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अपनी कमियों को अपनी ताकत बनाएं

अनिता को जन्म से ही कैल्शियम की कमी है. इसी कारण वह थोड़ा झुक कर चलती है. घर में उसकी शादी की बातचीत चल रही है़, पर इस कमी के चलते कई लड़केवाले उसे रिजेक्ट कर चुके हैं. जो तैयार भी हुए, उनमें खुद हजार कमियां थीं. इन सब कारणों से वह हमेशा हीन भावना […]

अनिता को जन्म से ही कैल्शियम की कमी है. इसी कारण वह थोड़ा झुक कर चलती है. घर में उसकी शादी की बातचीत चल रही है़, पर इस कमी के चलते कई लड़केवाले उसे रिजेक्ट कर चुके हैं. जो तैयार भी हुए, उनमें खुद हजार कमियां थीं. इन सब कारणों से वह हमेशा हीन भावना से ग्रस्त रहती है. तनाव में आकर एक बार वह सुसाइड की कोशिश भी कर चुकी है. घरवालों व दोस्तों ने काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन उनकी सारी कोशिश बेकार गयीं. वे लोग समझ नहीं पाते कि आखिर किस तरह अनिता की जिंदगी को सकारात्मक दिशा दें.
हममें से ज्यादातर लोग अपनी कमियों का रोना रोते हैं. खासकर किसी शारीरिक या मानसिक कमी से ग्रस्त लोगों में इस बात का अधिक मलाल देखने को मिलता है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी इन कमियों का लेकर अफसोस नहीं करते, बल्कि उन्हें ही अपनी पहचान बना लेते हैं. इसकी नायाब मिसाल पिछले दिनों रियो पैरालिंपिक के खिलाड़ियों ने पेश की है. इनके अलावा भी लाखों-करोड़ों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी कमियों पर विजयी पायी है. जानिए किस तरह आप भी उनमें से एक बन सकती हैं.
खुद की दूसरों से तुलना न करें
आत्महीनता के बोध का सबसे बड़ा कारण खुद की दूसरों से तुलना करना है. ऐसा न करें. हो सकता है जो आपके पास है, वह किसी और के पास न हो. कोई भी व्यक्ति अपने आपमें पूर्ण नहीं होता. हर किसी में कुछ खूबी होती है, तो कुछ कमी भी होती है. ये हमारे देखने का नजरिया है कि हम अपनी कमियों को अपनी मजबूरी मानते हैं या फिर उन्हें अपनी ताकत बनाते हैं. जिस दिन आप दूसरों से खुद की तुलना करना छाेड़ देंगी, यकीन मानिए आपके जीवन की आधी परेशानी उसी दिन दूर हो जायेगी.
खुद से कमतर को भी देखें
अपने आस-पास की दुनिया को देखें. आप पायेंगी कि दुनिया में दुखी वे लोग भी हैं, जिनके शरीर में कैल्शियम, विटामिन, प्रोटीन आदि की कमी है और दुखी वे भी हैं, जिन्हें किसी तरह का मानसिक तनाव है. मगर क्या आपने कभी उन लोगों के बारे में सोचा है, जो किसी शारीरिक विकृति का शिकार हैं.
उनके बारे में आप क्या सोचती हैं, जिन्हें इस दीन-दुनिया की खबर ही नहीं है. लोग उन्हें क्या कुछ कह कर उनका मजाक नहीं उड़ाते हैं. कम-से-कम आप ऐसे लोगों से बेहतर स्थिति में तो हैं. फिर क्यों अपने से ऊपरवालों को देख कर दुखी हुआ जाये? क्यों नहीं खुद से नीचे स्तर के लोगों को देख कर यह सोचें कि आप कितनी भाग्यशाली हैं.
आत्मबल को ऊंचा उठाएं : आपके पास जो नहीं है, उसके बारे में अफसोस करने से बेहतर है कि जो है, उसका सदुपयोग किया जाये. कमियों का रोना न रोएं. उन्हें अपनी ताकत बनाने के बारे में विचार करें. सोचें कि आप कैसे उन कमियों के साथ जीते हुए अपने सपनों को पूरा कर सकती हैं. जिंदगी है, तो मुश्किलें भी होंगी ही, पर हार न मानेें. हर पल अपने जीवन के अनुभवों से सीखने की कोशिश करें.
खुद के भीतर आत्मविश्वास बढ़ाने का प्रयास करें. खुद से प्यार करना सीखें. अपने शारीरिक रंग-रूप, अक्षमता आदि पर आपका वश नहीं हैं. इन सबके लिए खुद को दोषी मानना छोड़ दें. प्रभावशाली व्यक्तित्व पाने के लिए केवल सुगठित शरीर और आधुनिक बाहरी वेशभूषा की ही जरूरत नहीं होती.
कोई भी व्यक्ति अपने आंतरिक गुणों का विकास करके भी अपनी पहचान कायम कर सकता है. अगर आप अपने अंदर आत्मविश्वास और सकारात्मकता जैसे गुणों का विकास कर लेंगे, तो लोग खुद ब खुद आपसे प्रभावित हो जायेंगे. हर परिस्थिति के साथ खुद को एडजस्ट करना सीखें. परिवार में भी अगर कोई हताश या निराश हो, तो उसे उसके हाल पर न छोड़ें, बल्कि उसे भावनात्मक व संवेगात्मक सहयोग दें.

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