दौरान मौत हो गयी.
मार्च में कुदरा निवासी सुभाष बैठा गौरक्षणी से वापस बस स्टैंड लौट रहे थे, तभी रेलवे ट्रैक पार करने के दौरान ट्रेन की चपेट में आ गये, जिससे उनकी मौत हो गयी थी.
12 अप्रैल को स्टेशन के समीप झारखंड के जपला निवासी बीएमपी जवान वीरेंद्र राम की मौत हो गयी थी.
17 जुलाई शंकर कॉलेज के समीप एक छात्रा कविता तिवारी पैसेंजर ट्रेन की चपेट में आ गयी, जिससे उसकी जान चली गयी.
8 अगस्त को बेदा नहर पुल के समीप एक महिला की मौत हो गयी थी, मृतका कि पहचान नहीं हो सकी थी.
9 नवंबर को बेदा नहर पूल पर ही एक अधेड़ मालगाड़ी के चपेट में आ गया, जिसमें उसकी मौत हो गयी थी. इस मामले में मृतक का पहचान नहीं हो सका था.
15 नवंबर बुधवार को बेदा नहर पूल पर कोचस के मिश्रवलिया गांव निवासी फौजी राज किशोर सिंह (50) मालगाड़ी की चपेट में आ गये, जिससे उनकी मौत हो गयी.

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