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दवा डुप्लिकेट जैसी, नहीं भागते मच्छर : हाइकोर्ट

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को राजधानी में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती ने माैखिक रूप से कहा कि मच्छरों को भगाने के लिए जिस दवा का छिड़काव हो रहा है, वह असफल साबित हो रहा है. ऐसा […]

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को राजधानी में मच्छरों के बढ़ते प्रकोप को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती ने माैखिक रूप से कहा कि मच्छरों को भगाने के लिए जिस दवा का छिड़काव हो रहा है, वह असफल साबित हो रहा है. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि मच्छर भगानेवाली दवा में केरोसिन की मिलावट अधिक हो रही है, दवा की मात्रा काफी कम रहती है. दवा डुप्लिकेट जैसी है. इसका प्रभाव मच्छरों पर नहीं पड़ रहा है. मच्छर घटने के बजाय बढ़ता जा रहा है.

चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी. खंडपीठ ने कहा कि जरूरत पड़ी, तो कोर्ट स्वयं अथवा एसीबी से नगर निगम के स्टोर व दवा की जांच करा सकता है. यह भी कहा कि मच्छरों की संख्या में कमी आयी है, यह बात शहर के 10 फीसदी लोग भी नहीं बोलेंगे. रांची नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को फटकार लगाते हुए खंडपीठ ने पूछा कि क्या आपने जांच करायी है कि मच्छरों को भगाने के लिए उपयोग होनेवाली दवा में केरोसिन की कितनी मिलावट है. उन्हें दवा के मिश्रण की जांच करने का निर्देश दिया गया.

मेयर को नोटिस
कोर्ट ने मेयर-नगर आयुक्त विवाद को गंभीरता से लेते हुए रांची की मेयर आशा लकड़ा को सशरीर उपस्थित होने का निर्देश दिया. उन्हें नोटिस जारी किया. साथ ही प्रार्थी को मेयर को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने नगर आयुक्त प्रशांत कुमार को यह बताने का निर्देश दिया कि मेयर के साथ हुए विवाद की वजह से कुल कितने प्रोजेक्ट लंबित हैं और उनकी लागत क्या है. विवाद की वजह से नगर निगम का कार्य प्रभावित हो रहा है, यह समझा जा सकता है. लंबित कार्यों की सूची के साथ पूरी जानकारी 17 अप्रैल के पूर्व कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
नगर निगम का पक्ष
रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने खंडपीठ को बताया कि नगर आयुक्त के पैर में चोट है. इस कारण वे कोर्ट नहीं आ सके. मच्छरों को भगाने के लिए शहर के वार्डों में चार स्पेशल ड्राइव चलाये जा रहे हैं. एक माह से नाली की सफाई करायी जा रही है. मच्छर का लार्वा मारने के लिए दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है.
प्रार्थी का पक्ष
प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने खंडपीठ को बताया कि मेयर व नगर आयुक्त में आपसी विवाद के कारण कार्य प्रभावित हो गया है. महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों पर काम नहीं हो पा रहा है. जनता को सुविधा नहीं मिल पा रही है, जबकि नगर निगम टैक्स लादता जा रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी दीवान इंद्रनील सिन्हा ने जनहित याचिका दायर कर मच्छरों के बढ़ते प्रकोप पर नियंत्रण लगाने की मांग की है.
कोर्ट ने कहा
नगर आयुक्त बतायें, विवाद में कितने प्रोजेक्ट हैं लंबित व उसकी लागत क्या है
नगर निगम के स्टोर की एसीबी से करायी जा सकती है जांच
मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी

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